नई दिल्ली. केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार जल्द ही आईएएस (कैडर) नियम, 1954 (IAS (Cadre) Rule, 1954) में संशोधन करने जा रही है. इस संशोधन के प्रस्ताव के संबंध में हाल ही में राज्य सरकारों से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए आईएएस अफसरों की सूची भेजने के निर्देश दिए गए. जिसे लेकर विवाद खड़ा हो गया है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (CM Mamata Banerjee) ने इस प्रस्ताव पर कड़ी आपत्ति जताई है. इस संबंध में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को पत्र भी लिखा है. प्राप्त जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार 31 जनवरी से शुरू होने वाले संसद के आगामी सत्र में यह संशोधन पेश कर सकती है. केंद्र ने इसके लिए 25 जनवरी से पहले राज्यों से जवाब मांगा है.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री को लिखे अपने पत्र में कहा कि इससे अधिकारियों में ‘भय का माहौल’ पैदा होगा एवं उनका कार्य-निष्पादन प्रभावित होगा. आठ दिनों में इस विषय पर दूसरी बार मोदी को लिखे पत्र में बनर्जी ने कहा कि संशोधन से संघीय तानाबाना एवं संविधान का मूलभूत ढांचा ‘नष्ट’ हो जाएगा. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर केंद्र अपने इस फैसले पर पुनर्विचार नहीं करता है तो ‘बड़ा आंदोलन’ किया जाएगा.
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मैं आपसे केंद्र सरकार के इस कदम पर सहृदय पुनर्विचार करने एवं इस प्रस्तावित संशोधन की दिशा में आग नहीं बढ़ने की अपील करती हूं. मैं आपसे अनुरोध करती हूं कि हमें इस मुद्दे पर इस हद तक नहीं धकेला जाए कि हम इस महान लोकतंत्र , जो भारत है एवं रहा है, की आत्मा की रक्षा की खातिर बड़े आंदोलन के लिए विवश हो जाएं.’’
बनर्जी ने यह भी कहा कि यदि प्रस्तावित बदलाव लागू किये गये तो इससे केंद्र एवं राज्य के बीच एक दूसरे की भावना के सम्मान के जज्बे को ‘अपूरणीय’ क्षति पहुंचेगी.
क्या है आईएएस (कैडर) नियम, 1954
आईएएस (कैडर) नियम, 1954 के मुताबिक यूं तो अधिकारियों की भर्ती केंद्र करता है, लेकिन जब उन्हें उनके राज्य कैडर आवंटित किए जाते हैं, तो वे राज्य सरकार के अधीन आ जाते हैं. इस तरह संघीय ढांचा काम करता है. आईएएस कैडर नियमों के अनुसार एक अधिकारी को संबंधित राज्य सरकार और केंद्र सरकार की सहमति से ही केंद्र सरकार या किसी अन्य राज्य सरकार के अधीन सेवा के लिए प्रतिनियुक्त किया जा सकता है.
इस नियम के मुताबिक किसी भी असहमति के स्थिति में केंद्र सरकार फैसला लेती है और राज्य सरकार द्वारा केंद्र सरकार के निर्णय को लागू किया जाता है. केंद्र को अधिक विवेकाधीन अधिकार देने वाले प्रतिनियुक्ति के मामले में यह नियम मई 1969 में जोड़ा गया था.
प्रस्ताव में कर्मिक मंत्रालय ने क्या कहा
वहीं कार्मिक मंत्रालय ने आईएएस (कैडर) नियम, 1954 में बदलाव वाले प्रस्ताव में कहा, ‘‘इसके परिणामस्वरूप केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए उपलब्ध अधिकारियों की संख्या केंद्र में जरूरत को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है.’’
नियमों में बदलाव के लिए केंद्र ने प्रस्ताव दिया है कि प्रत्येक राज्य सरकार मौजूदा नियमों के तहत निर्धारित केंद्रीय प्रतिनियुक्ति रिजर्व की सीमा तक विभिन्न स्तरों के पात्र अधिकारियों को केंद्र सरकार को प्रतिनियुक्ति के लिए उपलब्ध कराएगी.
नये नियम संबंधी प्रस्ताव के अनुसार केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति में भेजे जाने वाले अधिकारियों की वास्तविक संख्या केंद्र सरकार संबंधित राज्य सरकार के साथ परामर्श से तय करेगी. इसमें कहा गया है कि किसी तरह की असहमति की स्थिति में निर्णय केंद्र सरकार करेगी और संबंधित राज्य सरकारें निश्चित समय में केंद्र सरकार के निर्णय को लागू करेंगी.
मौजूदा नियमों में इस तरह की असहमतियों की स्थिति में फैसले के लिए कोई समयसीमा का उल्लेख नहीं है.
नियमों में बदलाव का प्रस्ताव 20 दिसंबर, 2021 को सभी राज्य सरकारों के मुख्य सचिवों को भेजा गया था. उन्हें पांच जनवरी, 2022 तक अपनी टिप्पणी देने को कहा गया था.
केंद्र सरकार ने पिछले साल जून में उप सचिव, निदेशक और संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारियों की कमी का हवाला देते हुए राज्य सरकारों से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए और अधिक अधिकारियों को भेजने को कहा था.
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