ये पुरुषों की खुशफहमी है कि वो महिलाओं को सशक्त करेंगे: स्मृति ईरानी
स्मृति ईरानी ने कहा कि दुनिया में जहां-जहां भी महिला सशक्त हुई है, वहां स्वास्थ्य और शिक्षा पर जोर दिया गया है.
दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम 'जागरण फोरम' में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि ये लोगों की खुशफहमी है कि वो महिलाओं को सशक्त कर सकते हैं. महिला-पुरुषों के बीच महिलाओं की वोटिंग परसेंट का अंतर अब सिर्फ एक प्रतिशत रह गया है. पहली बार साल 2014 के चुनावो में महिलाएं एक वोट बैंक की तरह उभर कर सामने आईं. ये ही सबसे बड़ी समझने वाली बात है कि हमारे संविधान में लिखना पड़ा कि महिलाओं का सम्मान करें. कानूनी ढांचे बनाए जा सकते हैं लेकिन समाज को ये समझना होगा कि वो अपने बच्चों को पाल-पोसकर बढ़ा करते हुए क्या सिखा रहे हैं.
स्मृति ने कहा कि अगर महिलाएं मर्ज़ी से घूंघट कर रही हैं या बड़ो पैर छू रही हैं तो इसे रूढ़िवादी नहीं माना जाना चाहिए. सबरीमाला मामले पर स्मृति ने कहा कि नेता होने के नाते मैं सुप्रेम कोर्ट के किसी निर्णय पर कमेन्ट नहीं करना चाहती लेकिन एक मैं एक हिंदू महिला हूं और मेरी शादी एक पारसी परिवार में हुई है लेकिन ये ज़रूरी है कि हम सबको अपनी बात रखने का अधिकार हो.
महिला सशक्तिकरण किसी भी मुद्दे का एक छोर पकड़ कर नहीं ला जा सकती, हम सम्मान या आज़ादी की बात टुकड़ों में नहीं कर सकते. जहां-जहां महिलाओं को अधिकार नहीं मिल रहे सभी जगह मिलने चाहिए, इसमें समाज के किसी भी हिस्से की अनदेखी नहीं की जा सकती.
आप एक महिला का इस्तेमाल कर उसे त्याग नहीं सकते, और अगर उसे त्यागना भी चाहते हैं तो उसके लिए एक संवैधानिक तरीका है. तीन तलाक़ जैसे फैसले लेने के लिए सरकार में दम होना चाहिए और हमने वो दिखाया है. महिलाओं की सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा है लेकिन समाज के लोगों को भी इसके लिए पुलिस और प्रशासन की मदद करनी होगी. स्मृति ईरानी ने कहा, 'जहां महिला सशक्त हुई वहां स्वास्थ्य और शिक्षा पर जोर दिया गया है. महिला सशक्तिकरण में पूरे परिवार का उत्थान छिपा है.'
स्मृति ने कहा कि अगर महिलाएं मर्ज़ी से घूंघट कर रही हैं या बड़ो पैर छू रही हैं तो इसे रूढ़िवादी नहीं माना जाना चाहिए. सबरीमाला मामले पर स्मृति ने कहा कि नेता होने के नाते मैं सुप्रेम कोर्ट के किसी निर्णय पर कमेन्ट नहीं करना चाहती लेकिन एक मैं एक हिंदू महिला हूं और मेरी शादी एक पारसी परिवार में हुई है लेकिन ये ज़रूरी है कि हम सबको अपनी बात रखने का अधिकार हो.
महिला सशक्तिकरण किसी भी मुद्दे का एक छोर पकड़ कर नहीं ला जा सकती, हम सम्मान या आज़ादी की बात टुकड़ों में नहीं कर सकते. जहां-जहां महिलाओं को अधिकार नहीं मिल रहे सभी जगह मिलने चाहिए, इसमें समाज के किसी भी हिस्से की अनदेखी नहीं की जा सकती.
आप एक महिला का इस्तेमाल कर उसे त्याग नहीं सकते, और अगर उसे त्यागना भी चाहते हैं तो उसके लिए एक संवैधानिक तरीका है. तीन तलाक़ जैसे फैसले लेने के लिए सरकार में दम होना चाहिए और हमने वो दिखाया है. महिलाओं की सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा है लेकिन समाज के लोगों को भी इसके लिए पुलिस और प्रशासन की मदद करनी होगी. स्मृति ईरानी ने कहा, 'जहां महिला सशक्त हुई वहां स्वास्थ्य और शिक्षा पर जोर दिया गया है. महिला सशक्तिकरण में पूरे परिवार का उत्थान छिपा है.'
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Updated: February 16, 2019 03:28 PM ISTसरकारी रिकॉर्ड में 'शहीद' नहीं होते सीआरपीएफ और बीएसएफ के जवान