इस्राइली फिल्म निर्माता और भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल (IFFI) के जूरी हेड नदव लापिड ने ‘द कश्मीर फाइल्स’ को ‘अश्लील और प्रोपेगेंडा फिल्म' बताया था. (ANI Photo)
नई दिल्ली: इस्राइली फिल्म निर्माता और भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल (IFFI) के जूरी हेड नदव लापिड ने द्वारा ‘द कश्मीर फाइल्स’ को ‘अश्लील और प्रोपेगेंडा फिल्म’ बताए जाने के एक दिन बाद भारत में इस्राइल के राजदूत नाओर गिलोन ने माफी मांगी है. उन्होंने ट्वीट किया, ‘भारत और इस्राइल, दोनों देशों और यहां के लोगों के बीच दोस्ती बहुत मजबूत है. आपने (नदव लापिड) जो नुकसान पहुंचाया है, वह ठीक हो जाएगा. एक इंसान के रूप में मुझे शर्म आती है और हम अपने मेजबानों से उस बुरे तरीके के लिए माफी मांगना चाहते हैं कि हमने उनकी उदारता और दोस्ती के बदले यह दिया है.’ केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने भारत में इस्राइल के राजदूत नाओर गिलोन के बयान का समर्थन करते हुए उनके ट्वीट को रीट्वीट किया है. आपको बता दें कि भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव का आयोजन सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से किया जाता है.
The friendship between the people and the states of India and Israel is very strong and will survive the damage you have inflicted.
As a human being I feel ashamed and want to apologize to our hosts for the bad manner in which we repaid them for their generosity and friendship.— Naor Gilon (@NaorGilon) November 29, 2022
An open letter to #NadavLapid following his criticism of #KashmirFiles. It’s not in Hebrew because I wanted our Indian brothers and sisters to be able to understand. It is also relatively long so I’ll give you the bottom line first. YOU SHOULD BE ASHAMED. Here’s why: pic.twitter.com/8YpSQGMXIR
— Naor Gilon (@NaorGilon) November 29, 2022
गोवा में आयोजित 53वें इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया (IFFI) में ‘द कश्मीर फाइल्स’ की स्क्रीनिंग पर जूरी हेड नदव लापिड ने हैरानी जताई थी. उन्होंने कहा कि इस फिल्म को देखकर लगा कि यह केवल प्रचार के लिए बनाई गई है और वल्गर है. इस तरह की फिल्में एक प्रतिष्ठित फिल्म फेस्टिवल और कलात्मक, प्रतिस्पर्धी वर्ग के लिए ठीक नहीं हैं. नदव लापिड ने TKF को लेकर जिस समय यह टिप्पणी की, उस समय केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर मंच पर उनके बगल में ही खड़े थे. विवेक रंजन अग्निहोत्री इस फिल्म के निर्देशक हैं. उनका कहना है कि ‘द कश्मीर फाइल्स’ के जरिए उन्होंने दुनिया को कश्मीरी पंडितों की आपबीती दिखाई सुनाई है, जिन्हें 3 दशक पहले अपने ही राज्य से विस्थापित होना पड़ा और अपने ही देश में शरणार्थी बनकर रहना पड़ा. मालूम हो कि इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर भी रिकॉर्ड प्रदर्शन किया. फिल्म बनाने में करीब 17 करोड़ का खर्च आया था और इसने वर्ल्ड वाइड 400 करोड़ के करीब का कलेक्शन किया.
GM.
Truth is the most dangerous thing. It can make people lie. #CreativeConsciousness
— Vivek Ranjan Agnihotri (@vivekagnihotri) November 29, 2022
#WATCH | Anupam Kher speaks to ANI on Int’l Film Festival of India Jury Head remarks for ‘Kashmir Files’, “…If holocaust is right, the exodus of Kashmiri Pandits is right too. Seems pre-planned as immediately after that the toolkit gang became active. May God give him wisdom..” pic.twitter.com/cUQ1bqzFs7
— ANI (@ANI) November 29, 2022
फिल्म के निर्माता विवेक रंजन अग्निहोत्री ने मंगलवार सुबह हैश टैग #CreativeConsciousness के साथ एक ट्वीट में लिखा, ‘सत्य सबसे खतरनाक चीज है. यह लोगों को झूठ बोलने पर मजबूर कर सकता है.’ उन्होंने अपनी फिल्म या किसी व्यक्ति विशेष का नाम नहीं लिया, लेकिन माना जा रहा है कि उनका इशारा ‘द कश्मीर फाइल्स’ को लेकर नदव लापिड की टिप्पणी की ओर था. क्योंकि विवेक अपनी इस फिल्म को कश्मीरी पंडितों की सच्चाई बताते रहे हैं, जो उन्होंने 90 के दशक में झेला था. फिल्म में अहम भूमिका निभाने वाले अनुपम खेर ने ट्वीट किया, ‘झूठ का कद कितना भी ऊंचा क्यों ना हो…सत्य के मुकाबले में हमेशा छोटा ही होता है’. उन्होंने द कश्मीर फाइल्स को लेकर नदव लापिड की टिप्पणी पर न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा, ‘अगर होलोकॉस्ट सही है, तो कश्मीरी पंडितों का पलायन भी सही है. यह पूर्व नियोजित लगता है, क्योंकि इसके तुरंत बाद टूलकिट गिरोह सक्रिय हो गया. भगवान उन्हें सद्बुद्धि दें.’
