ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव! अंटार्कटिका से टूटा मुंबई से दो गुना बड़े आकार का हिमखंड

(तस्वीर British Antarctic Survey के ट्विटर वॉल से साभार)
इस हिमखंड (Massive Iceberg) का आकार 1270 वर्ग किलोमीटर का है. यानी इसका आकार मुंबई शहर का तकरीबन दो गुना है. ये हिमखंड ब्रिटिश रिसर्च स्टेशन के नजदीक टूटा है. हालांकि कहा जा रहा है कि इससे रिसर्च स्टेशन को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है.
- News18Hindi
- Last Updated: March 3, 2021, 5:24 PM IST
नई दिल्ली. अंटार्कटिका (Antarctica) में एक बेहद बड़े आकार के हिमखंड (Massive Iceberg) के टूटने की खबर आई है. एक्सपर्ट एजेंसियों के मुताबिक इस हिमखंड का आकार 1270 वर्ग किलोमीटर का है. यानी इसका आकार मुंबई शहर का तकरीबन दो गुना है. अगर वैश्विक शहरों से तुलना की जाए तो मुंबई का आकार 233 स्क्वायर मील है तो न्यूयॉर्क का 302 स्क्वायर मील है.
ये हिमखंड ब्रिटिश रिसर्च स्टेशन के नजदीक टूटा है. हालांकि कहा जा रहा है कि इससे रिसर्च स्टेशन को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है. लेकिन इस घटना ने ग्लोबल वार्मिंग के खतरे को लेकर एक बार फिर आगाह किया है.
हिमखंड कैल्विंग की प्रक्रिया के कारण अलग हुआ
वैज्ञानिकों ने बताया है कि ये हिमखंड कैल्विंग की प्रक्रिया के कारण अलग हुआ है. इस टुकड़े में पहले भी दरारें देखी गई थीं. इसी वजह से इसके टूटने की आशंकाएं भी जताई गई थीं. ग्लोबल वार्मिंग से इसके जुड़ाव को लेकर भी तथ्यों की पड़ताल की जा रही है. ग्लोबल वार्मिंग की वजह से ग्लेशियर पिघलने की घटनाओं पर वैश्विक स्तर पर चिंता जाहिर की जा चुकी है.मामला ग्लोबल वार्मिंग से जुड़ा हुआ हो सकता है
कुछ विशेषज्ञों के मुताबिक ये मामला ग्लोबल वार्मिंग से जुड़ा हुआ हो सकता है. इसके लिए समुद्र के बढ़ते तापमान को भी वजह माना जा रहा है.
दुनियाभर से हजारों शोधकर्ता हर साल पहुंचते हैं
अंटार्कटिका में रिसर्च के लिए दुनियाभर से हजारों शोधकर्ता हर साल पहुंचते हैं. ये शोधकर्ता अंटार्कटिका के रहस्यों का पता लगाने के साथ जलवायु परिवर्तन पर भी निगाह रखते हैं. दुनिया के सबसे ठंडे क्षेत्र में शुमार किए जाने वाले इस इलाके में तापमान -90 डिग्री तक भी पहुंच जाता है.
ये हिमखंड ब्रिटिश रिसर्च स्टेशन के नजदीक टूटा है. हालांकि कहा जा रहा है कि इससे रिसर्च स्टेशन को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है. लेकिन इस घटना ने ग्लोबल वार्मिंग के खतरे को लेकर एक बार फिर आगाह किया है.
हिमखंड कैल्विंग की प्रक्रिया के कारण अलग हुआ
वैज्ञानिकों ने बताया है कि ये हिमखंड कैल्विंग की प्रक्रिया के कारण अलग हुआ है. इस टुकड़े में पहले भी दरारें देखी गई थीं. इसी वजह से इसके टूटने की आशंकाएं भी जताई गई थीं. ग्लोबल वार्मिंग से इसके जुड़ाव को लेकर भी तथ्यों की पड़ताल की जा रही है. ग्लोबल वार्मिंग की वजह से ग्लेशियर पिघलने की घटनाओं पर वैश्विक स्तर पर चिंता जाहिर की जा चुकी है.मामला ग्लोबल वार्मिंग से जुड़ा हुआ हो सकता है
दुनियाभर से हजारों शोधकर्ता हर साल पहुंचते हैं
अंटार्कटिका में रिसर्च के लिए दुनियाभर से हजारों शोधकर्ता हर साल पहुंचते हैं. ये शोधकर्ता अंटार्कटिका के रहस्यों का पता लगाने के साथ जलवायु परिवर्तन पर भी निगाह रखते हैं. दुनिया के सबसे ठंडे क्षेत्र में शुमार किए जाने वाले इस इलाके में तापमान -90 डिग्री तक भी पहुंच जाता है.