Kisan Andolan: प्रशासन को ट्रैक्टर रैली पर रोक नहीं, बल्कि इसकी अनुमति देनी चाहिए- यूनियन नेता

किसान 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली निकालने पर अड़े हैं.
Farmers Protest 55 Day Highlights: भारतीय किसान यूनियन (सिद्धूपुर) के अध्यक्ष जगजीत सिंह दलेवाल ने कहा कि योजनाबद्ध परेड के लिए 20,000 से 25,000 ट्रैक्टर अकेले पंजाब से दिल्ली आएंगे.
- News18Hindi
- Last Updated: January 20, 2021, 12:31 AM IST
Farmers Protest 55 Day Highlight: नई दिल्ली/चंडीगढ़. गणतंत्र दिवस (Republic Day) पर दिल्ली में अपनी निर्धारित ट्रैक्टर रैली को लेकर अनिश्चितता की स्थिति के बीच, नए कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने मंगलवार को कहा कि 'शांतिपूर्ण मार्च' की तैयारी पूरे जोरों पर है और वापस हटने का कोई सवाल ही नहीं है. उन्होंने कहा कि अधिकारियों को इसे रोकने के बजाय इसकी अनुमति देनी चाहिए. दिल्ली पुलिस द्वारा ट्रैक्टर रैली पर रोक लगाने की मांग करने के बाद, उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि इस पर निर्णय केंद्र सरकार और पुलिस को लेना है. अभी तक इस रैली को हालांकि आधिकारिक अनुमति नहीं मिली है.
गौरतलब है कि किसान संगठनों ने घोषणा की है कि हजारों किसान 26 जनवरी को राष्ट्रीय राजधानी की आउटर रिंग रोड पर ट्रैक्टर रैली निकालेंगे. विरोध कर रहे संगठनों ने दावा किया है कि बुधवार को गुरु गोबिंद सिंह जयंती के बाद और अधिक किसानों के विरोध स्थलों पर पहुंचने की संभावना है. भारतीय किसान यूनियन (एकता उग्रहान) के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकलां ने कहा, 'ट्रैक्टर परेड का हिस्सा बनने के लिए पंजाब के लोगों में बहुत उत्साह है. हमारे जत्थे 23 और 24 जनवरी से दिल्ली के लिए निकलना शुरू कर देंगे.
हजारों की संख्या में ट्रैक्टर परेड में होंगे शामिल
भारतीय किसान यूनियन (सिद्धूपुर) के अध्यक्ष जगजीत सिंह दलेवाल ने कहा कि योजनाबद्ध परेड के लिए 20,000 से 25,000 ट्रैक्टर अकेले पंजाब से दिल्ली आएंगे. दोआबा किसान समिति के महासचिव अमरजीत सिंह रारा ने सिंघु बॉर्डर पर कहा, 'हम चाहते हैं कि सरकार हमें अपनी रैली के लिए अनुमति दे. यह हमारा देश है और अपनी मांगों को रखना हमारा संवैधानिक अधिकार है.' उन्होंने कहा, 'हम अपने किसान संघों और राष्ट्रीय ध्वज के साथ मार्च करेंगे. इसलिए अगर वे हमसे लड़ते हैं, तो वे 'तिरंगा' से लड़ रहे होंगे.' उन्होंने कहा कि किसानों को मार्च निकालने से रोकने के बजाय, केंद्र और पुलिस को रैली के लिए एक सुरक्षित रास्ता प्रदान करना चाहिए.ये भी पढ़ें: कृषि कानूनः उद्धव ठाकरे और शरद पवार किसानों के समर्थन में 25 जनवरी को करेंगे प्रदर्शन
ये भी पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट की समिति कृषि कानून पर उत्पन्न संकट नहीं सुलझा पाएगी: सुखबीर बादल
अखिल भारतीय किसान सभा के प्रदेश उपाध्यक्ष (पंजाब) लखबीर सिंह ने कहा, 'हमने आज पुलिस से मिलकर उन्हें बताया कि हमारी रैली पूरी तरह से अहिंसक होगी और उन्होंने कहा कि वे मार्ग से संबंधित विवरणों की जांच करेंगे और कल हमसे मिलेंगे.' उन्होंने कहा, 'हम यह भी देखना चाहते हैं कि सरकार कल वार्ता में क्या कहती है. हम एक-दो दिनों में योजना को अंतिम रूप देंगे.' हालांकि रैली की अंतिम योजना तैयार नहीं की गई है, मार्च के दौरान अनुशासन सुनिश्चित करने के लिए स्वयंसेवकों को लगाया जाएगा.

पटियाला के एक किसान सुखजीत सिंह सिद्धू ने कहा, 'रैली के पूर्वाभ्यास हमारे गांव में चल रहे हैं. यहां के स्वयंसेवकों को बताया जा रहा है कि मार्च के दौरान व्यवस्था को कैसे बनाए रखा जाए.' उन्होंने कहा, 'गुरूपरब (गुरु गोबिंद सिंह की जयंती) के बाद बृहस्पतिवार से लाखों लोग यहां पहुंचेंगे.' पंजाब के तरनतारन जिले के कुर्लाल सिंह ने कहा, 'हमारे किसान यूनियन नेताओं ने सरकार को परेड की रूपरेखा पहले ही उपलब्ध करा दी है, इसलिए हमें अनुमति नहीं देने का कोई कारण नहीं बनता.' उन्होंने कहा, 'हम अब तक शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करते आ रहे हैं, और हमारी रैली भी अहिंसक होगी. दिल्ली में प्रवेश करना हमारा संवैधानिक अधिकार है.'
