ISI-RAW के बीच सीक्रेट चैनल, 2018 से बातचीत : भारत-पाकिस्तान के बीच ऐसे हुआ संघर्षविराम समझौता

25 फरवरी को भारत पाकिस्तान के बीच हुआ है सीजफायर. (File pic)
न्यूज18 को सरकारी सूत्रों ने इस बाबत जानकारी दी है कि इस सीजफायर (Ceasefire) की नींव 2018 में भारत और पाकिस्तान के वरिष्ठ इंटेलीजेंस ऑफिसर्स के बीच लंदन में एक के बाद एक हुईं कई सीक्रेट मीटिंग में पड़ी थी.
- News18Hindi
- Last Updated: March 23, 2021, 7:48 PM IST
प्रवीण स्वामी
नई दिल्ली. भारत और पाकिस्तान (India Pakistan) के बीच फरवरी में नियंत्रण रेखा यानी एलओसी (LoC) पर सीजफायर (Ceasefire) अमल में लाया गया है. न्यूज18 को सरकारी सूत्रों ने इस बाबत जानकारी दी है कि इस सीजफायर की नींव 2018 में भारत और पाकिस्तान के वरिष्ठ इंटेलीजेंस ऑफिसर्स के बीच लंदन में एक के बाद एक हुईं कई सीक्रेट मीटिंग में पड़ी थी. सूत्रों ने यह भी जानकारी दी है कि ये बैठकें पाकिस्तान के चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ कमर जावेद बाजवा और भारतीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल की ओर से प्राधिकृत की गई थीं.
सूत्रों ने जानकारी दी है कि 2018 में इमरान खान के पाकिस्तान का प्रधानमंत्री पद संभालने के बाद ही से इस वार्ता की शुरुआत हो गई थी. 2019 में जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलीजेंस (ISI) और भारतीय एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) के बीच वार्ता रुक गई थी. इस हमले के बाद दोनों देशों के बीच जंग जैसे हालात थे. कुछ महीने में दोनों देशों ने इस बात पर सहमति जताई कि इस सीक्रेट या गुप्त वार्ता को जारी रखा जाए. दोनों देशों के नेता बड़ी जंग के हालात के खतरे को कम करना चाहते थे.
हालांकि बातचीत में शामिल अफसर सेवा से रिटायर हो गए. इसके बाद नए प्रतिनिधियों को इस वार्ता की जिम्मेदारी सौंपी गई. न्यूज18 सुरक्षा के लिहाज से उनके नाम उजागर नहीं करेगा. भारतीय अफसर ने इस पर बयान देने के लिए किए गए संपर्क पर प्रतिक्रिया नहीं दी.
भारत और पाकिस्तान के बीच यह सीक्रेट वार्ता का खुलासा उस समय हुआ है जब कुछ रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि 25 फरवरी को भारत-पाकिस्तान के बीच हुए सीजफायर तक पहुंचने के लिए संयुक्त अरब अमीरात ने दोनों देशों के बीच बातचीत को बढ़ाने में मदद की. इस पूरी प्रक्रिया से संबंद्ध सूत्र ने न्यूज18 को बताया, 'कई देश भारत-पाकिस्तान के बीच शांति को बढ़ावा देना चाह रहे थे. लेकिन यह पूरी प्रक्रिया दोनों देशों के बीच ही हुई है. इसमें किसी भी तीसरे देश का हाथ नहीं है.'
जनरल बाजवा ने अक्टूबर 2018 में लंदन का दौरा किया था. इस दौरान उन्होंने ब्रिटेन के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल निकोलसन कार्टर और नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर मार्क सेडविल से मुलाकात की थी. इस दौरान उन्होंने किसी भी गलतफहमी के कारण परमाणु संपन्न भारत और पाकिस्तान के बीच उत्पन्न होने वाले किसी भी खतरे को कम करने के संबंध में विचार किया.
लंदन की स्कॉलर आयशा सिद्दिका के अनुसार, 'पाकिस्तानी सेना ब्रिटेन से करीब 2017 से ही संपर्क में थी. पाकिस्तानी सेना चाहती थी कि ब्रिटेन, अमेरिका और भारत से उसके संबंधों में सुधार के लिए मदद करे. जनरल बाजवा ने तर्क दिया कि रक्षा खर्च में कटौती और स्थायी रूप से जिहादी समूहों को बंद करने के उनके प्रयासों का समर्थन करने के लिए भारत के साथ शांति की आवश्यकता थी.
