पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला (फोटो आभार/facebook)
चंडीगढ़: पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय ने एक मामले में निर्णय दिया है कि यदि अर्धसैनिक बलों के सैनिक की विधवा, अनुकंपा के आधार पर नौकरी पाती है और वह फिर से शादी कर लेती है, फिर भी अपने मृत पति के माता-पिता का भरण-पोषण करने के लिए बाध्य है. उच्च न्यायालय के अनुसार, दूसरे पति से हुए बच्चों के भरण-पोषण के कारण, वह अपने मृतक पति के माता-पिता को भरण-पोषण देने से इंकार नहीं कर सकती है. साथ ही उच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में यह भी स्पष्ट किया है कि यदि उसके मृत पति के माता-पिता का कोई दूसरा बेटा या फिर संपत्ति है, तो भी वह भरण-पोषण से इंकार नहीं कर सकती है.
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति राजबीर सहरावत ने केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) की एक महिला कांस्टेबल की याचिका को खारिज करते हुए ये आदेश पारित किए हैं. इस महिला महिला कांस्टेबल को सीआईएसफ ने अपने वेतन का 25 फीसदी हिस्सा मृतक पति के माता-पिता को भुगतान करने के लिए कहा था. इसके बाद महिला कांस्टेबल ने फोर्स के खिलाफ याजिका दायर की थी.
अनुकंपा पर हुई थी नियुक्ति
याचिकाकर्ता के पति, कुलदीप सिंह, सीआईएसएफ में एक कांस्टेबल के रूप में कार्यरत थे और 13 फरवरी, 1998 को उनकी मृत्यु हो गई. याचिकाकर्ता की शादी से केवल एक बेटी थी. बाद में याचिकाकर्ता ने अपने पति की मृत्यु के के बाद अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया और उसे नियम के अनुसार अपने मृत पति के माता-पिता का भरण-पोषण करना था. इस नियम पर सहमति देने के बाद याचिकाकर्ता को मई 2002 में सीआईएसएफ में कांस्टेबल के रूप में नियुक्त किया गया.
बाद में की दूसरी शादी
याचिकाकर्ता ने मार्च 2005 में दूसरी शादी कर ली. शुरुआत में याचिकाकर्ता कुलदीप के माता-पिता को 1,000 रुपये प्रति माह दे रही थीं. मगर इतनी धन-राशि में कुलदीप के माता-पिता को गुजारा नहीं हो पा रहा था, लिहाजा उन्होंने राशि बढ़ाने के लिए राजस्थान उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया.
राजस्थान उच्च न्यायालय के निर्देश पर, सीआईएसएफ ने पत्नी को अपने पहले पति की मां को उसके कुल वेतन का 25% भुगतान करने का आदेश दिया था (क्योंकि मृतक पति के पिता की मौत मुकदमे के दौरान हो गई थी). इसके बाद महिला कांस्टेबल ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.
हाई कोर्ट का फैसला
सभी पक्षों को सुनने के बाद, हाई कोर्ट ने कहा कि अपने पहले पति की मृत्यु से हर लाभ लेने के बाद, याचिकाकर्ता का यह कर्तव्य है कि वह अपने मृत पति की मां का ख्याल रखे “केवल इतना ही नहीं, जिस नियम के तहत उसने अनुकंपा नियुक्ति की मांग की है, उसके तहत भी वह भरण पोषण देने के लिए बाध्य है. अन्यथा, उसे नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा, क्योंकि नियुक्ति पत्र में भी एक विशेष शर्त है कि यदि वह कुलदीप सिंह के माता-पिता का भरण-पोषण करने में विफल रहती हैं तो उसकी सेवा समाप्त कर दी जाएगी. साथ ही हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि 25 फीसदी हिस्सा कुछ भी नहीं है, इस बढ़ाया जा सकता है.
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Tags: Punjab and Haryana High Court
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