Navy में शामिल होगा ट्रैकिंग शिप, समु्द्र में कर सकता है चील जैसी निगरानी

भारतीय नौसेना में शामिल होगा खास सर्विलांस पोत. (File pic- Indian navy twitter)
रक्षा एवं अनुसंधान विकास संस्थान (DRDO) और भारतीय नौसेना (Indian Navy) सहित अन्य एजेंसियों के सहयोग से पोत का विकास किया गया है.
- भाषा
- Last Updated: March 17, 2021, 7:27 AM IST
नई दिल्ली. सामरिक मिसाइल प्रक्षेपण और पानी के भीतर होने वाली गतिविधियों पर नजर रखने में सक्षम भारत का सर्विलांस पोत (Surveillance Ship) सेवा में शामिल होने के लिए लगभग तैयार है. इससे जुड़े लोगों ने इस आशय की सूचना दी. इस पोत के माध्यम से अपने दुश्मनों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए भारत की सर्विलांस क्षमता इससे काफी बढ़ जाएगी.
उन्होंने बताया कि गोपनीय सामरिक परियोजना के तहत हो रहा पोत निर्माण पूरा हो गया है और उसके सेवा में शामिल होने के साथ भारत उन कुछ देशों में शुमार हो जाएगा जिनके पास मिसाइल ट्रैकिंग पोत हैं. फिलहाल सिर्फ अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन और फ्रांस के पास ऐसे पोत हैं.
ऊपर जिन अधिकारियों का हवाला दिया गया है, उनमें से एक ने कहा, ‘‘पोत को आधिकारिक रूप से अगले कुछ महीने में सेवा में शामिल किए जाने की संभावना है.’’ उन्होंने बताया कि पोत के काम करने से पहले सभी महत्वपूर्ण परीक्षण/जांच किए जा रहे हैं.
उन्होंने बताया कि पोत से प्राप्त सूचनाओं/डेटा को भारत के दुश्मनों की गतिविधियों पर नजर रखने वाली शीर्ष खुफिया एजेंसियों के साथ साझा किए जाने की संभावना है. इस पोत का निर्माण विशाखापत्तनम में 2014 में हिन्दुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड में शुरू हुआ.
रक्षा एवं अनुसंधान विकास संस्थान (डीआरडीओ) और भारतीय नौसेना सहित अन्य एजेंसियों के सहयोग से पोत का विकास किया गया है. क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव के मद्देनजर भारत भी हिन्द महासागर में अपनी सर्विलांस गतिविधियों को विस्तार दे रहा है.
उन्होंने बताया कि गोपनीय सामरिक परियोजना के तहत हो रहा पोत निर्माण पूरा हो गया है और उसके सेवा में शामिल होने के साथ भारत उन कुछ देशों में शुमार हो जाएगा जिनके पास मिसाइल ट्रैकिंग पोत हैं. फिलहाल सिर्फ अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन और फ्रांस के पास ऐसे पोत हैं.
ऊपर जिन अधिकारियों का हवाला दिया गया है, उनमें से एक ने कहा, ‘‘पोत को आधिकारिक रूप से अगले कुछ महीने में सेवा में शामिल किए जाने की संभावना है.’’ उन्होंने बताया कि पोत के काम करने से पहले सभी महत्वपूर्ण परीक्षण/जांच किए जा रहे हैं.
रक्षा एवं अनुसंधान विकास संस्थान (डीआरडीओ) और भारतीय नौसेना सहित अन्य एजेंसियों के सहयोग से पोत का विकास किया गया है. क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव के मद्देनजर भारत भी हिन्द महासागर में अपनी सर्विलांस गतिविधियों को विस्तार दे रहा है.