उस महीने के अंत में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने भारत से संपर्क किया. उसकी ओर से कहा गया कि वह पाकिस्तान आर्मी चीफ ऑफ स्टाफ की ओर से बातचीत के लिए प्राधिकृत किए गए हैं. इंटेलीजेंस से जुड़े सूत्रों ने बताया कि इस पहले संपर्क के बाद आईएसआई और रॉ के अफसर कम से कम तीन बार मिले और आतंकवाद जैसे मुद्दों पर चर्चा की.
सिद्दिका के अनुसार उस समय सिर्फ ब्रिटेन ही एक ऐसा पश्चिमी देश था, जो पाकिस्तान के साथ जुड़ाव को लेकर गंभीर था. जनरल बाजवा के भी ब्रिटेन से निजी रिश्ते हैं. उनकी बहू आसमा बाजवा वहीं रहती हैं. उनके भाई तारिक बाजवा और जावेद बाजवा भी वहीं रहते हैं.
दिल्ली में कुछ लोगों का मानना था कि सीक्रेट वार्ता प्रगति करेगी. भले ही उसे पाकिस्तान की सेना का सीधे तौर पर समर्थन प्राप्त था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए काफी प्रयास किए थे. यहां तक कि प्रधानमंत्री मोदी नवाज शरीफ की पोती की शादी में शामिल होने के लिए दिसंबर 2015 में अचानक लाहौर भी गए थे.
2016 की शुरुआत में आतंकवादियों ने पठानकोट में भारतीय वायुसेना के ठिकाने को निशाना बनाया था. पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ इसके दोषियों जैश-ए-मुहम्मद के खिलाफ कार्रवाई करने के वादों को पूरा करने में असमर्थ साबित हुए. उस साल के बाद भारत ने उरी आतंकवादी हमले पर प्रतिक्रिया व्यक्त की. और एलओसी के पार जाकर आतंकियों को निशाना बनाना.
2017 के आखिर में पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार लेफ्टिनेंट-जनरल नासिर खान जांजुआ ने बैंकॉक में भारतीय एनएसए अजित डोभाल से गुप्त रूप से मुलाकात की ताकि बिगड़ते रिश्तों को सुधारा जा सके. लेकिन यह प्रयास विफल रहा था.

2019 में पुलवामा में आतंकवादी हमले के बाद खैबर-पख्तूनख्वा के बालाकोट में जैश के ठिकाने पर भारतीय वायुसेना ने हमले किए. इसके बाद लंदन में हो रही बातचीत समाप्ति की ओर आ गई. एक खुफिया अधिकारी ने कहा, 'वहां बातचीत जारी रखने के लिए कोई बिंदु नहीं था.'
(यह खबर अंग्रेजी की खबर का अनुवाद है. इसकी असल कॉपी पढ़ने के लिए यहां CliCk करें.)
नई दिल्ली. भारत और पाकिस्तान (India Pakistan) के बीच फरवरी में नियंत्रण रेखा यानी एलओसी (LoC) पर सीजफायर (Ceasefire) अमल में लाया गया है. न्यूज18 को सरकारी सूत्रों ने इस बाबत जानकारी दी है कि इस सीजफायर की नींव 2018 में भारत और पाकिस्तान के वरिष्ठ इंटेलीजेंस ऑफिसर्स के बीच लंदन में एक के बाद एक हुईं कई सीक्रेट मीटिंग में पड़ी थी. सूत्रों ने यह भी जानकारी दी है कि ये बैठकें पाकिस्तान के चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ कमर जावेद बाजवा और भारतीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल की ओर से प्राधिकृत की गई थीं.
सूत्रों ने जानकारी दी है कि 2018 में इमरान खान के पाकिस्तान का प्रधानमंत्री पद संभालने के बाद ही से इस वार्ता की शुरुआत हो गई थी. 2019 में जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलीजेंस (ISI) और भारतीय एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) के बीच वार्ता रुक गई थी. इस हमले के बाद दोनों देशों के बीच जंग जैसे हालात थे. कुछ महीने में दोनों देशों ने इस बात पर सहमति जताई कि इस सीक्रेट या गुप्त वार्ता को जारी रखा जाए. दोनों देशों के नेता बड़ी जंग के हालात के खतरे को कम करना चाहते थे.

