नागरिकता बिल के पारित न हो पाने से क्या नॉर्थ-ईस्ट में बीजेपी को है खतरा?
पीएम मोदी हमेशा इस बिल की तारीफ यह कहकर करते रहे हैं कि इससे उन धार्मिक अल्पसंख्यकों को न्याय मिलेगा जो कि बंटवारे के वक्त गलत साइड रह गए थे.
News18.com
Updated: February 14, 2019, 3:02 PM IST
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शांख्यनील सरकार
राज्यसभा में नागरिकता (संशोधन) विधेयक पारित न हो पाने के साथ ही पूरे पूर्वोत्तर में खुशी की लहर है. असम में इस बिल का विरोध कर रहे लोगों ने पटाखे भी फोडे़. न्यूज 18 से बात करते हुए आदिवासी कल्याण मंत्री और आईपीएफटी के महासचिव मेवाड़ कुमार जमातिया ने कहा, 'यह अच्छे के लिए हुआ है. पूर्वोत्तर के लोग अब अच्छे से रहेंगे. आईपीएफटी हर उस पार्टी को धन्यवाद देती है जिसने इस बिल का विरोध किया. मैं उनकी सराहना करता हूं.'
राजस्व मंत्री एनसी देबाराम ने सारी अफवाहों को दरकिनार करते हुए कहा, 'बीजेपी और आईपीएफटी गठबंधन जारी रहेगा. बिल अब ठंडे बस्ते में जा चुका है और 17 लोकसभा के गठन तक अब इसमें कुछ नहीं हो सकता.'
ये भी पढ़ें: Twitter CEO ने संसदीय समिति के सामने पेश होने से किया इनकारआईपीएफटी अध्यक्ष ने कहा, 'हमें विश्वास दिलाया गया था कि बिल को पास कराने में सभी लोगों का ध्यान रखा जाएगा.' उन्होंने कहा, 'जब तक ऐसा रहेगा पूर्वोत्तर की सरकारें बीजेपी के साथ मिलकर काम करती रहेंगी.'
आईएनपीटी नेता जगदीश देबाराम यह जानकर काफी खुश थे कि बिल राज्यसभा में पारित नहीं हो सका. उन्होंने कहा, 'यह पूर्वोत्तर राज्यो के लोगों की जीत है. यह देखकर अच्छा लगा कि नेशनल कांफ्रेंस, टीएमसी और दूसरी विपक्षी पार्टियों ने भी इसका विरोध किया.' उन्होंने कहा, 'बिल को लेकर विपक्षी पार्टियों की एकता की वजह से ही ऐसा हो सका है.' आगे उन्होंने कहा, 'इस बिल की वजह से बीजेपी की पोल खुल गई है.'
नॉर्थ-ईस्ट राज्यों के विरोध के बावजूद BJP को क्यों चाहिए सिटीजनशिप बिल?पीएम मोदी हमेशा इसकी तारीफ यह कहकर करते रहे हैं कि इससे उन धार्मिक अल्पसंख्यकों को न्याय मिलेगा जो कि बंटवारे के वक्त गलत साइड रह गए थे. पिछले सप्ताह जब वह असम दौरे पर थे तो उन्होंने कहा कि विपक्षी पार्टियां नागरिकता बिल को लेकर लोगों में भ्रम फैला रही हैं. बता दें कि अगर यह बिल पास हो जाता तो पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले धार्मिक अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता मिल जाती.
राज्यसभा में नागरिकता (संशोधन) विधेयक पारित न हो पाने के साथ ही पूरे पूर्वोत्तर में खुशी की लहर है. असम में इस बिल का विरोध कर रहे लोगों ने पटाखे भी फोडे़. न्यूज 18 से बात करते हुए आदिवासी कल्याण मंत्री और आईपीएफटी के महासचिव मेवाड़ कुमार जमातिया ने कहा, 'यह अच्छे के लिए हुआ है. पूर्वोत्तर के लोग अब अच्छे से रहेंगे. आईपीएफटी हर उस पार्टी को धन्यवाद देती है जिसने इस बिल का विरोध किया. मैं उनकी सराहना करता हूं.'
राजस्व मंत्री एनसी देबाराम ने सारी अफवाहों को दरकिनार करते हुए कहा, 'बीजेपी और आईपीएफटी गठबंधन जारी रहेगा. बिल अब ठंडे बस्ते में जा चुका है और 17 लोकसभा के गठन तक अब इसमें कुछ नहीं हो सकता.'
ये भी पढ़ें: Twitter CEO ने संसदीय समिति के सामने पेश होने से किया इनकारआईपीएफटी अध्यक्ष ने कहा, 'हमें विश्वास दिलाया गया था कि बिल को पास कराने में सभी लोगों का ध्यान रखा जाएगा.' उन्होंने कहा, 'जब तक ऐसा रहेगा पूर्वोत्तर की सरकारें बीजेपी के साथ मिलकर काम करती रहेंगी.'
आईएनपीटी नेता जगदीश देबाराम यह जानकर काफी खुश थे कि बिल राज्यसभा में पारित नहीं हो सका. उन्होंने कहा, 'यह पूर्वोत्तर राज्यो के लोगों की जीत है. यह देखकर अच्छा लगा कि नेशनल कांफ्रेंस, टीएमसी और दूसरी विपक्षी पार्टियों ने भी इसका विरोध किया.' उन्होंने कहा, 'बिल को लेकर विपक्षी पार्टियों की एकता की वजह से ही ऐसा हो सका है.' आगे उन्होंने कहा, 'इस बिल की वजह से बीजेपी की पोल खुल गई है.'
नॉर्थ-ईस्ट राज्यों के विरोध के बावजूद BJP को क्यों चाहिए सिटीजनशिप बिल?
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