संसद की नई बिल्डिंग और शीत सत्र को लेकर ट्विटर पर भिड़े हरदीप पुरी और जयराम रमेश

इस साल नहीं होगा संसद का शीतकालीन सत्र, सरकार ने कहा- जनवरी में होगा बजट सेशन
कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus) के चलते केंद्र सरकार ने इस बार संसद की शीतकालीन सत्र (Winter Session of Parliament) नहीं बुलाने का फैसला किया है.
- News18Hindi
- Last Updated: December 16, 2020, 11:43 PM IST
नई दिल्ली. सरकार के संसद का शीत्र सत्र (Winter Session of Parliament) नहीं बुलाने के फैसले को लेकर केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी (Hardeep Singh Puri) और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश (Jairam Ramesh) के बीच बुधवार को सोशल मीडिया पर तीखी बहस हुई. विपक्षी नेता ने इस दौरान केंद्र पर “मूर्खतापूर्ण खेल” खेलने का आरोप लगाया तो वहीं शहरी विकास मंत्री ने कहा कि चुनावी हार की वजह से उपजी हताशा के कारण ऐसे “बेतुके” बयान दिये जा रहे हैं.
ट्विटर पर दोनों के बीच बयानों का तीखा आदान-प्रदान तब शुरू हुआ जब रमेश ने सरकार के उस दावे पर आपत्ति जताई कि कोविड-19 महामारी के कारण संसद का शीत सत्र नहीं बुलाने का फैसला लिये जाने से पहले विपक्षी नेताओं से चर्चा की गई थी. रमेश ने एक ट्वीट में कहा, “15-12-2020 को सुबह 10 बजकर 49 मिनट पर राज्य सभा में नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद ने मुझे बताया: उन्होंने (जोशी ने) मुझसे बात नहीं की. चार मिनट बाद गुलाब नबी आजाद ने मुझसे कहा: उन्होंने (मोदी सरकार ने) हमसे परामर्श नहीं किया. इसलिये ये मूर्खतापूर्ण खेल बंद कीजिए श्रीमान जोशी.”
कोरोना महामारी के कारण संसद का शीतकालीन सत्र इस बार नहीं कराए जाने के फैसले को लेकर मंगलवार को सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि “संसदीय लोकतंत्र को नष्ट करने का काम पूरा हो गया.” पार्टी ने पूछा था कि महामारी के बीच अगर चुनाव प्रचार हो सकता है तो सत्र क्यों नहीं आयोजित हो सकता. रमेश ने पुरी पर उनके उस दावे के लिये भी निशाना साधा कि दोनों सदनों ने अक्टूबर 2019 में संसद की नई इमारत के लिये एक प्रस्ताव पारित किया था.
राज्य सभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक ने एक अन्य ट्वीट में कहा, “यह पुरी का पूरा झूठ है. राज्य सभा में निश्चित रूप से कोई प्रस्ताव नहीं था. सभापति ने पांच अगस्त 2019 को इस पर विचार किया था. झूठ बोलने के वायरस ने मोदी मंत्रिमंडल को पूरी तरह संक्रमित कर दिया है.” पुरी के एक ट्वीट का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, “यह सदन का प्रस्ताव नहीं है जैसा कि आपका दावा है. सदन में कोई प्रस्ताव नहीं है. झूठ बोलते रहिये.”मंत्री ने रमेश पर पलटवार करते हुए कहा, “इससे पहले कि आप पूरी तरह शर्मिंदा हों, मेरी आपको सलाह है कि माननीय अध्यक्ष ने जो कहा था उसे पढ़ लें. एक आधुनिक, सुसज्जित और भव्य संसद भवन की मांग और आवश्यकता काफी समय से व्यक्त की जाती रही है.” उन्होंने कहा, “आप एक नई संसद की आवश्यकता पर अनुभवजन्य साक्ष्य से इनकार करते हैं और ऐसा कर अपना और अपनी पार्टी का ही नुकसान कर रहे हैं. मैं आपके ट्वीट के लहजे या हाल में दिये गए अन्य बयानों पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा.”
