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Nipah Virus: चमगादड़ों को भगाने के चक्कर में निपाह का शिकार हो रहे लोग? केरल में फैली अफवाह

केरल में 2018 में पहली बार निपाह वायरस का प्रकोप देखने को मिला था.

केरल में 2018 में पहली बार निपाह वायरस का प्रकोप देखने को मिला था.

Nipah Virus in Kerala: इस बात के कोई सबूत नहीं हैं कि वायरस के फैलाव की वजह चमगादड़ है, लेकिन इस तरह की अफवाहों ने लोगो ...अधिक पढ़ें

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    तिरुवनंतपुरम. केरल में तिरुवनंतपुरम के थिरुमाला में कई फ्लाइंग फॉक्स चमगादड़ (Flying Fox Bats) एक पेड़ से लटके देखे जा सकते हैं. पेड़ एक सड़क के किनारे हैं, जहां कई लोग रोजाना टहलने जाते हैं. पिछले हफ्ते, जब इलाके के कुछ लोग सुबह की सैर के दौरान मिले तो उन्होंने केरल में निपाह वायरस (Nipah virus) की मौजूदगी के बीच पेड़ और चमगादड़ के बारे में बात करनी शुरू कर दी. राज्य में निपाह वायरस (Nipah virus) से 12 साल के एक बच्चे की मौत के बाद केरल में लोगों में डर और चिंता का माहौल है. हालांकि पीड़ित के करीबी संपर्क निपाह वायरस टेस्ट में निगेटिव पाए गए हैं. लेकिन वायरस के स्रोत का पता लगाना अभी बाकी है.

    केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज (Veena George) ने रविवार को कहा कि संक्रमण के स्रोत का अभी पता नहीं चल पाया है. जॉर्ज ने कहा था कि संक्रमण के स्रोत की पहचान करना महत्वपूर्ण है और पुणे एनआईवी की निगरानी टीम विभिन्न हिस्सों से नमूने एकत्र कर रही है. उन्होंने कहा कि कोझिकोड एमसीएच में हाई रिस्क वाले संपर्कों को अलग कर दिया गया है और उनकी स्थिति स्थिर है. राज्य सरकार ने बुखार की निगरानी के लिए निपाह वायरस से मरने वाले लड़के के घर से तीन किलोमीटर के दायरे में घर-घर जाकर सर्वेक्षण किया था.

    केंद्र सरकार के रिटायर्ड कर्मचारी 67 वर्षीय मुरलीकृष्णा ने पेड़ की ओर इशारा करते हुए द न्यूज मिनट को बताया, ‘क्या हमें अधिकारियों से पेड़ काटने के लिए कहना चाहिए? इतने सारे फ्रूट चमगादड़ हैं, हम यहाँ शांति से कैसे चहलकदमी कर सकते हैं?’ एक रिटायर्ड डॉक्टर अनंतकृष्ण ने जवाब दिया, ‘मूर्ख मत बनो, WHO के अनुसार, अगर चमगादड़ पर दबाव डाला जाएगा तो वायरस एक प्रजाति से दूसरी प्रजाति में फैल सकता है. चमगादड़ वायरस से भरे हुए हैं और इसे कहीं भी फैला सकते हैं.’

    हालांकि इस बात के कोई सबूत नहीं हैं कि वायरस के फैलाव की वजह चमगादड़ है, लेकिन इस तरह की अफवाहों ने लोगों में तनाव पैदा कर दिया है. केरल में 2018 में पहली बार निपाह वायरस का प्रकोप देखने को मिला था, जिसमें 17 लोगों की जान चली गई. 2019 में एक व्यक्ति संक्रमित हुआ था, लेकिन वह इस वायरस से बच गया. इस बार, एक सप्ताह पहले कोझिकोड में वायरस संक्रमण फिर से फैला, क्योंकि जिले के एक 12-वर्षीय लड़के की निपाह वायरस संक्रमण के चलते मौत हो गई.

    चमगादड़ को वायरस का प्राकृतिक मेजबान माना जाता है. इससे पहले 2018 में निपाह वायरस के दौरान कोझिकोड में जिन इलाकों में संक्रमण फैला था, उसके आसपास चमगादड़ मौजूद थे. लेकिन, चमगादड़ों से एकत्र किए गए नमूनों में कोई भी वायरस संक्रमण के लिए पॉजिटिव नहीं पाया गया. रिपोर्ट्स के मुताबिक पहले तीन पीड़ितों का परिवार जिस कुएं से पीने का पानी लाता था, उसमें चमगादड़ मौजूद थे. हालांकि, विशेषज्ञों ने कहा कि वे ऐसे चमगादड़ थे, जो कीड़ों को खाते थे और वायरस फैलाने वाले नहीं थे.

    मर्लिन टटल बैट कंजर्वेशन एंड रिसर्च फेलो के फाउंडर और एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर मर्लिन डी टटल ने द न्यूज मिनट से कहा, ‘इस बात का कोई विश्वसनीय प्रमाण नहीं है कि चमगादड़ में अन्य जानवरों की तुलना में अधिक वायरस, या उससे भी अधिक खतरनाक वायरस होते हैं. मीडिया में भयावह सुर्खियों संरक्षण के लिए दशकों की मेहनत पर पानी फेर सकती हैं.’

    उन्होंने कहा कि चमगादड़ से मनुष्यों में वायरस का फैलाव अत्यंत दुर्लभ है. मर्लिन ने कहा कि चमगादड़ों के साथ पारिस्थितिकी तंत्र को साझा करने का फायदा किसी भी खतरे के मुकाबले कहीं ज्यादा है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि अभी तक ऐसा कोई अध्ययन या प्रमाण नहीं है, जो ये साबित करे कि भारत में निपाह वायरस संक्रमण चमगादड़ों के चलते फैला है.

    50 साल से ज्यादा समय से चमगादड़ों का अध्ययन कर रहे अरक्कल माधवन ने कहा कि ‘निपाह से पहले, बहुत सारे लोग चमगादड़ के मांस का सेवन करते थे और ये भी मानते थे कि इससे अस्थमा के मरीजों को मदद मिलती है, लेकिन कोई भी इससे संक्रमित नहीं हुआ है.’

    Tags: Bats, Flying Fox Bats, Kerala, Nipah virus, केरल, चमगादड़, निपाह वायरस, वीना जॉर्ज

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