50th Anniversary of India-Pakistan War 1971: 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध का जिक्र आते ही हमारे जेहन में अक्सर दो ही तस्वीरें उभर कर सामने आती हैं. पहली तस्वीर, सरहद को पाक सैनिकों की कब्रगाह बनाते भारतीय जांबाजों की और दूसरी तस्वीर, दुश्मन के टैंकों व लड़ाकू विमानों को जमींदोज करते भारतीय लड़ाकू विमानों की. इन दोनों तस्वीरों के इतर 1971 के भारत-पाक युद्ध की एक तीसरी तस्वीर है और यह तस्वीर है भारतीय नौसेना की. जी हां, इस युद्ध में भारतीय नौसेना पाकिस्तान पर काल बनकर बरसी थी. 1971 के युद्ध में पाकिस्तान की कमर तोड़ने में भारतीय नौसेना की भूमिका बेहद अहम रही थी.
1971 के भारत-पाक युद्ध में भारतीय नौसेना ने पाकिस्तानी नौसेना को संभलने का मौका भी नहीं दिया था. पाकिस्तानी नौसेना इस युद्ध के लिए खुद को तैयार करती, इससे पहले भारतीय नौसेना ने पाक नौसेना बेडे़ में तबाही मचानी शुरू कर दी थी. 13 दिन चले इस युद्ध में पाकिस्तान के 18 माल वाहक जहाज, सात तोप नावों, 3 गश्तीदल वाहक नावों, तीन तटरक्षक गश्ती जहाज, दो ध्वंसक युद्धपोत, एक माइन स्वीपर, एक पनडुब्बी और आपूर्ति संचार पोत को जलमग्न कर दिया गया था. इतना ही नहीं, अनवर बख़्श, पास्नी एवं मधुमति नाम के तीन मर्चेंट और 10 छोटे जहाजों को भारतीय नौसेना ने अपने कब्जे में ले लिया था.
पाक नौसेना के खिलाफ भारतीय नौसेना का ‘ऑपरेशन त्रिशूल’
भारतीय नौसेना ने 4/5 दिसंबर 1971 को कराची बंदरगाह से अपनी कार्रवाई की शुरूआत की थी. इस कार्रवाई को ‘ऑपरेशन त्रिशूल’ का नाम दिया गया था. इस ऑपरेशन का नेतृत्व पश्चिमी मोर्चे पर भारतीय नौसेना की पश्चिमी नेवल कमान के वाइस एडमिरल सुरेंद्र नाथ कोहली ने किया था. इस ऑपरेशन के तहत, भारतीय नौसेना ने कराची बंदरगाह पर ओसो मिसाइल नावों से हमला किया था. इस हमले में भारतीय नौसेना ने पाकिस्तान के ध्वंसक युद्धपोत पीएनएस खायबर, पीएनएस मुहाफिज और माइन स्वीप को जलमग्न कर दिया था. इस हमले में पाक नौसेना का पीएनएस शाहजहां बुरी तरह क्षतिग्रस्त किया गया था.
पाक नौसेना के खिलाफ भारतीय नौसेना का ‘ऑपरेशन पायथन’
ऑपरेशन त्रिशूल में भारतीय नौसेना ने पाकिस्तान के व्यापारिक पोत के साथ ईधन भंडारण को भी नष्ट कर दिया था. भारतीय नौसेना के इस ऑपरेशन त्रिशूल ने न केवल पाकिस्तान की सैन्य क्षमता को, बल्कि आर्थिक तौर पर एक बड़ी चोट दी थी. भारतीय नौसेना ने पाकिस्तान को दूसरी चोट 8/9 दिसंबर 1971 को ऑपरेशन पायथन के जरिए दी. 8/9 दिसंबर 1971 की रात भारतीय नौसेना ने स्टाइक्स प्रक्षेपास्त्र से हमला किया. इस हमले में बड़े ईंधन टैंक, तीन पाकिस्तानी व्यापारी बेड़े और कराची बंदरगाह में खड़े विदेशी जहाज को भी क्षतिग्रस्त कर दिया गया था.
आईएनएस विक्रांत ने पश्चिमी पाकिस्तान को किया अलग-थलग
भारतीय नौसेना ने दूसरा मोर्चा भारतीय पूर्वी नेवल कमान ने वाइस एडमिरल नीलकांत कृष्णन के नेतृत्व में बंगाल की खाड़ी से खोला था. वाइस एडमिरल नीलकांत कृष्णन ने बंगाल की खाड़ी में आईएनएस विक्रांत को तैनात कर पाकिस्तान के लिए बड़ा नौसैनिक अवरोध खड़ा कर दिया था. भारतीय नौसेना के इस कदम से पश्चिमी और पूर्वी पाकिस्तान एक-दूसरे से अलग-थलग पड़ गए थे. 4 दिसंबर 1971 को विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत उड़ान भरने वाले सी-हॉक लड़ाकू बम वर्षक विमानों ने चटगांव एवं कॉक्स बाज़ार सहित पूर्वी पाकिस्तान के कई तटवर्ती नगरों व कस्बों पर हमला का पाक सेना को तहस नहस कर दिया था.
पाकिस्तान के टोही विमान ने नष्ट किया अपना ही पीएनएस ज़ुल्फ़िकार
भारतीय नौसेना की कार्रवाई के बाद, पाकिस्तान ने हमले के लिए पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस के टोही युद्धक विमान को रवाना किया. इस टोही युद्धक विमान ने पाकिस्कान के अपने ही पीएनएस ज़ुल्फ़िकार पर हमला कर दिया. इस हमले में पाकिस्तान का पीएनएस ज़ुल्फ़िकार बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था. साथ ही, इस युद्धपोत में सवार पाक नौसेना के अधिकारी एवं सैकड़ों कर्मचारी गंभीर रूप से हताहत हो गए थे.
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