COVID-19 in India: मृत्यु दर घटना अच्छा संकेत, पर भारत देख सकता है कोरोना की कई पीक: विशेषज्ञ

कोरोना को लेकर विशेषज्ञों ने किए दावे.
Coronavirus in India: यह दावा भारत के तीन बड़े डॉक्टर्स- डॉ. रणदीप गुलेरिया, डॉ. गगनदीप कांग, डॉ. चंद्रकांत जहरिया ने 'टिल वी विन: इंडियाज फाइट अगेंस्ट कोविड-19 पैनडेमिक' नामक किताब में किया है.
- News18Hindi
- Last Updated: November 2, 2020, 8:05 AM IST
नई दिल्ली. भारत में कोरोना वायरस संक्रमण (Coronavirus) के मामलों में अक्टूबर में रिकॉर्ड कमी देखने को मिली. अब देश में रोजाना नए केस में भी गिरावट आ रही है. भारत में कोरोना वायरस संक्रमण (Covid 19) की मृत्यु दर भी कम हो रही है. हालांकि इन सबके बावजूद विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि भारत अब भी कोरोना वायरस संक्रमण (Coronavirus in India) की कई पीक (multiple Peak) देख सकता है. उनके अनुसार देश में मृत्यु दर घटना अच्छा संकेत है, लेकिन यह कोरोना केस के उच्च स्तर यानी पीक से नहीं जुड़ा है और भारत मल्टीपल पीक देख सकता है. यह दावा भारत के तीन बड़े डॉक्टर्स- डॉ. रणदीप गुलेरिया, डॉ. गगनदीप कांग, डॉ. चंद्रकांत जहरिया ने 'टिल वी विन: इंडियाज फाइट अगेंस्ट कोविड-19 पैनडेमिक' नामक किताब में किया है.
तीनों ही डॉक्टर्स ने किताब में यह भी दावा किया है कि कोविड 19 या कोरोना वायरस संक्रमण का किसी व्यक्ति को दोबारा होना काफी दुर्लभ है. अगर ऐसा होता है तो यह सिर्फ कोरोना के हल्के लक्षण उत्पन्न करता है. इसके साथ ही इस तरह के भी सबूत मिले हैं कि किसी व्यक्ति में कोविड 19 के प्री सिम्टोमैटिक केस कोरोना के सभी लक्षणों के ग्रसित किसी मरीज की तरह संक्रामक हो सकता है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक यह किताब कोविड 19 महामारी के बारे में तीन प्रमुख मुद्दों पर केंद्रित है. कोविड-19 दूसरी रेस्पिरेटरी बीमारी या श्वसन रोग की तरह क्यों नहीं है, सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया और फ्रंटलाइन से कहानियां और वैक्सीन की राह में डॉक्टरों, नीति निर्माताओं व जनता के लिए भविष्य का रोडमैप तैयार करना.
यह भी पढ़ें: राजस्थान में इस दिवाली नहीं चलेंगे पटाखे, Corona के कारण गहलोत सरकार ने लगाई रोककिताब में कोरोना संक्रमण के बाद के प्रभाव के बारे में भी विवरण है. इसे लॉन्ग कोविड कहा जाता है. जो महामारी का अगला संकट हो सकता है. डॉ. गुलेरिया ने इस पर कहा, 'जब हमने शुरुआत की, तो हमारा मुख्य उद्देश्य मामलों को कम करना और मौतों को रोकना सुनिश्चित करना था. अब हमारे पास एक ऐसी स्थिति है जहां हम यह महसूस कर रहे हैं कि वायरल संक्रमण के मामले से विपरीत कोविड-19 कुछ हद तक कोविड 19 के बाद के प्रभाव को बढ़ा सकता है. कई में यह बहुत हल्का होता है और वे कुछ हफ्तों के भीतर ठीक हो जाते हैं, लेकिन कुछ मरीजों में यह फेफड़े और हृदय जैसे अंगों को महत्वपूर्ण नुकसान पहुंचा सकता है. हमें लंबे समय तक देखभाल प्रदान करने में सक्षम होने के अगले चरण में जाने की जरूरत है.'