गौरतलब है कि केंद्र सरकार और प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच नौ दौर की बातचीत हुयी है लेकिन मुद्दे को सुलझाने की पहल बेनतीजा रही अब 10वें दौर की वार्ता बुधवार को प्रस्तावित है. दिल्ली की सीमा पर हजारों की संख्या में किसान करीब दो महीने से नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं.
गौरतलब है कि किसान संगठनों ने घोषणा की है कि हजारों किसान 26 जनवरी को राष्ट्रीय राजधानी की आउटर रिंग रोड पर ट्रैक्टर रैली निकालेंगे. विरोध कर रहे संगठनों ने दावा किया है कि बुधवार को गुरु गोबिंद सिंह जयंती के बाद और अधिक किसानों के विरोध स्थलों पर पहुंचने की संभावना है. भारतीय किसान यूनियन (एकता उग्रहान) के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकलां ने कहा, 'ट्रैक्टर परेड का हिस्सा बनने के लिए पंजाब के लोगों में बहुत उत्साह है. हमारे जत्थे 23 और 24 जनवरी से दिल्ली के लिए निकलना शुरू कर देंगे.
हजारों की संख्या में ट्रैक्टर परेड में होंगे शामिल
भारतीय किसान यूनियन (सिद्धूपुर) के अध्यक्ष जगजीत सिंह दलेवाल ने कहा कि योजनाबद्ध परेड के लिए 20,000 से 25,000 ट्रैक्टर अकेले पंजाब से दिल्ली आएंगे. दोआबा किसान समिति के महासचिव अमरजीत सिंह रारा ने सिंघु बॉर्डर पर कहा, 'हम चाहते हैं कि सरकार हमें अपनी रैली के लिए अनुमति दे. यह हमारा देश है और अपनी मांगों को रखना हमारा संवैधानिक अधिकार है.' उन्होंने कहा, 'हम अपने किसान संघों और राष्ट्रीय ध्वज के साथ मार्च करेंगे. इसलिए अगर वे हमसे लड़ते हैं, तो वे 'तिरंगा' से लड़ रहे होंगे.' उन्होंने कहा कि किसानों को मार्च निकालने से रोकने के बजाय, केंद्र और पुलिस को रैली के लिए एक सुरक्षित रास्ता प्रदान करना चाहिए.ये भी पढ़ें: कृषि कानूनः उद्धव ठाकरे और शरद पवार किसानों के समर्थन में 25 जनवरी को करेंगे प्रदर्शन
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अखिल भारतीय किसान सभा के प्रदेश उपाध्यक्ष (पंजाब) लखबीर सिंह ने कहा, 'हमने आज पुलिस से मिलकर उन्हें बताया कि हमारी रैली पूरी तरह से अहिंसक होगी और उन्होंने कहा कि वे मार्ग से संबंधित विवरणों की जांच करेंगे और कल हमसे मिलेंगे.' उन्होंने कहा, 'हम यह भी देखना चाहते हैं कि सरकार कल वार्ता में क्या कहती है. हम एक-दो दिनों में योजना को अंतिम रूप देंगे.' हालांकि रैली की अंतिम योजना तैयार नहीं की गई है, मार्च के दौरान अनुशासन सुनिश्चित करने के लिए स्वयंसेवकों को लगाया जाएगा.
पटियाला के एक किसान सुखजीत सिंह सिद्धू ने कहा, 'रैली के पूर्वाभ्यास हमारे गांव में चल रहे हैं. यहां के स्वयंसेवकों को बताया जा रहा है कि मार्च के दौरान व्यवस्था को कैसे बनाए रखा जाए.' उन्होंने कहा, 'गुरूपरब (गुरु गोबिंद सिंह की जयंती) के बाद बृहस्पतिवार से लाखों लोग यहां पहुंचेंगे.' पंजाब के तरनतारन जिले के कुर्लाल सिंह ने कहा, 'हमारे किसान यूनियन नेताओं ने सरकार को परेड की रूपरेखा पहले ही उपलब्ध करा दी है, इसलिए हमें अनुमति नहीं देने का कोई कारण नहीं बनता.' उन्होंने कहा, 'हम अब तक शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करते आ रहे हैं, और हमारी रैली भी अहिंसक होगी. दिल्ली में प्रवेश करना हमारा संवैधानिक अधिकार है.'
गौरतलब है कि केंद्र सरकार और प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच नौ दौर की बातचीत हुयी है लेकिन मुद्दे को सुलझाने की पहल बेनतीजा रही अब 10वें दौर की वार्ता बुधवार को प्रस्तावित है. दिल्ली की सीमा पर हजारों की संख्या में किसान करीब दो महीने से नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं.