17 महीने में तीसरी बार येडियुरप्पा सरकार का कैबिनेट विस्तार, फिर भी असंतोष कायम

शपथ ग्रहण से पहले येडियुरप्पा के मंत्रिमंडल में 27 सदस्य थे और सात सीटें खाली थीं. (File Photo)
Karnataka Cabinet Reshuffle: येडियुरप्पा के जुलाई, 2019 में कार्यभार संभालने के बाद से यह मंत्रिमंडल का तीसरा विस्तार है. बुधवार को शपथ ग्रहण करने वाले सात मंत्रियों में उमेश कट्टी, अरविंद लिम्बावली, एमटीबी नागराज, मुरुगेश निरानी, आर शंकर, सीपी योगेश्वर और एस अंगारा शामिल हैं.
- News18Hindi
- Last Updated: January 13, 2021, 4:48 PM IST
(दीपा बालाकृष्णन)
बेंगलुरु. कर्नाटक (Karnataka) में 17 महीने पुराने मंत्रिमंडल के विस्तार के तहत बुधवार को सात नए मंत्रियों ने शपथ ग्रहण की. मुख्यमंत्री बीएस येडियुरप्पा (BS Yediyurappa) की कैबिनेट में जहां दो दागी नेताओं को कैबिनेट में जगह दी गई तो वहीं पार्टी ने कुछ वरिष्ठ नेताओं जैसे की आठ बार के विधायक रह चुके उमेश कट्टी और छह बार विधायक बन चुके एस अंगारा को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया है. ऐसा पार्टी के भीतर विद्रोह को खत्म करने के लिए किया जा रहा है, क्योंकि मूल भाजपा वफादारों की शिकायत थी कि उन्हें दरकिनार कर केवल नए लोगों को कैबिनेट में शामिल किया जा रहा है.
शपथ ग्रहण करने वाले सात मंत्रियों में उमेश कट्टी, अरविंद लिम्बावली, एमटीबी नागराज, मुरुगेश निरानी, आर शंकर, सीपी योगेश्वर और एस अंगारा शामिल हैं. पार्टी आलाकमान की ओर से निर्देश दिए गए थे कि इस बार वरिष्ठों और वफादारों को ज्यादा तवज्जो दी जानी चाहिए. ऐसे में सात में से सिर्फ दो ही दागी मंत्री हैं. कट बनाने वाले अन्य लोगों में लिंगायत मज़बूत नेता मुरुगेश निरानी, मैसूर क्षेत्र के वोक्कालिगा के मजबूत नेता सीपी योगेश्वर और अरविंद लिंबावली हैं - जिन्हें मध्य प्रदेश में भाजपा की सत्ता में मदद करने के लिए पुरस्कृत किया जा रहा है.
ये भी पढ़ें- PM मोदी 16 जनवरी को शुरू करेंगे वैक्सीनेशन कैंपेन, COWIN ऐप भी करेंगे लॉन्चवफादारों को शामिल करने के बाद भी पार्टी में असंतोष
दो साल पहले विधानसभा चुनावों में हारने के बावजूद योगेश्वर को केवल इसी आधार पर देखा जा रहा है कि वह वोक्कालिगा के एचडी कुमारास्वामी और डीके शिवकुमार जो कि इसी क्षेत्र से हैं पर अपनी पैठ मजबूत कर सकते हैं.
लेकिन अधिक संख्या में वफादारों को शामिल करने के बावजूद, पहले से ही असंतोष के संकेत मिलते दिख रहे हैं. पार्टी के वरिष्ठ नेता सुनील कुमार और सतीश रेड्डी ने दरकिनार किए जाने को लेकर सोशल मीडिया पर अपना गुस्सा जाहिर किया है.
जहां सुनील कुमार ने कहा कि वह जाति आधारित राजनीति का महिमामंडन करने वाले नहीं हैं तो वहीं सतीश रेड्डी ने सीधे मुख्यमंत्री से मंत्रियों को चुनने का मापदंड पूछा और कहा कि पार्टी आलाकमान क्यों वफादार कार्यकर्ताओं को नहीं देख सकती.

