चीन से सीमा विवाद के बीच भारत और फ्रांस की वायुसेनाओं के राफेल विमानों का युद्धाभ्यास

राफेल विमान अपनी ताकत दुनिया को दिखा रहे हैं. (तस्वीर ANI)
इस युद्धाभ्यास में अन्य विमानों के अलावा दोनों वायुसेनाओं के राफेल फाइटर जेट (Rafale Fighter Jet) भी हिस्सा ले रहे हैं. एक्स डेजर्ट नाइट-21 नाम का यह युद्धाभ्यास 24 जनवरी तक चलेगा.
- News18Hindi
- Last Updated: January 21, 2021, 5:33 PM IST
नई दिल्ली. भारत और फ्रांस की वायुसेना (Indian-French Airforce) का युद्धाभ्यास 'डेजर्ट नाइट वारगेम्स' (Desert Night Wargames) बुधवार को जोधपुर एयरबेस पर शुरू हो गया. इस युद्धाभ्यास में अन्य विमानों के अलावा दोनों वायुसेनाओं के राफेल फाइटर जेट (Rafale Fighter Jet) भी हिस्सा ले रहे हैं. एक्स डेजर्ट नाइट-21 नाम का यह युद्धाभ्यास 24 जनवरी तक चलेगा. जोधपुर से लेकर पाकिस्तान बॉर्डर तक दोनों देशों की वायुसेना अपने अपने फाइटर प्लेन से ताकत का अहसास करवाएंगी. भारत ने आखिरी बार जुलाई 2019 में फ्रांसीसी वायु सेना के साथ एक बड़ा अभ्यास किया था.
युद्धाभ्यास का मकसद दोनों देशों के युद्धकौशल को और निखारना है
इस युद्धाभ्यास में देश के सबसे घातक फाइटर प्लेन राफेल के अलावा सुखोई-30 और अन्य फाइटर प्लेन एक साथ उड़ान भरकर दुश्मन देशों को अपनी ताकत का अहसास करवाएंगे. फ्रांस की वायुसेना मौजूदा समय में स्काईरॉस डिप्लॉयमेंट के तहत एशिया में तैनात है. इस युद्धाभ्यास का मकसद दोनों देशों की क्षमताओं का प्रदर्शन करते हुये प्रोफेशनल प्रेक्टिस का इस्तेमाल कर युद्धकौशल को और निखारना है.
फ्रांसीसी वायुसेना के चार राफेल विमान रहे हैं हिस्सा
अपने तरह के इस पहले युद्धाभ्यास में फ्रांस की तरफ से चार राफेल विमान हिस्सा ले रहे हैं. ये विमान फ्रांस के जीबूती एयरबेस से चलकर जोधपुर पहुंचे हैं. इस युद्धाभ्यास को दोनों देशों की सेनाओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
समुद्र में चीन को अपनी ताकत दिखा चुके हैं क्वाड देश
गौरतलब है कि भारत बीते महीनों के दौरान क्वाड देशों के साथ नैवल एक्सरसाइज कर समुद्र में अपनी ताकत चीन को दिखा चुका है. क्वाड देशों की तरफ से चीन को स्पष्ट संदेश दिया गया था.
राफेल डील
बता दें कि फ्रांस और भारत के बीच राफेल विमानों के लिए 60,000 करोड़ रुपये की डील हुई है. इसके तहत तहत भारत को 36 राफेल लड़ाकू विमान मिलेंगे. फ्रांस से सौदे के तहत राफेल का आखिरी विमान 2022 के अंत तक मिलने की संभावना है. भारत को राफेल की दूसरी खेप पिछले साल नवंबर में मिली थी.
युद्धाभ्यास का मकसद दोनों देशों के युद्धकौशल को और निखारना है
इस युद्धाभ्यास में देश के सबसे घातक फाइटर प्लेन राफेल के अलावा सुखोई-30 और अन्य फाइटर प्लेन एक साथ उड़ान भरकर दुश्मन देशों को अपनी ताकत का अहसास करवाएंगे. फ्रांस की वायुसेना मौजूदा समय में स्काईरॉस डिप्लॉयमेंट के तहत एशिया में तैनात है. इस युद्धाभ्यास का मकसद दोनों देशों की क्षमताओं का प्रदर्शन करते हुये प्रोफेशनल प्रेक्टिस का इस्तेमाल कर युद्धकौशल को और निखारना है.
Indo-French air exercise “#DesertKnight21” underway at Air Force Station Jodhpur, 20-24 January 2021.
For the first time @IAF_MCC 🇮🇳 & @Armee_de_lair 🇫🇷 have deployed #Rafale jets together - a powerful symbol of soaring #InFra dosti.https://t.co/BpxboUnMHR— Emmanuel Lenain (@FranceinIndia) January 20, 2021
फ्रांसीसी वायुसेना के चार राफेल विमान रहे हैं हिस्सा
अपने तरह के इस पहले युद्धाभ्यास में फ्रांस की तरफ से चार राफेल विमान हिस्सा ले रहे हैं. ये विमान फ्रांस के जीबूती एयरबेस से चलकर जोधपुर पहुंचे हैं. इस युद्धाभ्यास को दोनों देशों की सेनाओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
समुद्र में चीन को अपनी ताकत दिखा चुके हैं क्वाड देश
गौरतलब है कि भारत बीते महीनों के दौरान क्वाड देशों के साथ नैवल एक्सरसाइज कर समुद्र में अपनी ताकत चीन को दिखा चुका है. क्वाड देशों की तरफ से चीन को स्पष्ट संदेश दिया गया था.
राफेल डील
बता दें कि फ्रांस और भारत के बीच राफेल विमानों के लिए 60,000 करोड़ रुपये की डील हुई है. इसके तहत तहत भारत को 36 राफेल लड़ाकू विमान मिलेंगे. फ्रांस से सौदे के तहत राफेल का आखिरी विमान 2022 के अंत तक मिलने की संभावना है. भारत को राफेल की दूसरी खेप पिछले साल नवंबर में मिली थी.