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Opinion: कुदरती आपदाओं से निपटने की गृहमंत्री अमित शाह की प्रभावी योजना

आपदा के लिए एक देशव्यापी रणनीति बनाने पर काम चल रहा है ताकि आम जनता यह महसूस कर रहे कि जब उनपर कोई प्राकृतिक आफत आए तो सरकार मदद के लिए उनके साथ है.

आपदा के लिए एक देशव्यापी रणनीति बनाने पर काम चल रहा है ताकि आम जनता यह महसूस कर रहे कि जब उनपर कोई प्राकृतिक आफत आए तो सरकार मदद के लिए उनके साथ है.

मानसून सीजन से पहले गृह मंत्री अमित शाह के निर्देश पर गृह मंत्रालय ने एनडीआरएफ यानी नेशनल डिजास्टर रिलीफ फोर्स को देशभर ...अधिक पढ़ें

नई दिल्ली. देशभर में बारिश का कहर देखने को मिल रहा है. बारिश के कारण उत्तराखंड, केरल, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल इस वक्त सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं. गृह मंत्री अमित शाह आपदा की इस घड़ी में उत्तराखंड का दौरा कर रहे हैं. यह कदम न केवल केंद्र और राज्य सरकार के बीच समन्वय स्थापित करने को लेकर है बल्कि वहां की जनता के बीच भरोसा भी जताने से जुड़ा है. 3 महीने में दूसरी बार भारी बारिश की मार झेल रही उत्तराखंड की जनता के प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह दोनों ने संवेदना जताई है..इसी तरह पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और केरल में गृह मंत्री अमित शाह के निर्देशन में राज्य और केंद्र सरकार समन्वय के साथ राहत और बचाव कार्य में जुटे हुए हैं.

दरअसल मानसून सीजन से पहले गृह मंत्री अमित शाह के निर्देश पर गृह मंत्रालय ने एनडीआरएफ यानी नेशनल डिजास्टर रिलीफ फोर्स को देशभर में अलर्ट रहने के निर्देश दिए थे. इसके अलावा एनडीआरएफ की रिजर्व फोर्स भी अपने-अपने इलाकों में तैनात थी. समय-समय पर केंद्र सरकार की नेशनल क्राइसिस मैनेजमेंट कमिटी की बैठक भी बुलाई, जिसमें गृह मंत्रालय सहित अलग-अलग मंत्रालयों ने आपदा से पुख्ता तरीके से मुकाबला करने के लिए अपने इनपुट दिए थे. यह वही वक्त था जब पूरा देश कोविड की दूसरी लहर का प्रभाव झेल रहा था.

कोविड की दूसरी लहर के दौरान देश ने दो बड़े चक्रवात का सामना किया. यह चक्रवात यास और ताउकते. इस दौरान चक्रवात प्रभावित इलाकों में बेहतर आपदा प्रबंधन के कारण ही सैकड़ों लोगों की जान को बचाया जा सका. कोविड की दूसरी लहर के दौरान जब देश एक भीषण चक्रवात का सामना कर रहा था तो प्रभावित इलाकों में नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी और संबंधित एजेंसियों ने बहुत अच्छा आपदा प्रबंधन किया जिस वजह से कोविड मरीज जो अपना इलाज करा रहे थे उनकी  सुविधा के अभाव में मौत नहीं हुई. नतीजा यह हुआ कि पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और महाराष्ट्र जो इन चक्रवात के प्रभावित इलाके थे वहां पर जनता को तूफान का कम से कम नुकसान झेलना पड़ा और कोविड राहत में सारे संसाधनों का उपयोग किया गया.

राज्यों में आपदा मित्र की तैनाती
लगातार आपदा का दुष्प्रभाव झेल रहे देश के सामने सबसे बड़ी समस्या संसाधनों की थी और राहत बचाव के एजेंसियों पर बहुत ज्यादा दबाव बढ़ रहा था. ऐसे में गृह मंत्री अमित शाह के निर्देश पर आपदा मित्र बनाने की योजना शुरू हुई है. देशभर में आपदा से निपटने के लिए राज्यों में आपदा मित्र की तैनाती की जाएगी. यह लोग उसी इलाके के होंगे जहां पर आपदा आने की संभावना है और इलाके से अच्छी तरीके से वाकिफ होंगे. राज्यों से इस बाबत समझौते पर दस्तखत हो चुके हैं और इस वक्त देश भर में 5500 आपदा मित्र और आपदा सखी काम कर रहे हैं. प्रयोग के तौर पर जिन का परिणाम बहुत ही अच्छा देखने को मिल रहा है.

केंद्र सरकार की आपदा मित्र योजना के तहत आने वाले दिनों में देश के 350 आपदा प्रभावित जिलों में आपदा मित्रों और आपदा सखी की तैनाती होगी जो आपदा स्थल पर हादसा होने के बाद चंद मिनटों में पहुंच जाएंगे. जिस तरीके से बिजली गिरने से पहले दी जाने वाले सूचना के तंत्र को विकसित किया गया है उसी तरीके से हीटवेव और कोल्ड वेव पर भी काम चल रहा है. गृह मंत्री अमित शाह के निर्देश पर आपदा के हर पहलू का बहुत ही बेहतर तरीके से आंकलन किया गया है और उससे निपटने की तुरंत रणनीति बनाई जा रही है.

ब्रह्मपुत्र नदी पर तैयार किया गया कृत्रिम सरोवर
ब्रह्मपुत्र नदी में बाढ़ के प्रभाव को रोकने के लिए सेटेलाइट की मदद से कृत्रिम सरोवर तैयार करने की योजना पर काम चल रहा है. ऐसे 17 स्थानों को चिन्हित कर लिया गया है. जब ब्रह्मपुत्र नदी में बाढ़ आएगी तो पानी अपने आप इन 17 कृतिम सरोवर में चला जाएगा. अमित शाह ने यह पूरी प्लानिंग पीएम मोदी को देखते हुए की है. नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने भुज में भूकंप आने से पहले ही प्रबंधन पर काम किया था और पुख्ता रणनीति तैयार की थी.

यही वजह है कि पीएम मोदी ने विश्व के सामने जो 10 सूत्रीय आपदा प्रबंधन उपाय का खाका रखा है उससे भारत में जिस तरीके की आपदा आती हैं कुल 17 तरह की पहचान हुई हैं. पिछले 2 सालों में भूस्खलन सबसे ज्यादा है और महाराष्ट्र में ऐसा पहली बार देखने को मिला है इन सब आपदाओं से निपटने की रणनीति पर केंद्र सरकार और राज्य सरकार समन्वय से काम कर रही हैं. अमित शाह के नेतृत्व में पिछले कुछ सालों में 110000 करोड़ रुपए आपदा राहत कार्य आपदा प्रबंधन के लिए केंद्र सरकार की ओर से जारी किए गए हैं. स्पष्ट शब्दों में कहें तो आपदा के लिए एक देशव्यापी रणनीति बनाने पर काम चल रहा है ताकि आम जनता यह महसूस कर रहे कि जब उनपर कोई प्राकृतिक आफत आए तो सरकार मदद के लिए उनके साथ है.

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