उन्होंने कहा कि वे कोरोना वायरस की वैक्सीन के मोर्चे पर चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. डॉ. गुलेरिया ने कहा, 'इस बात की बहुत उम्मीद है कि हमारे पास अगले साल की शुरुआत में वैक्सीन होंगी. हालांकि, बहुत सारे बदलाव भी होंगे. हमारे पास वैक्सीन के कई कैंडिडेट हैं. पहले वाला सबसे बेहतर नहीं हो सकता है और हमारे पास बाद में अधिक रोग प्रतिरोधात्मक और सुरक्षित टीके हो सकते हैं. इसलिए हम कैसे तय करेंगे कि हमारे पास एक टीका या कई टीके होंगे या विभिन्न समूहों को अलग-अलग टीकाकरण प्राप्त होगा, और कैसे क्या हम उन्हें पूरी आबादी में वितरित करते हैं. इन मुद्दों पर किताब में बात की गई है.'
तीनों ही डॉक्टर्स ने किताब में यह भी दावा किया है कि कोविड 19 या कोरोना वायरस संक्रमण का किसी व्यक्ति को दोबारा होना काफी दुर्लभ है. अगर ऐसा होता है तो यह सिर्फ कोरोना के हल्के लक्षण उत्पन्न करता है. इसके साथ ही इस तरह के भी सबूत मिले हैं कि किसी व्यक्ति में कोविड 19 के प्री सिम्टोमैटिक केस कोरोना के सभी लक्षणों के ग्रसित किसी मरीज की तरह संक्रामक हो सकता है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक यह किताब कोविड 19 महामारी के बारे में तीन प्रमुख मुद्दों पर केंद्रित है. कोविड-19 दूसरी रेस्पिरेटरी बीमारी या श्वसन रोग की तरह क्यों नहीं है, सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया और फ्रंटलाइन से कहानियां और वैक्सीन की राह में डॉक्टरों, नीति निर्माताओं व जनता के लिए भविष्य का रोडमैप तैयार करना.
यह भी पढ़ें: राजस्थान में इस दिवाली नहीं चलेंगे पटाखे, Corona के कारण गहलोत सरकार ने लगाई रोककिताब में कोरोना संक्रमण के बाद के प्रभाव के बारे में भी विवरण है. इसे लॉन्ग कोविड कहा जाता है. जो महामारी का अगला संकट हो सकता है. डॉ. गुलेरिया ने इस पर कहा, 'जब हमने शुरुआत की, तो हमारा मुख्य उद्देश्य मामलों को कम करना और मौतों को रोकना सुनिश्चित करना था. अब हमारे पास एक ऐसी स्थिति है जहां हम यह महसूस कर रहे हैं कि वायरल संक्रमण के मामले से विपरीत कोविड-19 कुछ हद तक कोविड 19 के बाद के प्रभाव को बढ़ा सकता है. कई में यह बहुत हल्का होता है और वे कुछ हफ्तों के भीतर ठीक हो जाते हैं, लेकिन कुछ मरीजों में यह फेफड़े और हृदय जैसे अंगों को महत्वपूर्ण नुकसान पहुंचा सकता है. हमें लंबे समय तक देखभाल प्रदान करने में सक्षम होने के अगले चरण में जाने की जरूरत है.'
उन्होंने कहा कि वे कोरोना वायरस की वैक्सीन के मोर्चे पर चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. डॉ. गुलेरिया ने कहा, 'इस बात की बहुत उम्मीद है कि हमारे पास अगले साल की शुरुआत में वैक्सीन होंगी. हालांकि, बहुत सारे बदलाव भी होंगे. हमारे पास वैक्सीन के कई कैंडिडेट हैं. पहले वाला सबसे बेहतर नहीं हो सकता है और हमारे पास बाद में अधिक रोग प्रतिरोधात्मक और सुरक्षित टीके हो सकते हैं. इसलिए हम कैसे तय करेंगे कि हमारे पास एक टीका या कई टीके होंगे या विभिन्न समूहों को अलग-अलग टीकाकरण प्राप्त होगा, और कैसे क्या हम उन्हें पूरी आबादी में वितरित करते हैं. इन मुद्दों पर किताब में बात की गई है.'