इस समारोह में शामिल होने के लिए भाजपा की राज्य इकाई के प्रभारी महासचिव अरुण सिंह भी शहर में हैं.
शपथ ग्रहण से पहले येडियुरप्पा के मंत्रिमंडल में 27 सदस्य थे और सात सीटें खाली थीं. येडियुरप्पा के जुलाई, 2019 में कार्यभार संभालने के बाद से यह मंत्रिमंडल का तीसरा विस्तार है.
बेंगलुरु. कर्नाटक (Karnataka) में 17 महीने पुराने मंत्रिमंडल के विस्तार के तहत बुधवार को सात नए मंत्रियों ने शपथ ग्रहण की. मुख्यमंत्री बीएस येडियुरप्पा (BS Yediyurappa) की कैबिनेट में जहां दो दागी नेताओं को कैबिनेट में जगह दी गई तो वहीं पार्टी ने कुछ वरिष्ठ नेताओं जैसे की आठ बार के विधायक रह चुके उमेश कट्टी और छह बार विधायक बन चुके एस अंगारा को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया है. ऐसा पार्टी के भीतर विद्रोह को खत्म करने के लिए किया जा रहा है, क्योंकि मूल भाजपा वफादारों की शिकायत थी कि उन्हें दरकिनार कर केवल नए लोगों को कैबिनेट में शामिल किया जा रहा है.
शपथ ग्रहण करने वाले सात मंत्रियों में उमेश कट्टी, अरविंद लिम्बावली, एमटीबी नागराज, मुरुगेश निरानी, आर शंकर, सीपी योगेश्वर और एस अंगारा शामिल हैं. पार्टी आलाकमान की ओर से निर्देश दिए गए थे कि इस बार वरिष्ठों और वफादारों को ज्यादा तवज्जो दी जानी चाहिए. ऐसे में सात में से सिर्फ दो ही दागी मंत्री हैं. कट बनाने वाले अन्य लोगों में लिंगायत मज़बूत नेता मुरुगेश निरानी, मैसूर क्षेत्र के वोक्कालिगा के मजबूत नेता सीपी योगेश्वर और अरविंद लिंबावली हैं - जिन्हें मध्य प्रदेश में भाजपा की सत्ता में मदद करने के लिए पुरस्कृत किया जा रहा है.
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दो साल पहले विधानसभा चुनावों में हारने के बावजूद योगेश्वर को केवल इसी आधार पर देखा जा रहा है कि वह वोक्कालिगा के एचडी कुमारास्वामी और डीके शिवकुमार जो कि इसी क्षेत्र से हैं पर अपनी पैठ मजबूत कर सकते हैं.
लेकिन अधिक संख्या में वफादारों को शामिल करने के बावजूद, पहले से ही असंतोष के संकेत मिलते दिख रहे हैं. पार्टी के वरिष्ठ नेता सुनील कुमार और सतीश रेड्डी ने दरकिनार किए जाने को लेकर सोशल मीडिया पर अपना गुस्सा जाहिर किया है.
जहां सुनील कुमार ने कहा कि वह जाति आधारित राजनीति का महिमामंडन करने वाले नहीं हैं तो वहीं सतीश रेड्डी ने सीधे मुख्यमंत्री से मंत्रियों को चुनने का मापदंड पूछा और कहा कि पार्टी आलाकमान क्यों वफादार कार्यकर्ताओं को नहीं देख सकती.
इस समारोह में शामिल होने के लिए भाजपा की राज्य इकाई के प्रभारी महासचिव अरुण सिंह भी शहर में हैं.
शपथ ग्रहण से पहले येडियुरप्पा के मंत्रिमंडल में 27 सदस्य थे और सात सीटें खाली थीं. येडियुरप्पा के जुलाई, 2019 में कार्यभार संभालने के बाद से यह मंत्रिमंडल का तीसरा विस्तार है.