विजय माल्या के खिलाफ भारतीय बैंकों ने खटखटाया लंदन हाईकोर्ट का दरवाजा

भारतीय बैंकों के कंसोर्टियम ने ऋण की वसूली मामले में लंदन हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. फाइल फोटो
भगोड़े विजय माल्या के खिलाफ ये मामला ऋण की वसूली से जुड़ा है. माल्या के वकील ने कहा कि भारतीय बैकों (Public Sector Bank) को प्रतिभूति का अधिकार छोड़ने की छूट नहीं है, क्योंकि उनमें जनता का पैसा लगा है.
- News18Hindi
- Last Updated: December 19, 2020, 11:21 PM IST
लंदन. भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व में भारतीय बैंकों के एक समूह ने भगोड़े शराब व्यवसायी विजय माल्या (Vijay Mallya) के खिलाफ फिर लंदन हाईकोर्ट का दरवाजा खटकाया है. मामला बंद हो चुकी किंगफिशर एयरलाइंस को दिए गए ऋण की वसूली से जुड़ा है. ऋणशोधन एवं कंपनी मामलों की सुनाई करने वाली पीठ के मुख्य न्यायाधीश माइकल ब्रिग्स ने शुक्रवार को मामले की वीडियो संपर्क से सुनवाई की.
इस दौरान माल्या (Vijay Mallya) और बैंकों के समूह दोनों की ओर से भारतीय सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों ने दोनों की कानूनी स्थिति के पक्ष और विपक्ष में दलीलें पेश की. दोनों पक्षों ने ब्रिटेन में माल्या के खिलाफ दिवाला आदेश के पक्ष-विपक्ष में अपनी दलीलें पेश की.
बैंकों ने जहां माल्या से धन की वसूली ब्रिटेन में करने के लिए उनकी भारतीय परिसंपत्तियों की प्रति भूति छोड़ने का अधिकार होने का दावा किया. इसके विपरीत माल्या के वकील ने कहा कि भारत में सार्वजनिक क्षेत्र (Public Sector Bank) के बैंकों को प्रतिभूति का अधिकार छोड़ने की छूट नहीं है क्योंकि उनमें जनता का पैसा लगा है.
बैंकों के समूह की ओर से पेश वकील मार्सिया शेखरडेमियन ने कहा कि "एक वाणिज्यिक इकाई के तौर पर बैंकों को उसके पास रेहन रखी परिसंपत्तियों पर अपने अधिकार के बारे में जब वह चाहे तब वाणिज्यिक फैसले लेने का अधिकार है."
उन्होंने माल्या (Vijay Mallya) की तरफ से पेश सेवानिवृत्त न्यायाधीश दीपक वर्मा की इन दलीलों का विरोध किया कि बैंक अपने पास रेहन रखी भारतीय परिसंपत्तियों पर अपना अधिकार त्याग कर ब्रिटिश कानून के तहत दिवाला प्रक्रिया नहीं अपना सकते.
इस दौरान माल्या (Vijay Mallya) और बैंकों के समूह दोनों की ओर से भारतीय सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों ने दोनों की कानूनी स्थिति के पक्ष और विपक्ष में दलीलें पेश की. दोनों पक्षों ने ब्रिटेन में माल्या के खिलाफ दिवाला आदेश के पक्ष-विपक्ष में अपनी दलीलें पेश की.
बैंकों ने जहां माल्या से धन की वसूली ब्रिटेन में करने के लिए उनकी भारतीय परिसंपत्तियों की प्रति भूति छोड़ने का अधिकार होने का दावा किया. इसके विपरीत माल्या के वकील ने कहा कि भारत में सार्वजनिक क्षेत्र (Public Sector Bank) के बैंकों को प्रतिभूति का अधिकार छोड़ने की छूट नहीं है क्योंकि उनमें जनता का पैसा लगा है.
बैंकों के समूह की ओर से पेश वकील मार्सिया शेखरडेमियन ने कहा कि "एक वाणिज्यिक इकाई के तौर पर बैंकों को उसके पास रेहन रखी परिसंपत्तियों पर अपने अधिकार के बारे में जब वह चाहे तब वाणिज्यिक फैसले लेने का अधिकार है."
उन्होंने माल्या (Vijay Mallya) की तरफ से पेश सेवानिवृत्त न्यायाधीश दीपक वर्मा की इन दलीलों का विरोध किया कि बैंक अपने पास रेहन रखी भारतीय परिसंपत्तियों पर अपना अधिकार त्याग कर ब्रिटिश कानून के तहत दिवाला प्रक्रिया नहीं अपना सकते.