राज्य की भाजपा सरकार बेलागवी में चल रहे विधानसभा सत्र के दौरान इस विधेयक को पेश कर सकती है. (फोटो- @BSBommai)
बेलगावी. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश के बाद अब कर्नाटक में भी धर्मांतरण विरोधी विधेयक (Karnataka Anti-Conversion Bill) पेश होने वाला है. इसके तहत सामूहिक धर्मांतरण में शामिल लोगों पर तीन से दस साल के कारावास के साथ-साथ एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया जाएगा. मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने हाल ही में कहा था कि अलग-अलग मठों के संतों ने राज्य सरकार से धर्म परिवर्तन पर प्रतिबंध लगाने के लिए कानून लाने की अपील की है. राज्य की भाजपा सरकार बेलागवी में चल रहे विधानसभा सत्र के दौरान इस विधेयक को पेश कर सकती है. आइए विस्तार से जानते हैं कि इस प्रस्तावित धर्मांतरण विरोधी विधेयक में क्या कुछ प्रावधान हो सकता है.
धर्मांतरण से पहले एक महीने का नोटिस: बिल के ड्राफ्ट में कहा गया है कि धर्म परिवर्तन करने वालों को इसके लिए जिला मजिस्ट्रेट या अन्य किसी अधिकारी, जो अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट से नीचे की रैंक का अधिकारी न हो, को एक महीने पहले नोटिस देना होगा.
अमान्य होगा धर्मांतरण: प्रस्तावित ड्राफ्ट में कहा गया है कि गैर-कानूनी धर्मांतरण के उद्देश्य से विवाह या विवाह के लिए गैर-कानूनी धर्मांतरण को अमान्य समझा जाएगा.
पीड़ित रिश्तेदार FIR दर्ज करा सकते हैं: प्रस्तावित कानून के तहत, कोई भी पीड़ित व्यक्ति, उसके माता-पिता, भाई, बहन, या कोई अन्य व्यक्ति, जिनका ब्लड रिलेशन हो वो ऐसे धर्मांतरण की FIR दर्ज कर सकता है, जो धारा-3 के प्रावधानों का उल्लंघन करता है.
सज़ा का प्रावधान: अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और नाबालिगों के धर्मांतरण की स्थिति में परिणाम कठोर होंगे. मसौदे में कहा गया है कि नाबालिग, महिला या अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति का गैर-कानूनी धर्मांतरण कराने वाले को तीन से दस साल के कारावास की सजा हो सकती है. साथ ही कम से कम 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है.
पीड़ितों के लिए मुआवजा: प्रस्तावित कानून कहता है कि पीड़ित को जुर्माने के अलावा पांच लाख रुपये तक का मुआवजा मिल सकता है. अवैध धर्मांतरण के एकमात्र उद्देश्य के लिए किए गए विवाह के मामले में, विवाह को पारिवारिक न्यायालय द्वारा अमान्य घोषित कर दिया जाएगा. यदि कोई पारिवारिक न्यायालय नहीं हैं, तो ऐसे मामलों की सुनवाई करने का अधिकार क्षेत्र वाला न्यायालय भी ऐसे विवाहों को अमान्य घोषित कर सकता है.
गैर-जमानती अपराध: प्रस्तावित अधिनियम के प्रावधानों को गैर-जमानती कैटेगरी में रखा गया है. इसके अलावा, जो कोई भी अपना धर्म परिवर्तित करना चाहता है, उसे ‘फॉर्म-I’ में ‘कम से कम 60 दिन पहले जिला मजिस्ट्रेट या अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट को लिखित में बताना होगा
संगठन भी मुकदमे के दायरे में आ सकते हैं: सूचना प्राप्त करने के बाद, जिला मजिस्ट्रेट को पुलिस के जरिए प्रस्तावित धर्मांतरण के वास्तविक इरादे, उद्देश्य और कारण के संबंध में जांच करनी चाहिए. प्रस्तावित कानून आगे कहता है कि कोई भी संस्था या संगठन जो उल्लंघन करता है, उसे भी सज़ा दी जाएगी.
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Tags: Anti conversion bill, Karnataka, Karnataka BJP