भारत और पाकिस्तान के बीच यह सीक्रेट वार्ता का खुलासा उस समय हुआ है जब कुछ रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि 25 फरवरी को भारत-पाकिस्तान के बीच हुए सीजफायर तक पहुंचने के लिए संयुक्त अरब अमीरात ने दोनों देशों के बीच बातचीत को बढ़ाने में मदद की. इस पूरी प्रक्रिया से संबंद्ध सूत्र ने न्यूज18 को बताया, 'कई देश भारत-पाकिस्तान के बीच शांति को बढ़ावा देना चाह रहे थे. लेकिन यह पूरी प्रक्रिया दोनों देशों के बीच ही हुई है. इसमें किसी भी तीसरे देश का हाथ नहीं है.'
जनरल बाजवा ने अक्टूबर 2018 में लंदन का दौरा किया था. इस दौरान उन्होंने ब्रिटेन के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल निकोलसन कार्टर और नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर मार्क सेडविल से मुलाकात की थी. इस दौरान उन्होंने किसी भी गलतफहमी के कारण परमाणु संपन्न भारत और पाकिस्तान के बीच उत्पन्न होने वाले किसी भी खतरे को कम करने के संबंध में विचार किया.
लंदन की स्कॉलर आयशा सिद्दिका के अनुसार, 'पाकिस्तानी सेना ब्रिटेन से करीब 2017 से ही संपर्क में थी. पाकिस्तानी सेना चाहती थी कि ब्रिटेन, अमेरिका और भारत से उसके संबंधों में सुधार के लिए मदद करे. जनरल बाजवा ने तर्क दिया कि रक्षा खर्च में कटौती और स्थायी रूप से जिहादी समूहों को बंद करने के उनके प्रयासों का समर्थन करने के लिए भारत के साथ शांति की आवश्यकता थी.
उस महीने के अंत में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने भारत से संपर्क किया. उसकी ओर से कहा गया कि वह पाकिस्तान आर्मी चीफ ऑफ स्टाफ की ओर से बातचीत के लिए प्राधिकृत किए गए हैं. इंटेलीजेंस से जुड़े सूत्रों ने बताया कि इस पहले संपर्क के बाद आईएसआई और रॉ के अफसर कम से कम तीन बार मिले और आतंकवाद जैसे मुद्दों पर चर्चा की.
सिद्दिका के अनुसार उस समय सिर्फ ब्रिटेन ही एक ऐसा पश्चिमी देश था, जो पाकिस्तान के साथ जुड़ाव को लेकर गंभीर था. जनरल बाजवा के भी ब्रिटेन से निजी रिश्ते हैं. उनकी बहू आसमा बाजवा वहीं रहती हैं. उनके भाई तारिक बाजवा और जावेद बाजवा भी वहीं रहते हैं.
दिल्ली में कुछ लोगों का मानना था कि सीक्रेट वार्ता प्रगति करेगी. भले ही उसे पाकिस्तान की सेना का सीधे तौर पर समर्थन प्राप्त था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए काफी प्रयास किए थे. यहां तक कि प्रधानमंत्री मोदी नवाज शरीफ की पोती की शादी में शामिल होने के लिए दिसंबर 2015 में अचानक लाहौर भी गए थे.
2016 की शुरुआत में आतंकवादियों ने पठानकोट में भारतीय वायुसेना के ठिकाने को निशाना बनाया था. पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ इसके दोषियों जैश-ए-मुहम्मद के खिलाफ कार्रवाई करने के वादों को पूरा करने में असमर्थ साबित हुए. उस साल के बाद भारत ने उरी आतंकवादी हमले पर प्रतिक्रिया व्यक्त की. और एलओसी के पार जाकर आतंकियों को निशाना बनाना.
2017 के आखिर में पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार लेफ्टिनेंट-जनरल नासिर खान जांजुआ ने बैंकॉक में भारतीय एनएसए अजित डोभाल से गुप्त रूप से मुलाकात की ताकि बिगड़ते रिश्तों को सुधारा जा सके. लेकिन यह प्रयास विफल रहा था.
2019 में पुलवामा में आतंकवादी हमले के बाद खैबर-पख्तूनख्वा के बालाकोट में जैश के ठिकाने पर भारतीय वायुसेना ने हमले किए. इसके बाद लंदन में हो रही बातचीत समाप्ति की ओर आ गई. एक खुफिया अधिकारी ने कहा, 'वहां बातचीत जारी रखने के लिए कोई बिंदु नहीं था.'
(यह खबर अंग्रेजी की खबर का अनुवाद है. इसकी असल कॉपी पढ़ने के लिए यहां CliCk करें.)