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बिहार में नीतीश-भाजपा सीट शेयरिंग फॉर्मूले के लिए BJP सांसद ही बन सकते हैं मुसीबत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ नीतीश कुमार (फाइल)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ नीतीश कुमार (फाइल)

नीतीश कुमार बिहार में अपने आप को 'बड़े भाई' के तौर पर आंक रहे हैं, जबकि बीजेपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर लो ...अधिक पढ़ें

    अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) समेत सभी पार्टियों ने अपनी तैयारी तेज कर दी है. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं में जोश भरने के लिए एक के बाद एक विभिन्न राज्यों का दौरा कर रहे हैं. पार्टी कैडर को मजबूत करने के लिए बीजेपी अध्यक्ष रणनीति बनाने में लगे हैं. इन सबके बीच सबकी निगाह बिहार में एनडीए  गठबंधन पर टिकी हैं, क्योंकि सीट शेयरिंग को लेकर बीजेपी और इसके मौजूदा सांसदों के बीच एकराय नहीं बन पा रही है.

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    बड़ा सवाल है कि क्या नीतीश कुमार, रामविलास पासवान और उपेंद्र कुशवाहा एकसाथ चुनाव लड़ेंगे? अगर तीनों साथ आएंगे तो उनका सियासी फॉर्मूला क्या होगा? वहीं, अगर नीतीश कुमार बीजेपी से अलग हुए, तो बिहार में राजनीतिक परिदृश्य क्या होगा.


    दरअसल, नीतीश कुमार बिहार में अपने आप को 'बड़े भाई' के तौर पर आंक रहे हैं, जबकि बीजेपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहती है. ऊपर से सीट बंटवारे को लेकर अलग विवाद है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, बिहार की 40 सीटों के बंटवारे में बीजेपी अगर राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी यानी उपेंद्र कुशवाहा को साथ लेकर चलती है तो बीजेपी खुद 16, जेडीयू 16, रामविलास पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी को 6 और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी को 2 सीट मिल सकती है.

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    इन कयासों के बीच अगर राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी साथ नहीं आई, तो जेडीयू और बीजेपी 17-17 सीटों के साथ चुनावी मैदान में होगी, जबकि 6 सीटें लोक जनशक्ति पार्टी को मिलेगी. इस फॉर्मूले पर बीजेपी जिसके पास अभी 22 सीटिंग सांसद हैं, वह खुद 2 और सीटों पर नज़र गड़ाए हुए हैं. ऐसे में अगर सभी के हिसाब से सीटों का बंटवारा हुआ, तो बीजेपी के सीटिंग सांसद ही पार्टी के लिए मुश्किल पैदा कर सकते हैं.


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    बीजेपी के जीते हुए सांसद पार्टी से विद्रोह कर किसी अन्य राजनीतिक दल का दामन थाम सकते हैं, जो एनडीए की राह में रोड़ा के तौर पर सामने आएंगे. हालांकि अभी चुनाव में वक्त है, इसलिए सीट शेयरिंग का फॉर्मूला सितंबर के पहले हफ्ते तक तय होना है, जिससे बिहार के राजनीतिक परिदृश्य और भविष्य दोनों की दशा और दिशा तय होगी.

    Tags: Bjp jdu, Nitish kumar

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