नई दिल्ली: रूस और यूक्रेन की जंग (Russia and Ukraine war) के चलते कई बड़े सैन्य हथियारों, जहाजों और सैन्य हेलिकॉप्टर्स के पुर्जों की सप्लाई बाधित हुई है, और इस समस्या से दुनिया के वो सभी देश दो चार हो रहे है जो कि सोवियत एरा के हथियार या विमानों का इस्तेमाल कर रहे हैं. इसी कड़ी में भारत भी एक ऐसा देश है जो कि इस समस्या से जूझ रहा है पहले सुखोई 30 के अपग्रेडेशन पर खतरे के बादल मंडरा रहे थे और अब हेलिकॉप्टर की सर्विसिंग भी पुर्जों की कमी के चलते बाधित हो रही है.
3 दशक से ज्यादा समय से दे रहे हैं ये हेलिकॉप्टर्स सेवाएं
Mi-17 हेलिकॉप्टर जो कि पिछले 3 दशक से ज़्यादा वक्त से भारतीय वायुसेना में अपनी सेवाएं दे रहे हैं वे 2028 से फेजआउट होना शुरू हो जाएंगे. ऐसे में इन हेलिकॉप्टर की सर्विसिंग अब एक बड़ी चुनौती बन गई है. पार्ट्स रूस से नहीं मिल रहे लिहाजा इन हेलिकॉप्टर को सर्विस करने के लिए उन हेलिकॉप्टर के पुर्जे इसेतमाल किए जा रहे हैं जो कि फिलहाल ग्राउंडेड है यानी की ऑप्रेशनल नहीं हैं. रूस के Mi सीरीज के हेलिकॉप्टर की खास बात तो ये है कि इसके पुर्जे दूसरे Mi हेलिकॉप्टर में इसेतमाल में लाए जा सकते है.
दूसरे हेलिकॉप्टर्स के पुर्जे लगाए जा रहे हैं
सूत्रों के मुताबिक फिलहाल अटैक हेलिकॉप्टर Mi-35 के पार्टस के इस्तेमाल से Mi-17 को सर्विस किया जा रहा है. भारतीय वायुसेना के पास Mi-35 अटैक हैलिकॉप्टर के दो स्क्वडर्न थे जिसमें से एक स्क्वडर्न से भी कम हेलिकॉप्टर ऑप्रेशनल है और इस कमी को पूरा करने के लिए अमेरिका से 22 अपाचे हेलिकॉप्टर को भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया है. अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो फिलहाल वायुसेना के पास 60 के करीब Mi-17 हेलिकॉप्टर हैं और वो 2028 से फेजआउट होना शुरू हो जाएंगे.
अगले साल से हेलिकॉप्टर्स का शुरू हो सकता है रिव्यू
सूत्रों के मुताबिक भारतीय वायुसेना Mi-17 का अगले साल से रिव्यू भी शुरू कर सकती है. इस रिव्यू में ये जांचा जाएगा की कितने हेलिकॉप्टर अपनी एक तयशुदा उम्र यानी 40 साल से ज़्यादा भी सेवाएं दे सकते हैं. इनमें से जितने भी हेलिकॉप्टर इस रिव्यू में खरा नहीं उतरेंगे उतने हेलिकॉप्टर भारतीय वायुसेना में कम हो जाएंगे, क्योंकि अभी नए हेलिकॉप्टर खरीदने की योजना नही है.
भारतीय वायुसेना के पास फ़िलहाल सबसे उन्नत मीडियम लिफ्ट हेलिकॉप्टर के तौर पर रूस से लिए तकरीबन 140 Mi-17V5 हेलिकॉप्टर शामिल हैं, जो कि हाल ही में रूस से लिये गए है.
रूसी हेलिकॉप्टर्स पर निर्भरता कम करने की कोशिशें तेज
आत्मनिर्भर भारत मुहीम के चलते भविष्य में रूसी हेलिकॉप्टर से निर्भरता को कम करने की कोशिशें भी तेज हैं, और इसी कड़ी में हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड स्वदेशी मीडियम लिफ्ट हेलिकॉप्टर को विकसित करने में जुटा है. हालांकि कोरोना के चलते थोड़ी देरी जरूर हुई है लेकिन IMRH यानी इंडियन मल्टी रोल हैलिकॉप्टर को विकसित करने का काम जोरशोर से चलाया जा रहा है.
एचएएल के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक IMRH प्रोजेक्ट रिपोर्ट लगभग तैयार है और ये रिपोर्ट पूरी होने के बाद इसे मंज़ूरी के लिए भारत सरकार के पास भेजा जाएगा. एक अनुमान के तहत अगर अलगे साल तक भी इस IMRH प्रोजेक्ट को मंजूरी मिलती है तो अलगे सात साल हेलिकॉप्टर को बानाने में लगेंगे और साल 2030 तक पहला हैलिकॉप्टर बनकर तैयार हो जाएगा.
Mi सीरीज़ के रूसी हेलिकॉप्टर ऑफेंसिव और यूटिलिटी के लिए भी इसेतमाल में लाए जाते है उसी तर्ज़ पर स्वदेशी IMRH को भी विकसित किया जा रहा है. खास बात तो ये है कि भारतीय सेना के तीनों अंगों को भी इसी हेलिकॉप्टर के डिज़ाइन एंड डेवलपमेंट में शामिल किया गया है ताकी वो भी अपनी अपनी ज़रूरतें बता सके. एक अनुमान के तौर पर ये पूरा प्रोजेक्ट 10 हज़ार करोड़ से ज़्यादा का है और भविष्य में सेना के तीनों अंगों की जरूरत को पूरा कर सकता है.
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