हैदराबादः धड़कते दिल को लेकर दौड़ी मेट्रो, 30 मिनट में पूरा किया 21 km का सफर

अपोलो अस्पताल की एक टीम ने तकरीबन 4 बजकर 40 मिनट पर अपनी यात्रा शुरू की और ट्रेन 30 मिनट के भीतर 16 स्टेशनों को पार करते हुए अपने गंतव्य तक पहुंच गई.
Hyderabad Heart Transportation Metro: अपोलो अस्पताल (Apollo Hospital) की एक टीम ने तकरीबन 4 बजकर 40 मिनट पर अपनी यात्रा शुरू की और ट्रेन 30 मिनट के भीतर 16 स्टेशनों को पार करते हुए अपने गंतव्य तक पहुंच गई. अगर मेडिकल टीम सड़क के रास्ते इस सफर को तय करती तो उसे 1 घंटे से ज्यादा का समय लगता.
- News18Hindi
- Last Updated: February 3, 2021, 12:25 AM IST
नई दिल्ली. देश का ये पहला मामला है, जब एक व्यक्ति के शरीर से निकाले गए हृदय को प्रत्यारोपण के लिए मेट्रो के जरिए दूसरे अस्पताल ले जाया गया हो. हैदराबाद (Hyderabad) के दो अस्पतालों के बीच मंगलवार को ऐसा हुआ है, जब एक स्पेशल मेट्रो ट्रेन से मेडिकल एक्सपर्ट की टीम प्रत्यारोपण के लिए निकाले गए हृदय को लेकर अस्पताल पहुंची. दोनों अस्पतालों के बीच की दूरी 21 किलोमीटर थी और ये यात्रा 30 मिनट से भी कम समय में पूरी कर ली गई. दरअसल मंगलवार की दोपहर को हैदराबाद मेट्रो रेल ने नगोले और जुबली हिल्स के बीच स्पेशल ग्रीन कॉरिडोर बनाया, ताकि एलबी नगर स्थित कामिनेनी अस्पताल से जुबली हिल्स स्थित अपोलो अस्पताल ट्रांसपोर्ट किया जा सके, जहां भर्ती एक मरीज को हृदय का प्रत्यारोपण किया जाना था. अपोलो अस्पताल (Apollo Hospital) की एक टीम ने तकरीबन 4 बजकर 40 मिनट पर अपनी यात्रा शुरू की और ट्रेन 30 मिनट के भीतर 16 स्टेशनों को पार करते हुए अपने गंतव्य तक पहुंच गई. अगर मेडिकल टीम सड़क के रास्ते इस सफर को तय करती तो उसे 1 घंटे से ज्यादा का समय लगता.
हैदराबाद मेट्रो रेल लिमिटेड (HMRL) के मैनेजिंग डायरेक्टर एनवीएस रेड्डी ने कहा कि ये पहली बार था जब एक जीवित हृदय को ट्रांसपोर्ट करने के लिए स्पेशल मेट्रो ट्रेन चलाई गई. एल एंड टी मेट्रो रेल हैदराबाद लिमिटेड के एमडी और सीईओ केवीबी रेड्डी ने दोनों अस्पतालों को धन्यवाद देते हुए कहा कि हमें एक व्यक्ति के जीवन को बचाने का मौका मिला और इसके प्रति हम आभार जताते हैं. उन्होंने एक आधिकारिक बयान में कहा, "हमने सुरक्षा व्यवस्था का पूरा ध्यान रखा. नगोले और जुबली हिल्स के बीच ट्रेन के नॉन स्टॉप संचालन के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया और जीवन बचाने के लिए हृदय का ट्रांसपोर्टेशन पूरी सक्षमता के साथ सरल तरीके से अंजाम दिया गया."

