करतारपुर कॉरिडोर को अगले हफ्ते खोलने के पाक के प्रस्ताव को भारत ने किया खारिज

करतारपुर गुरुद्वारा की तीर्थयात्रा "अस्थायी रूप से" इस वर्ष मार्च में बंद कर दी गई थी (फाइल फोटो, PTI)
अधिकारियों ने कहा, इसके बारे में आगे के निर्णय, स्वास्थ्य विभाग (Health Department) के अधिकारियों और अन्य संबंधित विभागों (Concerned Department) से बातचीत के बाद ही लिए जायेंगे.
- News18Hindi
- Last Updated: June 27, 2020, 8:42 PM IST
नई दिल्ली. सरकार (Government) ने शनिवार को पाकिस्तान (Pakistan) की ओर से अगले हफ्ते करतारपुर कॉरिडोर (Kartarpur Corridor) को खोलने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है. पाकिस्तान के 29 जून से कॉरिडोर को फिर से खोलने के प्रस्ताव को सरकार ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि कोविड-19 के प्रसार (Covid-19 Spread) को रोकने और सीमा पार से यात्रा को अस्थायी रूप (Temporarily) से निलंबित किया गया था.
2 दिनों में गलियारे (Corridor) को खोलने के कदम को सद्भावना का छलावा बताते हुए, सरकारी सूत्रों ने कहा कि यह केवल द्विपक्षीय समझौते (Bilateral Agreement) को कमजोर करेगा, जिससे भारत को यात्रा की तारीख से एक सप्ताह पहले पाकिस्तान के साथ इसकी जानकारी साझा करने की आवश्यकता होती है. उन्होंने कहा, इसके बारे में आगे के निर्णय, स्वास्थ्य विभाग (Health Department) के अधिकारियों और अन्य संबंधित विभागों से बातचीत के बाद ही लिए जायेंगे.
पाकिस्तान ने महाराजा रणजीत सिंह की पुण्यतिथि पर कॉरिडोर खोलने का किया था ऐलान
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने एक दिन पहले ऐलान किया था कि पाकिस्तान महाराजा रणजीत सिंह की पुण्यतिथि के अवसर पर कॉरिडोर को फिर से खोलने के लिए तैयार है.उन्होंने ट्वीट किया था, चूंकि दुनिया भर में पूजा-अर्चना के स्थल खुल रहे हैं. पाकिस्तान करतारपुर साहिब कॉरिडोर को सभी सिख शरणार्थियों के लिए खोले जाने की तैयारियों में जुटा है, हम 29 जून, 2020 को महाराजा रणजीत सिंह की पुण्यतिथि पर कॉरिडोर खोलने की अपनी मंशा के बारे में भारतीय पक्ष को जानकारी देते हैं.
मार्च में कोरोना के प्रसार को देखते हुए बंद किया गया था कॉरिडोर
नये कोरोना वायरस के दोनों देशों में प्रभावी हो जाने के बाद पाकिस्तान में करतारपुर गुरुद्वारा की तीर्थयात्रा "अस्थायी रूप से" इस वर्ष मार्च में बंद कर दी गई थी.
यह भी पढ़ें: 39 दिनों में ही कोरोना के 4 लाख से ज्यादा मामले आए सामने, आंकड़ों से समझिए
कॉरिडोर अब तक मुख्य रूप से शत्रुता से अप्रभावित रहा है क्योंकि दोनों पक्षों ने सिखों के इससे जुड़े महत्व को स्वीकार किया है. भारत की ओर हिरासत में लिए जाने और निकाले जाने के बाद 2 अधिकारियों को जासूसी के आरोप में निष्कासित करने के बाद इस महीने भारत-पाक संबंधों में एक नई गिरावट आई. पाकिस्तान के अधिकारियों की ओर से इस्लामाबाद में भारतीय अधिकारियों को डराने, यहां तक कि 2 भारतीय मिशन कर्मचारियों का अपहरण करने के बाद, सरकार ने इस्लामाबाद का आह्वान किया - 2001 के बाद पहली बार- यहां अपने उच्चायोग की ताकत को आधा करने के लिए कहा.
2 दिनों में गलियारे (Corridor) को खोलने के कदम को सद्भावना का छलावा बताते हुए, सरकारी सूत्रों ने कहा कि यह केवल द्विपक्षीय समझौते (Bilateral Agreement) को कमजोर करेगा, जिससे भारत को यात्रा की तारीख से एक सप्ताह पहले पाकिस्तान के साथ इसकी जानकारी साझा करने की आवश्यकता होती है. उन्होंने कहा, इसके बारे में आगे के निर्णय, स्वास्थ्य विभाग (Health Department) के अधिकारियों और अन्य संबंधित विभागों से बातचीत के बाद ही लिए जायेंगे.
पाकिस्तान ने महाराजा रणजीत सिंह की पुण्यतिथि पर कॉरिडोर खोलने का किया था ऐलान
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने एक दिन पहले ऐलान किया था कि पाकिस्तान महाराजा रणजीत सिंह की पुण्यतिथि के अवसर पर कॉरिडोर को फिर से खोलने के लिए तैयार है.उन्होंने ट्वीट किया था, चूंकि दुनिया भर में पूजा-अर्चना के स्थल खुल रहे हैं. पाकिस्तान करतारपुर साहिब कॉरिडोर को सभी सिख शरणार्थियों के लिए खोले जाने की तैयारियों में जुटा है, हम 29 जून, 2020 को महाराजा रणजीत सिंह की पुण्यतिथि पर कॉरिडोर खोलने की अपनी मंशा के बारे में भारतीय पक्ष को जानकारी देते हैं.
मार्च में कोरोना के प्रसार को देखते हुए बंद किया गया था कॉरिडोर
नये कोरोना वायरस के दोनों देशों में प्रभावी हो जाने के बाद पाकिस्तान में करतारपुर गुरुद्वारा की तीर्थयात्रा "अस्थायी रूप से" इस वर्ष मार्च में बंद कर दी गई थी.
यह भी पढ़ें: 39 दिनों में ही कोरोना के 4 लाख से ज्यादा मामले आए सामने, आंकड़ों से समझिए
कॉरिडोर अब तक मुख्य रूप से शत्रुता से अप्रभावित रहा है क्योंकि दोनों पक्षों ने सिखों के इससे जुड़े महत्व को स्वीकार किया है. भारत की ओर हिरासत में लिए जाने और निकाले जाने के बाद 2 अधिकारियों को जासूसी के आरोप में निष्कासित करने के बाद इस महीने भारत-पाक संबंधों में एक नई गिरावट आई. पाकिस्तान के अधिकारियों की ओर से इस्लामाबाद में भारतीय अधिकारियों को डराने, यहां तक कि 2 भारतीय मिशन कर्मचारियों का अपहरण करने के बाद, सरकार ने इस्लामाबाद का आह्वान किया - 2001 के बाद पहली बार- यहां अपने उच्चायोग की ताकत को आधा करने के लिए कहा.