सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर जेल वाले बिल पर केरल सरकार ने खीचें कदम, CM बोले- सबसे करेंगे चर्चा

मुख्यमंत्री ने दी जानकारी.
मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन का कहना है कि इस संबंध में विधानसभा में डिटेल में चर्चा की जाएगी. इस दौरान सभी दलों के विचार जानने के बाद ही आगे कदम उठाए जाएंगे.
- News18Hindi
- Last Updated: November 23, 2020, 2:28 PM IST
कोच्चि. केरल में सोशल मीडिया पर महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर अटैक को रोकने के लिए मकसद से पुलिस एक्ट (Kerala police act) में किए गए संशोधन को लेकर बैकफुट पर आई पिनराई विजयन सरकार को अपने कदम पीछे खींचने पड़े हैं. मुख्यमंत्री का कहना है कि इस नए संशोधन अध्ययादेश पर विधानसभा में विस्तार से चर्चा की जाएगी और सभी दलों के विचार जानने के बाद ही आगे कदम उठाए जाएंगे.
मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा कि उनकी सरकार का इरादा अभी इस संशोधित कानून को लागू नहीं करने का है, क्योंकि एलडीएफ के समर्थकों और लोकतंत्र की सुरक्षा के लिए खड़े लोगों ने इसे लेकर चिंताएं व्यक्त की हैं. मुख्यमंत्री ने एक बयान में कहा, 'हमारा इरादा संशोधित केरल पुलिस अधिनियम को लागू करने का नहीं है. इस संबंध में विधानसभा में विस्तृत विचार-विमर्श होगा और विभिन्न तबकों की राय सुनने के बाद आगे का कदम उठाया जाएगा.'
इससे पहले केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद (Arif Mohammad Khan) ने राज्य सरकार की ओर से लाए गए उस अध्यादेश को मंजूरी दे दी थी, जिसके तहत किसी अपमानित करने या धमकाने वाले पोस्ट पर पांच साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है. राज्यपाल के हस्ताक्षर के साथ ही केरल पुलिस (Kerala Police) आपराधिक एक्ट में धारा-118(ए) को जोड़ दी गई है.सरकार की ओर से जारी नए अध्यादेश के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति ऐसी पोस्ट करता है जो किसी को भी अपमानित करने वाली या धमकी देने वाली होगी तो उसे पांच साल की जेल या 10 हजार रुपये जुमार्ना या फिर दोनों सजा दी जा सकती है.

सरकार की ओर जारी इस नए अध्यादेश को लेकर अभी से विवाद खड़ा हो गया है और अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर बातें की जानें लगी हैं. मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने इस अध्यादेश को राज्यपाल से मंजूरी मिलने के बाद कहा कि ये फैसला सोशल मीडिया के बढ़ते दुष्प्रयोग और लोगों को निशाना बनाने की कुप्रथा के कारण लाया गया है.
वहीं विपक्षी पार्टियों ने अध्यादेश के जरिए लाए गए संशोधन की आलोचना की थी और कहा था कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और प्रेस की आजादी के खिलाफ है.
मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा कि उनकी सरकार का इरादा अभी इस संशोधित कानून को लागू नहीं करने का है, क्योंकि एलडीएफ के समर्थकों और लोकतंत्र की सुरक्षा के लिए खड़े लोगों ने इसे लेकर चिंताएं व्यक्त की हैं. मुख्यमंत्री ने एक बयान में कहा, 'हमारा इरादा संशोधित केरल पुलिस अधिनियम को लागू करने का नहीं है. इस संबंध में विधानसभा में विस्तृत विचार-विमर्श होगा और विभिन्न तबकों की राय सुनने के बाद आगे का कदम उठाया जाएगा.'
Detailed discussions in this regard will be held in the Assembly and further steps will be taken in this regard after hearing the views of all parties: Kerala Chief Minister Pinarayi Vijayan https://t.co/m1wjJqNpXJ
— ANI (@ANI) November 23, 2020
इससे पहले केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद (Arif Mohammad Khan) ने राज्य सरकार की ओर से लाए गए उस अध्यादेश को मंजूरी दे दी थी, जिसके तहत किसी अपमानित करने या धमकाने वाले पोस्ट पर पांच साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है. राज्यपाल के हस्ताक्षर के साथ ही केरल पुलिस (Kerala Police) आपराधिक एक्ट में धारा-118(ए) को जोड़ दी गई है.सरकार की ओर से जारी नए अध्यादेश के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति ऐसी पोस्ट करता है जो किसी को भी अपमानित करने वाली या धमकी देने वाली होगी तो उसे पांच साल की जेल या 10 हजार रुपये जुमार्ना या फिर दोनों सजा दी जा सकती है.
सरकार की ओर जारी इस नए अध्यादेश को लेकर अभी से विवाद खड़ा हो गया है और अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर बातें की जानें लगी हैं. मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने इस अध्यादेश को राज्यपाल से मंजूरी मिलने के बाद कहा कि ये फैसला सोशल मीडिया के बढ़ते दुष्प्रयोग और लोगों को निशाना बनाने की कुप्रथा के कारण लाया गया है.
वहीं विपक्षी पार्टियों ने अध्यादेश के जरिए लाए गए संशोधन की आलोचना की थी और कहा था कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और प्रेस की आजादी के खिलाफ है.