उन्होंने ट्वीट में कहा, “इसकी एक उदार व्याख्या ये है कि यह चुनावी उलटफेर के कारण उपजी आपकी हताशा की अभिव्यक्ति है. सौभाग्य से, गलत जानकारी के वायरस से तथ्यों को नहीं बदला जा सकता.”

संसद की नयी इमारत को लेकर विपक्ष द्वारा आलोचना किये जाने की निंदा करते हुए पुरी ने पूछा था कि ये दल तब कहां थे, जब दोनों सदनों द्वारा इस संबंध में अक्टूबर 2019 में प्रस्ताव पारित किया गया था.
ट्विटर पर दोनों के बीच बयानों का तीखा आदान-प्रदान तब शुरू हुआ जब रमेश ने सरकार के उस दावे पर आपत्ति जताई कि कोविड-19 महामारी के कारण संसद का शीत सत्र नहीं बुलाने का फैसला लिये जाने से पहले विपक्षी नेताओं से चर्चा की गई थी. रमेश ने एक ट्वीट में कहा, “15-12-2020 को सुबह 10 बजकर 49 मिनट पर राज्य सभा में नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद ने मुझे बताया: उन्होंने (जोशी ने) मुझसे बात नहीं की. चार मिनट बाद गुलाब नबी आजाद ने मुझसे कहा: उन्होंने (मोदी सरकार ने) हमसे परामर्श नहीं किया. इसलिये ये मूर्खतापूर्ण खेल बंद कीजिए श्रीमान जोशी.”
कोरोना महामारी के कारण संसद का शीतकालीन सत्र इस बार नहीं कराए जाने के फैसले को लेकर मंगलवार को सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि “संसदीय लोकतंत्र को नष्ट करने का काम पूरा हो गया.” पार्टी ने पूछा था कि महामारी के बीच अगर चुनाव प्रचार हो सकता है तो सत्र क्यों नहीं आयोजित हो सकता. रमेश ने पुरी पर उनके उस दावे के लिये भी निशाना साधा कि दोनों सदनों ने अक्टूबर 2019 में संसद की नई इमारत के लिये एक प्रस्ताव पारित किया था.
राज्य सभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक ने एक अन्य ट्वीट में कहा, “यह पुरी का पूरा झूठ है. राज्य सभा में निश्चित रूप से कोई प्रस्ताव नहीं था. सभापति ने पांच अगस्त 2019 को इस पर विचार किया था. झूठ बोलने के वायरस ने मोदी मंत्रिमंडल को पूरी तरह संक्रमित कर दिया है.” पुरी के एक ट्वीट का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, “यह सदन का प्रस्ताव नहीं है जैसा कि आपका दावा है. सदन में कोई प्रस्ताव नहीं है. झूठ बोलते रहिये.”मंत्री ने रमेश पर पलटवार करते हुए कहा, “इससे पहले कि आप पूरी तरह शर्मिंदा हों, मेरी आपको सलाह है कि माननीय अध्यक्ष ने जो कहा था उसे पढ़ लें. एक आधुनिक, सुसज्जित और भव्य संसद भवन की मांग और आवश्यकता काफी समय से व्यक्त की जाती रही है.” उन्होंने कहा, “आप एक नई संसद की आवश्यकता पर अनुभवजन्य साक्ष्य से इनकार करते हैं और ऐसा कर अपना और अपनी पार्टी का ही नुकसान कर रहे हैं. मैं आपके ट्वीट के लहजे या हाल में दिये गए अन्य बयानों पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा.”
उन्होंने ट्वीट में कहा, “इसकी एक उदार व्याख्या ये है कि यह चुनावी उलटफेर के कारण उपजी आपकी हताशा की अभिव्यक्ति है. सौभाग्य से, गलत जानकारी के वायरस से तथ्यों को नहीं बदला जा सकता.”
संसद की नयी इमारत को लेकर विपक्ष द्वारा आलोचना किये जाने की निंदा करते हुए पुरी ने पूछा था कि ये दल तब कहां थे, जब दोनों सदनों द्वारा इस संबंध में अक्टूबर 2019 में प्रस्ताव पारित किया गया था.