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यूपी विधानसभा चुनाव 2022: छठे फेज के मतदान में बहुत कुछ है दांव पर

फूलपुर पवई विधानसभा सीट पर 1995 से सिर्फ यादव प्रत्याशी जीतता आया है.

फूलपुर पवई विधानसभा सीट पर 1995 से सिर्फ यादव प्रत्याशी जीतता आया है.

पूर्वांचल में अंबेडकरनगर से लेकर गोरखपुर तक की सीटों पर सियासी समीकरणों के हिसाब से यह मतदान और फेस बेहद अहम रहने वाला ...अधिक पढ़ें

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के सबसे अहम चरण यानी छठवें चरण के लिए 3 मार्च को मतदान होना है. ये चरण इसलिए बेहद अहम है क्योंकि इसी फेस में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की  गोरखपुर सीट पर भी मतदान होना है. इसके अलावा इस चरण में 10 जिलों की 57 सीटों पर मतदान होना है. पूर्वांचल में अंबेडकरनगर से लेकर गोरखपुर तक की सीटों पर सियासी समीकरणों के हिसाब से यह मतदान और फेस बेहद अहम रहने वाला है. इस चरण में होने वाली गोरखपुर सीट पर चुनाव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए ना केवल साख की बात है, बल्कि उनकी भविष्य की योजनाओं की भी दिशा तय करनेवाला है. इसके अलावा पूर्वांचल के तमाम जिले ऐसे हैं जहां पर विपक्षी पार्टियों ने भारतीय जनता पार्टी के लिए बेहद गूढ चक्रव्यूह रचना कर रखी है जिससे पार पाना भारतीय जनता पार्टी के लिए चुनौती भरा होनेवाला है.

छठवें चरण में चुनाव के लिए जिन 57 सीटों पर 3 मार्च को मतदान होना है उनमें गोरखपुर शहर, कैंपियरगंज, टांडा, अकबरपुर, जलालपुर, बलरामपुर, कपिलवस्तु, डुमरियागंज, देवरिया, पथरदेवा, रामपुर कारखाना,,बरहज, रसड़ा, बलिया, फेफना, बलिया नगर, फरेंदा, नौतनवा, खलीलाबाद, कटिहारी, तुलसीपुर, उतरौला, रुद्रपुर है. इन्हीं सीटों में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत बीजेपी और समाजवादी पार्टी बसपा के कई महत्वपूर्ण नेता चुनावी मैदान में हैं जिनकी किस्मत का फैसला 3 मार्च को हो जाएगा. इसी फेस में योगी सरकार के आधा दर्जन मंत्रियों की भी साख दांव पर लगी है. योगी सरकार के मंत्री सूर्य प्रताप शाही, उपेंद्र तिवारी, स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह, जयप्रकाश निषाद, रामस्वरूप शुक्ला, सतीश द्विवेदी, श्री राम चौहान मैदान में हैं. इसके अलावा विपक्ष में समाजवादी पार्टी की तरफ से रामगोविंद चौधरी,माता प्रसाद पांडे, लालजी वर्मा, पूर्व मंत्री राममूर्ति वर्मा, राज किशोर सिंह ,राम अचल राजभर, बीजेपी से छोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल हुए कद्दावर नेता स्वामी प्रसाद मौर्य और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू की किस्मत भी दांव पर है.

दस जिलों की जिन सीटों पर चुनाव हो रहे हैं उनमें साल 2017 के विधानसभा चुनाव में लगभग सभी सीटों पर बीजेपी ने अपनी जीत का परचम लहराया था. इन 57 सीटों में से साल 2017 के चुनाव में बीजेपी की 46 सीटें आई थी. जबकि समाजवादी पार्टी को 2 सीटें, बहुजन समाज पार्टी को 5 सीटें और कांग्रेस को केवल एक सीट मिली थी. सुभाषपा और अपना दल को भी एक-एक सीट मिली थी. इसके अलावा एक सीट निर्दलीय ने भी जीती थी. पिछली बार से उलट सीटों की संख्या के हिसाब से सबसे ज्यादा बड़ी चुनौती भारतीय जनता पार्टी के सामने हैं. क्योंकि उन्हें अपना पूर्व का परिणाम दोहराना होगा जिससे कि साबित हो सके भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने उत्तर प्रदेश में पिछले 5 वर्षों में जनता की उम्मीदों के हिसाब से काम किया है. इस बार बीजेपी के लिए फिछली जैसी जीत की राह इतनी आसान नजर नहीं आती क्योंकि सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के भारतीय जनता पार्टी से नाता तोड़कर समाजवादी पार्टी से जुड़ जाने से यहां के सियासी समीकरण बदल गए हैं. हालांकि बीजेपी ने इस फेस के चुनाव में कुछ सीटों पर निषाद पार्टी के साथ समझौता किया है, जिससे बीजेपी को उम्मीद है की होने वाले नुकसान से की भरपाई हो जाएगी.

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इस पूरे फेस में सबसे खास बात ये हैं पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ विधानसभा के चुनाव मैदान में हैं. गोरखपुर सदर सीट से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहली बार खुद विधायक बनने के लिए जोर लगा रहे हैं तो वही योगी के कई मंत्री और नेताओं की सीटों पर विपक्ष के उम्मीदवारों की तरफ से चुनौतियां भी हैं. इस फेज में सबसे ज्यादा पूर्वांचल के जिले हैं जो कभी बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी का बड़ा वोट बैंक हुआ करते थे. पिछले कुछ सालों में सत्ता में रहते हुए बीजेपी सरकार ने पूर्वांचल के कई इलाकों में बहुत से ऐसे काम किए हैं जिसके चलते उन्हें उम्मीद है कि बसपा और सपा का पारंपरिक वोटर बीजेपी के साथ जुड़ने का काम करेगा.

अब देखना ये कि कि राजनीतिक दलों की तरफ से बनाई गई व्यूह रचना में कौन कितना सफल रहता है क्योकि हर फेज की तरह इस बार भी वोटर ही तय करेगा कि उसके मन में क्या है.

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