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नफरत फैलाने वाला भाषण इंसान को गरिमा के अधिकार से वंचित करता है: न्यायमूर्ति नागरत्ना

सुप्रीम कोर्ट की जज जस्टिस बी. वी. नागरत्ना ने कहा है कि भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बेहद आवश्यक अधिकार है. (फोटो -ANI)

सुप्रीम कोर्ट की जज जस्टिस बी. वी. नागरत्ना ने कहा है कि भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बेहद आवश्यक अधिकार है. (फोटो -ANI)

न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना (Justice Nagaratna) ने मंगलवार को कहा कि नफरत फैलाने वाला भाषण इंसान को सम्मान के अधिकार स ...अधिक पढ़ें

हाइलाइट्स

सुप्रीम कोर्ट की जज जस्टिस नागरत्ना की बड़ी टिप्‍पणी
कहा- हेट स्‍पीच इंसान को गरिमा के अधिकार से वंचित करती है
लोकतंत्र भारतीय संविधान की बुनियादी विशेषताओं में से एक

नई दिल्ली. उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) की न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना (Justice Nagaratna) ने मंगलवार को कहा कि नफरत फैलाने वाला भाषण इंसान को सम्मान के अधिकार से वंचित करता है. उन्होंने कहा कि भारत में मानवीय गरिमा न केवल एक मूल्य है बल्कि एक अधिकार है जो लागू होना चाहिए. न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा कि मानवीय गरिमा आधारित लोकतंत्र में भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का इस्तेमाल इस तरह से किया जाना चाहिए जो सह नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करे और उसे बढ़ावा दे. न्यायमूर्ति नागरत्ना पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ का हिस्सा थीं जिसने मंगलवार को व्यवस्था दी कि उच्च सार्वजनिक पदों पर आसीन पदाधिकारियों की ‘वाक एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ के मौलिक अधिकार पर अतिरिक्त पाबंदी नहीं लगाई जा सकती क्योंकि इस अधिकार पर रोक लगाने के लिए संविधान के तहत पहले से विस्तृत आधार मौजूद हैं.

न्यायमूर्ति नागरत्ना ने उच्च पदों पर आसीन सरकारी अधिकारियों पर अतिरिक्त पाबंदियों के व्यापक मुद्दे पर सहमति जताई, लेकिन विभिन्न कानूनी मुद्दों पर अलग विचार प्रकट किया. इनमें एक विषय यह है कि क्या सरकार को उसके मंत्रियों के अपमानजनक बयानों के लिए अप्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार ठहराया जा सकता है. उन्होंने कहा कि सरकार के किसी कामकाज के संबंध में या सरकार को बचाने के लिए एक मंत्री द्वारा दिये गये बयान को सामूहिक जिम्मेदारी के सिद्धांत को लागू करते हुए अप्रत्यक्ष रूप से सरकार का बयान बताया जा सकता है.

बहुमत के शासन में सुरक्षा और समावेश की भावना होगी
उन्होंने कहा, ‘नफरत भरे भाषण की सामग्री चाहे जो भी हो, यह इंसान को गरिमा के अधिकार से वंचित करता है.’ उन्होंने कहा कि लोकतंत्र भारतीय संविधान की बुनियादी विशेषताओं में से एक है, इसमें यह निहित है कि बहुमत के शासन में सुरक्षा और समावेश की भावना होगी. न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा कि नफरत फैलाने वाला भाषण असमान समाज का निर्माण करते हुए मूलभूत मूल्यों पर प्रहार करता है और विविध पृष्ठभूमियों, खासतौर से ‘हमारे ‘भारत’ जैसे देश के’, नागरिकों पर भी प्रहार करता है. उन्होंने कहा कि भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बेहद आवश्यक अधिकार है ताकि नागरिकों को शासन के बारे में अच्छी तरह जानकारी हो.

Tags: Hate Speech, Supreme Court

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