कर्नाटक के तुमाकुरु में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की सबसे बड़े हेलिकॉप्टर फ़ैक्ट्री का उद्घाटन किया. (फोटो ANI)
नई दिल्ली. अब भारत सैन्य उपकरण के उत्पादन का बड़ा केंद्र बनता जा रहा है. उसी कड़ी में देश के सबसे बड़े हेलिकॉप्टर फ़ैक्ट्री को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) देश को समर्पित किया. कर्नाटक के तुमाकुरु (Tumakuru) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ़ैक्ट्री के उद्घाटन किया. हिंदुस्तान एरोनॉटिकस लिमिटेड यानी की HAL की इस फ़ैक्ट्री में सेना के लाइट यूटिलिटी हेलिकॉप्टर तैयार किए जाएंगे. अगर इस लाइट यूटिलिटी हेलिकॉप्टर से भारतीय सेना में लंबे समय से इस्तेमाल में लाए जा रहे चीता और चेतक हेलिकॉप्टरों को बदला जाएगा. अभी तक चीता हेलिकॉप्टर हाई ऑलटेट्यूड एरिया में सेना का लाइफ़ लाइन कहा जाता है जिससे सेना के राशन, कैजुअल्टी इवैक्यूशन और रेकी के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है और हल्का होने की वजह से ये ख़राब मौसम में भी उडान भरने की क़ाबलियत रखता है. चूंकि ये अब फेज आउट होने वाले हैं तो इसकी जगह ये नए लाइट यूटिलिटी हेलिकॉप्टर लेंगे.
ये हेलिकॉप्टर नाइट विजन तकनीक से लैस होंगे जो कि रात को भी अपने ऑप्रेशन को आसानी से अंजाम दे सकेंगे. इस हेलिकॉप्टर में 6 लोगों के बैठने की जगह है जबकि 4 वीआईपी सीटिंग या इंमर्जेंसी में दो स्ट्रेचर मेडिकल रेसक्यू में भी बदला जा सकता है. इस हेलिकॉप्टर अधिकतम क्रूज़ रफ़्तार 235 किलोमीटर प्रतिघंटा है और ये 260 किलोमीटर प्रतिघंटा से ज़्यादा तेज नहीं उड़ सकेगा. एक बार के फ़्यूल के साथ ये 3 घंटे तक उड़ान भर सकता है और 500 किलो वजन के साथ ये 350 किलोमीटर तक उड़ान भर सकता है. साथ ही 1000 किलो तक का लोड उठा कर उड़ान भर सकता है. चूंकि चीता हेलिकॉप्टर दुनिया में इकलौता हेलिकॉप्टर हो जो कि सियाचिन के हाई ऑलटेट्यूड में आसानी से उड़ान भरते हुए लैंड और टेकऑफ भी कर सकता है. लिहाजा LUH में इस तरह के ऑप्रेशन को अंजाम देने की क़ाबलियत है.
हेलिकॉप्टर में लगाया गया है शक्ति इंजन
इस हेलिकॉप्टर में जो इंजन लगा है वो HAL और फ़्रांस की सैफरॉन के ज्वाइंट वेंचर से बना शक्ति इंजन इसमें लगाया गया है. HAL ने 3 टन वज़नी एक इंजन वाले लाइट यूटिलिटी हेलिकॉप्टर को डिज़ाइन और डेवलप किया है और पहले लाइट यूटिलिटी हेलिकॉप्टर का फ़्लाइट टेस्ट किया जा चुका है. साल 2016 में पीएम ने इस फ़ैक्ट्री की आधारशिला रखी थी. इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि सैकड़ों सैन्य उपकरण भारत में बन रहे हैं और उन्हें सेना इस्तेमाल कर रही है. पीएम ने कहा कि 2014 से पहले के 15 साल में जितना निवेश एरोस्पेस सेक्टर में में हुआ उसका पाँच गुना पिछल 8-9 सालों में हो चुका है. हम अपने सेना को मेड इन इंडिया को दे रहे हैं तो डिफेंस एक्सपोर्ट भी कई गुणा ज़्यादा हो गया है.
हेलिकॉप्टर फ़ैक्ट्री के आस पास के छोटे कारोबार का भी बल मिलेगा
आने वाले दिनों में तुमकुरू में सैंकड़ों हेलिकॉप्टर बनने वाले है. जब इस तरह उत्पाद फ़ैक्ट्री लगती है तो सेना की ताक़त बढ़ती है. साथ ही तुमकुरू की हेलिकॉप्टर फ़ैक्ट्री के आस पास के छोटे कारोबार का भी बल मिलेगा. ये पूरी फ़ैक्ट्री 615 एकड़ में फैली हुई है जहां सालाना 30 हेलिकॉप्टर बनाने की क्षमता है और ज़रूरत पड़ने पर चरणबद्ध तरीक़े से सालाना इसे बढ़ाकर 60 और 90 किया जा सकेगा. HAL मीडियम लिफ्ट हेलिकॉप्टर IMRH यानी की इंडियन मल्टी रोल हेलिकॉप्टर पर तेज़ी से काम कर रहा है. अभी भारतीय सेना रूसी मिडियम लिफ्ट हेलिकॉप्टर Mi-17 और हैवि लिफ्ट चिनूक अमेरिका से ले रहा है. इसके अलवा नौसेना के लिए नए रोमियो हेलिकॉप्टर की ख़रीद की गई है जबकि अटैक हेलिकॉप्टर अपाचे भी अमेरिका से लिया गया है.
