अधिकारियों ने बताया कि अब्दुल रशीद डार को आतंकवादियों ने करीब नौ बजकर 30 मिनट पर गोली मारी. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
नई दिल्ली. कश्मीर (Kashmir) में सुरक्षा बलों (Security Forces) ने बीते 6 महीने के दौरान आतंकियों के सफाए (Elimination Of Terrorists) का जबरदस्त अभियान छेड़ रखा है. जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक (DGP) दिलबाग सिंह (Dilbagh Singh) ने बताया है कि बीते चार सालों में ऐसा पहली बार हुआ है जब आतंकी ग्रुप जॉइन करने वालों से ज्यादा संख्या में आतंकियों का सफाया किया गया है.
आतंकरोधी अभियान की ताजा सफलताओं पर बातचीत करते हुए उन्होंने कहा है कि 2020 सुरक्षाबलों के लिए सबसे बड़ी सफलता वाला साल बन गया है. उन्होंने हाल में मारे गए हिज्बुल मुजाहिदीन के कमांडर रियाज नायकू का जिक्र किया. साथ ही पुलवामा जैसे हमले की एक साजिश को नाकाम करने के बारे में भी जानकारी दी है.
लग गए कई साल
दिलबाग सिंह ने कहा है कि ये सब कुछ करने में लंबा वक्त लगा है. उनके मुताबिक पिछले दो-तीन सालों से सुरक्षाबल इस अभियान में लगे हुए हैं. लेकिन 2018 के आखिरी से स्थितियां सुरक्षा बलों के पक्ष में मुड़नी शुरू हुईं. दिलबाग सिंह के मुताबिक सुरक्षा बलों ने अपना इंटेलिजेंस नेटवर्क बेहद मजबूत किया है. साथ ही स्थानीय लोगों को भरोसे में लिया गया है. यह भी खयाल रखा गया कि आतंकियों के सफाए के दौरान स्थानीय लोगों को कोई परेशानी न आने पाए.
मारे गए 119 आतंकी
उन्होंने बताया कि सिर्फ एक साल के भीतर 119 आतंकी मारे गए हैं. इनमें टॉप कमांडर रियाज नायकू, अब्दुल रहमान उर्फ फौजी भाई, जुबैर, कारी यासिर, जुनैद सहरी, बुरहान कोका और तैयब वालिद शामिल हैं. टॉप कमांडरों के एक के बाद एक सफाए ने घाटी में आतंक की कमर तोड़ कर रख दी है. दिलबाग सिंह का कहना है कि अपनी इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर जम्मू-कश्मीर पुलिस ने न सिर्फ आतंकियों का सफाया किया बल्कि ये भी खयाल रखा गया कि इन सबके दौरान पुलिसकर्मियों को कम से कम नुकसान हो.
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South Asia Terrorism Portal (SATP) के मुताबिक इस साल 29 सुरक्षाकर्मियों के अलावा 12 आम नागरिकों की जान इन मुठभेड़ों के दौरान गई है. कम क्षति के साथ आतंकी समूहों के बड़े आतंकियों का सफाया किया जाना बड़ी सफलता माना जा रहा है. दिलबाग सिंह ने कहा है कि रियाज नायकू की मौत के बाद किसी को भी बड़े स्तर पर प्रदर्शन की इजाजत नहीं दी गई है. कुछ ऐसा ही जाकिर मूसा की मौत के वक्त भी हुआ.
दिलबाग सिंह कहते हैं कि हमने धीरे-धीरे अराजकता पर काबू पाया है. सुरक्षाबलों के भीतर के आतंकरोधी अभियान की सफलता के पीछे दो मुख्य कारण माने जा रहे हैं. पहला, जम्मू-कश्मीर पुलिस ने न सिर्फ अपने इंटेलिजेंस नेटवर्क को मजबूत बनाया बल्कि सुरक्षाबलों के साथ मिलकर आतंकियों के साथ मुठभेड़ में भी हिस्सा बने. दूसरा, लंबे लॉकडाउन की वजह से घाटी में आतंकी खुले रूप में नहीं घूम पाए. उनकी लोकेशन पता करने के बाद उन्हें पकड़ने में सुरक्षा बलों को आसानी हुई.
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दिलबाग सिंह कहते हैं कि अब किसी भी आतंकी समूह की तरफ देखिए, सभी बिल्कुल नेतृत्वविहीन हो चुके हैं. चाहे वो हिज्बुल हो, लश्कर हो या फिर अंसार. हमने न सिर्फ टॉप लीडरशिप का सफाया किया है बल्कि उनका भी जो लीडर बन सकते थे. अब आतंकी समूह बुरी हतोत्साहित और निराश हो चुके हैं. हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी थी कि इन ऑपरेशन्स के दौरान आम जनता को नुकसान न पहुंचे और इसे हमने अपनी टॉप प्रायरिटी पर लिया.
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