रेड्डी के मुताबिक सभी स्टेशनों को ट्रेन के परिचालन के बारे में जानकारी दी गई थी और जुबली हिल्स चेक पोस्ट स्टेशन पर एक एंबुलेंस भी तैयार रखी गई थी, ताकि बिनी किसी देरी के हृदय को लक्षित अस्पताल तक पहुंचाया जाए. उन्होंने कहा कि स्पेशल ट्रेन में प्रत्यारोपण के लिए निकाले गए हृदय के साथ केवल मेडिकल एक्सपर्ट की टीम ही सवार थी. अपोलो अस्पताल के डॉ. एजीके गोखले ने कहा कि 44 वर्षीय एक मरीज गंभीर अवस्था में भर्ती था और उसे हृदय प्रत्यारोपण की जरूरत थी. इसी बीच अपोलो अस्पताल को कामिनेनी अस्पताल में एक 45 वर्षीय ब्रेन डेड व्यक्ति की हृदय की उपलब्धता का पता चला.
उन्होंने कहा, "दोनों अस्पताल शहर के दो छोर पर थे और उनके बीच ट्रैफिक को पार करना एक बड़ी चुनौती थी. सामान्य तौर पर सफर करने पर दोनों अस्पतालों के बीच एक घंटे का समय लगता है. अगर किसी व्यक्ति का हृदय प्रत्यारोपण के लिए निकाला जाता है तो उसे चार घंटे के भीतर काम शुरू कर देना चाहिए."

उन्होंने कहा, "हेलिकॉप्टर की कमी को देखते हुए मेट्रो से सफर ही सबसे मुफीद विकल्प लगा. मेट्रो से यात्रा के जरिए आधे घंटे से 45 मिनट का समय बचा लिया गया. हैदराबाद मेट्रो की ओर से बेहतरीन सहयोग मिला."
हैदराबाद मेट्रो रेल लिमिटेड (HMRL) के मैनेजिंग डायरेक्टर एनवीएस रेड्डी ने कहा कि ये पहली बार था जब एक जीवित हृदय को ट्रांसपोर्ट करने के लिए स्पेशल मेट्रो ट्रेन चलाई गई. एल एंड टी मेट्रो रेल हैदराबाद लिमिटेड के एमडी और सीईओ केवीबी रेड्डी ने दोनों अस्पतालों को धन्यवाद देते हुए कहा कि हमें एक व्यक्ति के जीवन को बचाने का मौका मिला और इसके प्रति हम आभार जताते हैं. उन्होंने एक आधिकारिक बयान में कहा, "हमने सुरक्षा व्यवस्था का पूरा ध्यान रखा. नगोले और जुबली हिल्स के बीच ट्रेन के नॉन स्टॉप संचालन के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया और जीवन बचाने के लिए हृदय का ट्रांसपोर्टेशन पूरी सक्षमता के साथ सरल तरीके से अंजाम दिया गया."

रेड्डी के मुताबिक सभी स्टेशनों को ट्रेन के परिचालन के बारे में जानकारी दी गई थी और जुबली हिल्स चेक पोस्ट स्टेशन पर एक एंबुलेंस भी तैयार रखी गई थी, ताकि बिनी किसी देरी के हृदय को लक्षित अस्पताल तक पहुंचाया जाए. उन्होंने कहा कि स्पेशल ट्रेन में प्रत्यारोपण के लिए निकाले गए हृदय के साथ केवल मेडिकल एक्सपर्ट की टीम ही सवार थी. अपोलो अस्पताल के डॉ. एजीके गोखले ने कहा कि 44 वर्षीय एक मरीज गंभीर अवस्था में भर्ती था और उसे हृदय प्रत्यारोपण की जरूरत थी. इसी बीच अपोलो अस्पताल को कामिनेनी अस्पताल में एक 45 वर्षीय ब्रेन डेड व्यक्ति की हृदय की उपलब्धता का पता चला.

उन्होंने कहा, "हेलिकॉप्टर की कमी को देखते हुए मेट्रो से सफर ही सबसे मुफीद विकल्प लगा. मेट्रो से यात्रा के जरिए आधे घंटे से 45 मिनट का समय बचा लिया गया. हैदराबाद मेट्रो की ओर से बेहतरीन सहयोग मिला."