एयरक्राफ्ट निर्माण में आत्मनिर्भरता की ओर
भारत सेना के लिए जितने भी प्रोजेक्ट पर काम कर रही है उसमें प्राथमिकता स्वदेशी है. HAL एडवांस लाइट हेलिकॉप्टर ध्रुव , वेपेनाइजड एडवांस लाइट हेलिकॉप्टर रुद्र और लाइट अटैक हेलिकॉप्टर प्रचंड का भी निर्माण यही देश में हो रहा है और अब लाइट यूटिलिटी हेलिकॉप्टर भी देश में तैयार हो रहा है. कह सकते है कि हेलिकॉप्टर निर्माण में भारत अगले कुछ साल में पूरी तरह से आत्मनिर्भर हो सकता है. इसके अलावा फिक्सड विंग डॉर्नेयर और HTT ट्रेनर एयरक्रफ्ट भी HAL बना रही है तो रूस से लिए गए सुखोई 30 भी HAL में ही असैंबल किया जा रहा है.
दुनिया के सबसे ख़तरनाक अटैक हेलिकॉप्टर अपाचे
दुनिया के सबसे ख़तरनाक अटैक हेलिकॉप्टर अपाचे ख़रीदे जिनमें से 22 भारतीय वायुसेना को मिल चुके हैं तो 6 थलसेना के लिए गए है. अगले साल की शुरुआत में भारतीय थलसेना को उनका पहला अपाचे अटैक हेलिकॉप्टर मिल सकता है. पिछले महीने जनवरी में ही टाटा एडवांसड सिस्टम लिमिटेड और बोईग के ज्वाइंट वेंचर टाटा बोईंग एरोस्पेस लिमिटेड ने सेना के पहले अपाचे का फियुजलेज यानी की अपाचे का फ्रेम तैयार किया. ख़ास बात तो ये है कि हैदराबाद स्थित इस फ़ैसिलिटी में अब तक 200 से ज्यादा अपाचे के फ्रेम तैयार कर चुकी है और दुनिया के अन्य देशों को सप्लाई करने के लिए बोइंग इसे अपनी एरिज़ोना फ़ैसिलिटी पर तैयार कर रही है.
पहली बार कोई भारतीय प्राइवेट कंपनी मिलिट्री एयरक्राफ्ट बनाएगी
इसके अलवा भारतीय वायुसेना के पुराने हो चुके एवरो एयरक्रफ्ट को बदलने के लिए स्पेन से लिए जा रहे C-295 भी देश में ही पहली बार कोई निजी कंपनी देश में स्पेन की मदद से विमान बनाएंगे. उस विमान के निर्माण के लिए बनाई जाने वाली फैसेलिटी की आधारशिला खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 30 अक्टूबर कोरखी स्पेन की एयरबस कंपनी से 56 C-295MW ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ़्ट के लिए करार किया था. और भारत में एयरबस का पार्टनर टाटा कंसॉर्टियम है. पहली बार कोई भारतीय प्राइवेट कंपनी मिलिट्री एयरक्राफ्ट बनाएगी. दरअसल 60 के दशक से भारतीय वायुसेना में सेवाए दे रहे एवरो छोटे ट्रांसपोर्टर विमानों को अब स्पेन के C-295MW से बदला जाएगा. इन 56 विमानो में से 16 विमान स्पेन से पूरी तरह से तैयार होकर फ़्लाईवे कंडीशन आएंगे बाकी बचे 40 एयरक्रफ्ट वडोदरा की फ़ैसिलिटी में तैयार होंगे. ये नए एयरक्राफ़्ट की माल ढोने की क्षमता 5 से 10 टन की है इस एयरक्राफ़्ट से सैनिक और कार्गो को पैरा ड्राप करने के लिए रीयर रैंप डोर भी है.
जो एयरक्रफ्ट रिटायर होने वाले है उनका विकल्प भी ढूँढा जा रहा
भारतीय वायुसेना मौजूदा ट्रांसपोर्ट फ्लीट की एक असेसमेंट स्टडी भी करा रही है जिसके मुताबिक़ आने वाले दिनों में जो एयरक्रफ्ट रिटायर होने वाले है उनका विकल्प भी ढूँढा जा रहा है. फ़िलहाल भारतीय वायुसेना में एवरो के अलावा भारतीय वायुसेना के पास C-17 ग्लोबल मास्टर, C-130 सुपर हरक्यूलिस , AN-32 और IL 76 ट्रांसपोर्ट विमान है. AN-32 और IL 76 भी पुराने हो चले है. AN-32 साल 2032 के बाद सेना में रिटायर होने शुरू हो जाएंगे जबकि IL -76 कुछ और साल अपनी सेवाएँ देंगे. और AN-32 के रिप्लेसमेंट के लिए मिडियम ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट की रिक्वेस्ट फ़ॉर इंफॉरमेशन भी वायुसेना की तरफ़ से जारी की गई है. आरएफआई के जरिए इंडियन वेंडर से पूछा गया है कि वह किस तरह का ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट दे सकते हैं जो एयरफोर्स की जरूरत पूरी करे. वायुसेना एयरफोर्स यह खरीद इंडियन वेंडर से ही करेगी. मिडियम ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट 18 से 30 टन के कार्गो कैरिंग कैपेसिटी वाले ट्रांसपोर्ट होना चाहिए AN-32 की तरह ही ये मल्टी रोल होना चाहिए जिसमें सैनिकों को ले जाने, सामान ले जाने, सामान ड्रॉप करने, घायलों को निकालने, कॉम्बेट फ्री फॉल आदि के लिए इस्तेमाल किया जाएगा. बहरहाल जिस तेज़ी भारत एयरक्रफ्ट उत्पादन के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है आने वाले दिन में ये कहना ग़लत नहीं होगा कि भारत दुनिया को स्वदेशी विमान बेचेगा.
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Tags: Helicopter, Karnataka, Pm narendra modi
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