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इस फॉर्मूले की बदौलत BJP जीत रही चुनाव, इलेक्शन से ठीक एक साल पहले किया अप्लाई, मिली जीत

चुनाव से पहले मुख्यमंत्री बदलने की रणनीति भाजपा के लिए काम कर रही है.

चुनाव से पहले मुख्यमंत्री बदलने की रणनीति भाजपा के लिए काम कर रही है.

BJP Formula of winning elections: उत्तराखंड एक ऐसा राज्य था जहां कोई भी पार्टी सत्ता नहीं दोहरा पाई थी. 2022 में राज्य ...अधिक पढ़ें

हाइलाइट्स

भाजपा सत्ता विरोधी लहर को मात देने के लिए चुनाव से करीब एक साल पहले सीएम बदल देती है
त्रिपुरा में कांग्रेस-वाम गठबंधन और टिपरा से मिली चुनौती को भी भाजपा आसानी से काट सकी
उत्तराखंड में दो सीएम बदले गए, गुजरात और कर्नाटक में भी सीएम को भाजपा द्वारा बदला गया

नई दिल्ली. भाजपा ने एक बार फिर सत्ता विरोधी लहर (anti-incumbency) के कयास को दरकिनार कर त्रिपुरा (Tripura BJP Victory) में अपना दबदबा बरकरार रखा है. भाजपा लगातार सत्ता विरोधी लहर को मात देने के लिए चुनाव से करीब एक साल पहले मुख्यमंत्रियों को बदल देती है जिससे पार्टी के सत्ता में वापसी के आसार काफी बढ़ जाते हैं. इस फॉर्मूले ने भाजपा के लिए फिर काम किया है. साथ ही त्रिपुरा में कांग्रेस-वाम गठबंधन और टिपरा मोहता से मिली कड़ी चुनौती को भी भाजपा आसानी से काटने में सफल हो सकी.

दस महीने पहले, भाजपा ने त्रिपुरा में अपने मुख्यमंत्री बिप्लब देब (Biplav Deb) को चार साल के बाद हटाकर और उनकी जगह माणिक साहा (Manik Saha) को लाकर सभी को चौंका दिया था. उत्तराखंड में दो मुख्यमंत्री, गुजरात और कर्नाटक में मुख्यमंत्री सहित चुनावों से कुछ समय पहले कई राज्यों में भाजपा द्वारा बदला गया यह पांचवां मुख्यमंत्री था. बीजेपी ने उत्तराखंड (Uttrakhand) और गुजरात (Gujarat) में चुनाव जीता. अब उसने त्रिपुरा जीता. कर्नाटक में मई में नए मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के नेतृत्व में चुनाव होने हैं.

हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में, जहां कुछ आवाजों के समर्थन के बावजूद पार्टी ने जय राम ठाकुर के रूप में अपने वर्तमान मुख्यमंत्री को बदलने का विकल्प नहीं चुना. पार्टी ने इस साल की शुरुआत में वहां सत्ता खो दी. सभी की निगाहें अब मध्य प्रदेश पर टिकी हैं, जहां भाजपा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) को 18 साल से अधिक समय तक कुर्सी पर बनाए रखा है. भाजपा नेताओं का कहना है कि त्रिपुरा में जीत पिछले पांच वर्षों में राज्य में एक मजबूत विकास मॉडल के कारण भी है, लेकिन एक नए मुख्यमंत्री के आने से उसे कड़ी लड़ाई में एक संकीर्ण जीत हासिल करने में मदद मिली.

झारखंड (Jharkhand) में पार्टी की सत्ता गंवाने के बाद 2019 में बीजेपी में ‘सीएम का मुद्दा’ सबसे आगे आ गया था. उन चुनावों से पहले भाजपा में आवाज उठी थी कि मुख्यमंत्री रघुबर दास (Raghubar Das) को उनकी अलोकप्रियता के कारण हटा दिया जाना चाहिए, लेकिन भाजपा ने जुआ नहीं खेला और झामुमो-कांग्रेस गठबंधन से हार गई. ऐसा लगता है कि झारखंड के ‘सबक’ ने भाजपा की दिशा तय कर दी है.

उत्तराखंड एक ऐसा राज्य था जहां कोई भी पार्टी सत्ता नहीं दोहरा पाई थी. 2022 में राज्य में चुनाव होने से लगभग 11 महीने पहले, पार्टी ने अपने मुख्यमंत्री को त्रिवेंद्र सिंह रावत से तीरथ सिंह रावत में बदल दिया, और बाद में फिर पुष्कर धामी से बदल दिया. जुलाई 2021 में सीएम बने पुष्कर धामी ने पिछले साल फरवरी में पार्टी को ऐतिहासिक जीत दिलाई थी. इसी तरह, गुजरात में, राज्य चुनाव से 13 महीने पहले भाजपा ने अपने मुख्यमंत्री विजय रूपानी को बदल दिया और उनकी जगह भूपेंद्रभाई पटेल को ले लिया. इसने पिछले दिसंबर में गुजरात विधानसभा चुनाव जीता था.

Tags: BJP, Congress, Tripura Assembly Election

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