कंगना रनौत ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया कैविएट, कहा- बिना हमारा पक्ष सुने ना हो कोई फैसला

कंगना रनौत
BMC द्वारा दफ्तर तोड़े जाने के मामले में कंगना रानौत (Kanagana Ranaut) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में कैविएट दाखिल किया है.
- News18Hindi
- Last Updated: December 2, 2020, 3:36 PM IST
नई दिल्ली/मुंबई. अभिनेत्री कंगना रनौत (Kanagana Ranaut) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में कैविएट दाखिल किया है. उन्होंने बृहद मुंबई नगर पालिका द्वारा उनके ऑफिस का हिस्सा तोड़े जाने के मामले में कैविएट याचिका दाखिल की. रनौत की याचिका में कहा गया है कि अगर बीएमसी बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करता है तो बिना उनका पक्ष सुने सुप्रीम कोर्ट कोई आदेश जारी न करे.
इससे पहले बॉम्बे हाई कोर्ट ने कंगना को राहत देते हुए उनके ऑफिस का हिस्सा तोड़े जाने को गलत बताया था और कंगना को मुआवजा देने का आदेश दिया था. हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ बीएमसी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर सकता है. इसलिए कंगना ने उससे पहले कैविएट याचिका दाखिल कर दी है.
कंगना के बंगले को गिराना द्वेषपूर्ण कृत्य था : अदालत
बता दें बंबई हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि बीएमसी द्वारा अभिनेत्री कंगना रनौत के बंगले के एक हिस्से को ध्वस्त करने की कार्रवाई द्वेषपूर्ण कृत्य थी और ऐसा अभिनेत्री को नुकसान पहुंचाने के लिए किया गया था. अदालत ने आकलन करने वाली एक एजेंसी की भी नियुक्ति की जो क्षति का आकलन करेगी ताकि क्षतिपूर्ति के लिए रनौत के दावे पर निर्णय किया जा सके. हाईकोर्ट ने शिवसेना के संजय राउत द्वारा रनौत के खिलाफ चलाए गए अभियान को लेकर भी फटकार लगाई. बॉलीवुड अभिनेत्री ने निर्णय को ‘लोकतंत्र की जीत’ बताया. बहरहाल, फैसले में जस्टिस एसजे काठवाला और जस्टिस आरआई चागला की पीठ ने रनौत को भी सलाह दी कि बोलते समय वह भी संयम बरतें. कुछ संयम बरतना चाहिए- अदालत
अदालत ने यह भी कहा कि अदालत किसी भी नागरिक के खिलाफ प्रशासन को ‘बाहुबल’ का उपयोग करने की मंजूरी नहीं देती है. जस्टिस एसजे काठवाला और जस्टिस आरआई चागला की पीठ ने कहा कि नागरिक निकाय द्वारा की गई कार्रवाई अनधिकृत थी और इसमें कोई संदेह नहीं है. पीठ रनौत द्वारा नौ सितंबर को उपनगरीय बांद्रा स्थित अपने पाली हिल बंगले में बीएमसी द्वारा की गई कार्रवाई के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी.

हालांकि पीठ ने स्पष्ट किया कि वह किसी भी नागरिक द्वारा किए गए किसी भी अवैध निर्माण को नजरअंदाज करने की पक्षधर नहीं है और न ही उसने रनौत के ट्वीट को सही ठहराया जिसके कारण यह पूरी घटना हुई उन्होंने अपने आदेश में कहा, ‘यह अदालत अवैध कार्यों या सरकार के खिलाफ या फिल्म उद्योग के खिलाफ दिए गए किसी भी गैरजिम्मेदार बयान का अनुमोदन नहीं करती है. अदालत ने कहा, 'हमारा मानना है कि याचिकाकर्ता को लोकप्रिय व्यक्ति होने के नाते ट्वीट करते समय कुछ संयम बरतना चाहिए.' (भाषा इनपुट के साथ)
इससे पहले बॉम्बे हाई कोर्ट ने कंगना को राहत देते हुए उनके ऑफिस का हिस्सा तोड़े जाने को गलत बताया था और कंगना को मुआवजा देने का आदेश दिया था. हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ बीएमसी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर सकता है. इसलिए कंगना ने उससे पहले कैविएट याचिका दाखिल कर दी है.
कंगना के बंगले को गिराना द्वेषपूर्ण कृत्य था : अदालत
बता दें बंबई हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि बीएमसी द्वारा अभिनेत्री कंगना रनौत के बंगले के एक हिस्से को ध्वस्त करने की कार्रवाई द्वेषपूर्ण कृत्य थी और ऐसा अभिनेत्री को नुकसान पहुंचाने के लिए किया गया था. अदालत ने आकलन करने वाली एक एजेंसी की भी नियुक्ति की जो क्षति का आकलन करेगी ताकि क्षतिपूर्ति के लिए रनौत के दावे पर निर्णय किया जा सके. हाईकोर्ट ने शिवसेना के संजय राउत द्वारा रनौत के खिलाफ चलाए गए अभियान को लेकर भी फटकार लगाई. बॉलीवुड अभिनेत्री ने निर्णय को ‘लोकतंत्र की जीत’ बताया. बहरहाल, फैसले में जस्टिस एसजे काठवाला और जस्टिस आरआई चागला की पीठ ने रनौत को भी सलाह दी कि बोलते समय वह भी संयम बरतें. कुछ संयम बरतना चाहिए- अदालत
अदालत ने यह भी कहा कि अदालत किसी भी नागरिक के खिलाफ प्रशासन को ‘बाहुबल’ का उपयोग करने की मंजूरी नहीं देती है. जस्टिस एसजे काठवाला और जस्टिस आरआई चागला की पीठ ने कहा कि नागरिक निकाय द्वारा की गई कार्रवाई अनधिकृत थी और इसमें कोई संदेह नहीं है. पीठ रनौत द्वारा नौ सितंबर को उपनगरीय बांद्रा स्थित अपने पाली हिल बंगले में बीएमसी द्वारा की गई कार्रवाई के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
हालांकि पीठ ने स्पष्ट किया कि वह किसी भी नागरिक द्वारा किए गए किसी भी अवैध निर्माण को नजरअंदाज करने की पक्षधर नहीं है और न ही उसने रनौत के ट्वीट को सही ठहराया जिसके कारण यह पूरी घटना हुई उन्होंने अपने आदेश में कहा, ‘यह अदालत अवैध कार्यों या सरकार के खिलाफ या फिल्म उद्योग के खिलाफ दिए गए किसी भी गैरजिम्मेदार बयान का अनुमोदन नहीं करती है. अदालत ने कहा, 'हमारा मानना है कि याचिकाकर्ता को लोकप्रिय व्यक्ति होने के नाते ट्वीट करते समय कुछ संयम बरतना चाहिए.' (भाषा इनपुट के साथ)