Whatsapp जासूसी के शिकंजे में थे भीमा कोरेगांव केस के वकील और पत्रकार

व्हाट्सएप के जरिये जासूसी की बात सामने आई है.
व्हाट्सएप (Whatsapp) ने इजरायल (Israel) की प्रोद्यौगिकी कंपनी एनएसओ समूह (NSO Group) पर आरोप लगाया है कि वह फेसबुक (facebook) के स्वामित्व वाली मैसेजिंग सेवा एप के जरिए पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और अन्य की साइबर जासूसी कर रही है.
- News18Hindi
- Last Updated: October 31, 2019, 6:59 PM IST
नई दिल्ली. व्हाट्सएप (WhatsApp) के जरिये की गई लोगों की जासूसी के मामले में खुलासा हुआ है कि इस शिकंजे में भारतीय पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के अलावा भीमा कोरेगांव केस से संबंधित कुछ वकील भी थे. व्हाट्सएप ने खुद यह बात मानी है. बता दें कि व्हाट्सएप ने इजरायल (Israel) की प्रोद्यौगिकी कंपनी एनएसओ समूह पर आरोप लगाया है कि वह फेसबुक के स्वामित्व वाली मैसेजिंग सेवा एप के जरिए पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और अन्य की साइबर जासूसी कर रही है. व्हाट्सएप ने इसके साथ ही कंपनी पर मुकदमा दायर करने की बात कही है.
यह मुकदमा अमेरिका के कैलिफोर्निया की संघीय अदालत में दायर किया गया है. इसमें कहा गया है कि एनएसओ समूह ने मैसेजिंग एप का इस्तेमाल करने वालों के करीब 1,400 उपकरणों को प्रभावित कर महत्वपूर्ण जानकारी चुराने का प्रयास किया.
भारत में कम से कम 10 मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने व्हाट्सएप के जरिये उनकी जासूसी किए जाने की बात मानी है. हफिंगटन पोस्ट और स्क्रॉल डॉट इन की खबरों के मुताबिक इनमें से भीमा कोरेगांव केस में गिरफ्तार दो मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के वकील भी हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इनके अलावा महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के कुछ दलित मानवाधिकार कार्यकर्ता भी इस जासूसी के शिकार हुए हैं.
प्रशासन ने किया इनकारव्हाट्सएप ने इस बारे में कुछ नहीं कहा कि किसके आदेश पर पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के मोबाइलों को टार्गेट किया गया. हालांकि एनएसओ ग्रुप पेगासस सॉफ्टवेयर का रखरखाव करता है और इसे सिर्फ विश्व की विभिन्न सरकारी एजेंसियों को बेचता है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार 20 से अधिक भारतीय व्यक्तियों को लोकसभा चुनाव के पहले दो हफ्ते तक सर्विलांस के शिकंजे में रहने को लेकर अलर्ट किया गया था. सूत्रों ने इस बात से इनकार किया था कि इसमें प्रशासन का कोई हाथ है.
व्हाट्सएप प्रमुख ने दी जानकारी
व्हाट्सएप के प्रमुख विल कैथकार्ट ने कहा कि साइबर हमले की जांच में इस्राइल की कंपनी की भूमिका सामने आने के बाद यह मुकदमा दायर किया गया है. हालांकि, कंपनी ने इस आरोप का खंडन किया है. कैथकार्ट ने ट्विटर पर लिखा, ‘एनएसओ समूह का दावा है कि वह सरकारों के लिए पूरी जिम्मेदारी से काम करते हैं, लेकिन हमने पाया कि बीते मई माह में हुए साइबर हमले में 100 से अधिक मानवाधिकार कार्यकर्ता और पत्रकार जासूसी हमले के निशाने पर थे. यह दुरुपयोग बंद होना चाहिए ’
केस में कहा गया कि एनएसओ का पेगासस नाम का सॉफ्टवेयर कुछ इस तरह बनाया गया है, जिससे एंड्रॉइड, आईओएस और ब्लैकबेरी ऑपरेटिंग सिस्टम पर काम करने वाले उपकरणों को हाइजैक किया जा सके.
यह भी पढ़ें: Whatsapp के जरिए पत्रकारों, ह्यमूनराइटस एक्टिविस्ट्स की जासूसी कर रही थी इस्राइल की कंपनी
यह मुकदमा अमेरिका के कैलिफोर्निया की संघीय अदालत में दायर किया गया है. इसमें कहा गया है कि एनएसओ समूह ने मैसेजिंग एप का इस्तेमाल करने वालों के करीब 1,400 उपकरणों को प्रभावित कर महत्वपूर्ण जानकारी चुराने का प्रयास किया.
भारत में कम से कम 10 मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने व्हाट्सएप के जरिये उनकी जासूसी किए जाने की बात मानी है. हफिंगटन पोस्ट और स्क्रॉल डॉट इन की खबरों के मुताबिक इनमें से भीमा कोरेगांव केस में गिरफ्तार दो मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के वकील भी हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इनके अलावा महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के कुछ दलित मानवाधिकार कार्यकर्ता भी इस जासूसी के शिकार हुए हैं.
प्रशासन ने किया इनकारव्हाट्सएप ने इस बारे में कुछ नहीं कहा कि किसके आदेश पर पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के मोबाइलों को टार्गेट किया गया. हालांकि एनएसओ ग्रुप पेगासस सॉफ्टवेयर का रखरखाव करता है और इसे सिर्फ विश्व की विभिन्न सरकारी एजेंसियों को बेचता है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार 20 से अधिक भारतीय व्यक्तियों को लोकसभा चुनाव के पहले दो हफ्ते तक सर्विलांस के शिकंजे में रहने को लेकर अलर्ट किया गया था. सूत्रों ने इस बात से इनकार किया था कि इसमें प्रशासन का कोई हाथ है.
व्हाट्सएप प्रमुख ने दी जानकारी
व्हाट्सएप के प्रमुख विल कैथकार्ट ने कहा कि साइबर हमले की जांच में इस्राइल की कंपनी की भूमिका सामने आने के बाद यह मुकदमा दायर किया गया है. हालांकि, कंपनी ने इस आरोप का खंडन किया है. कैथकार्ट ने ट्विटर पर लिखा, ‘एनएसओ समूह का दावा है कि वह सरकारों के लिए पूरी जिम्मेदारी से काम करते हैं, लेकिन हमने पाया कि बीते मई माह में हुए साइबर हमले में 100 से अधिक मानवाधिकार कार्यकर्ता और पत्रकार जासूसी हमले के निशाने पर थे. यह दुरुपयोग बंद होना चाहिए ’
केस में कहा गया कि एनएसओ का पेगासस नाम का सॉफ्टवेयर कुछ इस तरह बनाया गया है, जिससे एंड्रॉइड, आईओएस और ब्लैकबेरी ऑपरेटिंग सिस्टम पर काम करने वाले उपकरणों को हाइजैक किया जा सके.
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