नई दिल्ली. पूर्वी लद्दाख (Eastern Ladakh) में हुई संघर्ष के बाद भारत-चीन (India-China) के बीच विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. दोनों देशों के बीच अब तक कई उच्च-स्तरीय वार्ता हो चुकी है. इन्हीं सबके बीच भारत ने चीन की उस दावे को खारिज कर दिया है कि जिसमें ड्रैगन ने कहा कि 3488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर बुनियादी ढांचों को अपग्रेड करने के कारण दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति बनी हुई है. चीन को करार जवाब देते हुए भारत ने कहा, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) पहले से ही वहां मौजूद है. भारत ने यह भी दावा किया है की पीएलए ने सीमा के उस पार सड़कों और नेटवर्क का काम विवाद के बाद भी जारी रखा हुआ है. इसके लिए भारत ने चीन को 3 कारण भी गिनवाए हैं.
पहलाः इस मामले पर एक वरिष्ठ अधिकारी ने हिंदुस्तान टाइम के साथ बातचीत में कहा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा उद्घाटन किए गए पुल एलएसी से दूर हैं और ये पुल नागरिकों की आवाजाही और सैन्य सामानों को सीमा तक पहुंचाने में मदद करेंगे.
दूसराः चीन ने कभी भी चल रही सैन्य-कूटनीतिक वार्ता में भारत के इन्फ्रास्ट्रक्चर अपग्रेड के मुद्दे को नहीं उठाया.
तीसराः एलएसी के करीब सड़क, पुल, ऑप्टिकल फाइबर, सोलर-हीटेड हट्स और मिसाइल तैनाती के बारे में पीएलए का क्या कहना है? वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि भारत केवल एलएसी के किनारे पर ही कोई निर्माण कर रहा है और इसके लिए किसी भी तरह से चीन की इजाजत लेने की आवश्यकता नहीं है.
सैन्य कमांडरों के अनुसार, PLA ने प्रतियोगिता गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स में सुरक्षित संचार के लिए ऑप्टिकल फाइबर खींचा है, पंगोंग त्सो के उत्तरी किनारे पर आगे के सैनिकों के लिए आवास के रूप में सौर गर्म कंटेनरों को छोड़ने के लिए भारी-लिफ्ट क्रेन का इस्तेमाल किया है और गहराई में एक अस्पताल बनाया है उच्च ऊंचाई की बीमारी और चिकित्सा संबंधी समस्याओं को पूरा करने के लिए क्षेत्र दुर्लभ वातावरण से जुड़ा हुआ है.
क्या है चिंता का कारण?
वहीं, एलएसी पर चीन पर नजर रखने वाले का कहना है, पीपीएलए के लद्दाख में भारतीय बुनियादी ढांचे के उन्नयन के बारे में चिंता का कारण यह है कि यह पाकिस्तान को खंजरब दर्रा और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से गुजरने वाले अरबों डॉलर के पाकिस्तान आर्थिक गलियारे या सीपीईसी के लिए एक सैन्य खतरा पैदा कर सकता है. यह समझा जाता है कि चीन ने CPEC को लेकर अपने सभी मौसम सहयोगी के पाकिस्तान को अपनी चिंताओं से अवगत कराया है, क्योंकि भारत ने बीजिंग को पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र और पीओके का शोषण करने पर बहुत सख्त आपत्ति जताई है.undefined
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FIRST PUBLISHED : October 15, 2020, 05:51 IST