देश में बाल विवाह की समस्या गंभीर है (File Photo/ सांकेतिक तस्वीर)
भारत में बाल विवाह (Child Marriage) जैसी कुप्रथा को रोकने के लिए कई कड़े कानून बनाए गए हैं. मगर आज भी देश के कई हिस्सों में बाल-विवाह धड़ल्ले से हो रहे हैं. बंगाल, राजस्थान और हरियाणा जैसे राज्यों में बाल विवाह की संख्या अधिक है. अगर बात करें हरियाणा के नूंह जिले (Hariyana’s Nuh District) की तो यहां बाल विवाह को लेकर एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. साल 2019-2021 के बीच किए गए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (National Family Health Survey-5) के द्वारा हाल में जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक नूंह जिले में की तकरीबन 29 फीसदी महिलाओं की शादी 18 साल की उम्र से पहले ही कर दी गई थी.
सर्वेक्षण के अनुसार, 28.7 प्रतिशत के साथ नूंह जिला लड़कियों की जल्दी शादी के मामले में हरियाणा में सबसे ऊपर है. इसके बाद पलवल (23.8%) और गुरुग्राम (20.7%) का नंबर आता है. यह सर्वेक्षेण 20-24 आयु वर्ग की महिलाओं के बीच किया गया, जिसमें कई महिलाओं ने स्वीकार किया कि उनकी शादी 18 साल के होने से पहले ही कर दी गई थी.
नूंह में शिशु मुत्यु दर भी है अधिक
गौरतलब है कि नूंह जिला लंबे वक्त से बाल विवाह और समय से पहले गर्भधारण के मुद्दों से जूझ रहा है. जिसकी वजह से यहां खराब मातृ स्वास्थ्य और उचच शिशु मृत्यु दर भी है. महिलाओं की शादी की उम्र 21 साल करने का प्रस्ताव आने के बाद जिले में शादियों में तेजी देखी गई है. एक सामाजिक कार्यकर्ता सुनील जगलान का कहना है, ‘हम जागरूकता अभियान चला रहे हैं. कई लड़कियों ने इसमें हस्तक्षेप के लिए केंद्र से संपर्क भी किया था. हमें उम्मीद है कि यह कानून यहां का पूरा परिदृश्य को बदल देगा’.
बाल विवाह का कानूनी अर्थ
बाल विवाह से तात्पर्य है उस विवाह से जब बालक अथवा बालिका अथवा दोनों विवाह के लिए निर्धारित उम्र से काम के हों. वर्तमान समय में बालक के लिए 21 साल एवं बालिका के लिए 18 साल निर्धारित है. यदि कोई भी व्यक्ति इस निर्धारित उम्र से काम उम्र में शादी करता है तो उसे बाल विवाह करार दिया जायेगा. बाल विवाह मुख्यतया परिवार द्वारा बनाई गयी व्यवस्था के अधीन होते हैं, जहां सहमति का कोई स्थान नहीं होता है. किन्तु सहमति से किया गया बाल विवाह भी कानूनी रूप से वैध नहीं है. वर्तमान समय में बाल विवाह को किसी भी एक व्यक्ति द्वारा शून्य या शून्यकरण घोषित करवाया जा सकता है.
बाल विवाह कानून पर ताज स्थिति
बाल विवाह पर अंकुश लगाने के प्रयास के तहत केंद्र सरकार ने दिसंबर 2021 लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 साल करने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है. नए प्रस्ताव के मंजूर होने के बाद अब सरकार बाल विवाह निषेध कानून, स्पेशल मैरिज एक्ट और हिंदू मैरिज एक्ट में संशोधन करेगी. नीति आयोग में जया जेटली की अध्यक्षता में साल 2020 में बने टास्क फोर्स ने इसकी सिफारिश की थी. इस टास्क फोर्स का गठन “मातृत्व की आयु से संबंधित मामलों, मातृ मृत्यु दर को कम करने, पोषण स्तर में सुधार और संबंधित मुद्दों” की जांच कर उचित सुझाव देने के लिए किया गया था.
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Tags: Child marriage, Hariyana, Nuh News
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