इस्राइली राजदूत नाओर गिलोन का नदव लापिड के नाम ओपन लेटर
नाओर गिलोन ने सिलसिलेवार ट्वीट में नदव लापिड को संबोधित करते हुए लिखा, ‘भारतीय संस्कृति में कहा जाता है कि अतिथि भगवान के समान होता है. आपने @IFFIGoa में जजों के पैनल की अध्यक्षता करने के भारतीय निमंत्रण का सबसे खराब तरीके से दुरुपयोग किया है, साथ ही उन्होंने आप पर जो विश्वास किया, आपका सम्मान और हार्दिक आतिथ्य सत्कार किया उसका भी. हमारे भारतीय मित्र फौदा के निर्माताओं और कलाकारों को आमंत्रित किया ताकि भारत में #फौदा और #इजरायल के प्रति प्रेम का जश्न मनाया जा सके. मुझे संदेह है कि शायद फौदा ही एक कारण है कि उन्होंने आपको एक इजरायली के रूप में और मुझे इजरायल के राजदूत के रूप में फिल्म महोत्सव में आमंत्रित किया.’
इस्राइली राजदूत ने आगे लिखा, ‘मैं आपके व्यवहार को उचित करने के लिए आत्मनिरीक्षण करने की आपकी आवश्यकता को समझता हूं. लेकिन मैं यह नहीं समझ पा रहा कि आपने बाद में @ynetnews से क्यों कहा, ‘मंत्री और मैंने मंच पर कहा कि हमारे देशों के बीच समानता है क्योंकि हम एक समान दुश्मन से लड़ते हैं और एक बुरे पड़ोस में रहते हैं. हमने अपने देशों के बीच समानताओं और निकटता के बारे में बात की. मंत्री ने इस्राइल की अपनी यात्राओं के बारे में बात की, हमें एक हाई-टेक राष्ट्र बताया. मैंने इस तथ्य के बारे में बात की कि हम भारतीय फिल्में देखते हुए बड़े हुए हैं. मैंने यह भी कहा कि हमें विनम्र होना चाहिए भारत, इतनी बड़ी फिल्म संस्कृति के साथ इस्राइली कॉन्टेंट (फौदा और अन्य फिल्में, वेब सीरीज) का उपभोग कर रहा है. मैं कोई फिल्म विशेषज्ञ नहीं हूं, लेकिन मुझे पता है कि ऐतिहासिक घटनाओं का गहराई से अध्ययन करने से पहले उनके बारे में बात करना असंवेदनशील और अभिमानी है. कश्मीर की घटना भारत में एक खुला घाव है, क्योंकि इसके पीड़ित अब भी आसपास हैं और अब भी कीमत चुका रहे हैं.’
नाओर गिलोन ने लिखा, ‘एक होलोकॉस्ट सर्वाइवर के बेटे के रूप में, मैं शिंडलर्स लिस्ट और होलोकॉस्ट फिल्मों की प्रमाणिकता पर आपके द्वारा संदेह पैदा करने को लेकर भारत में लोगों की प्रतिक्रियाओं को देखकर बहुत दुखी हूं. मैं इस तरह के बयानों (द कश्मीर फाइल्स के बारे में नदव लापिड का बयान) की कड़ी निंदा करता हूं, जिसका कोई औचित्य नहीं है. आपके बयान पर आ रही प्रतिक्रिया भारत में कश्मीर मुद्दे की संवेदनशीलता को दर्शाता है. Ynet को दिए साक्षात्कार में आपने #KashmirFiles की आलोचना और इस्राइल की राजनीति में जो कुछ हो रहा है, उसके प्रति आपकी नापसंदगी के बीच जो संबंध बनाया, वह काफी स्पष्ट था. मेरा सुझाव है कि इस्राइल के बारे में आप जो नापसंद करते हैं, उसकी आलोचना करने के लिए स्वतंत्र खुद को महसूस करें, लेकिन अपनी व्यक्तिगत हताशा को अन्य देशों के मुद्दों से जोड़कर प्रदर्शित करने की आवश्यकता नहीं है. मुझे यकीन नहीं है कि आपके पास ऐसी तुलना (द कश्मीर फाइल्स की तुलना इस्राइल के राजनीतिक परिवेश से) करने के लिए पर्याप्त तथ्यात्मक आधार है. आप यह सोचकर इस्राइल वापस जाएंगे कि आपने बहुत बहादुरी भरा बयान दिया है. लेकिन हम भारत में इस्राइल के प्रतिनिधि, हमें यहां रहना है. आपको अपनी ‘बहादुरी’ के बाद हमारे डीएम बॉक्स में आ रहे संदेशें को देखना चाहिए, तब आपको समझ आएगा कि मेरे नेतृत्व में यहां काम कर रही टीम पर इसका क्या प्रभाव पड़ सकता है.’
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