नई दिल्ली : तीनों कृषि कानून (Farm Laws) को वापस लेने के साथ किसानों (Farmers) की लंबित मांगों को मान लेने और उन्हें जल्द पूरे करने के सरकार के वादे के बाद सालभर से ज्यादा चला किसान आंदोलन खत्म तो हुआ, लेकिन अब फिर से किसान अपना विरोध जताने को तैयार हैं. किसान आंदोलन (Kisan Andolan) का नेतृत्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा (Samyukt Kisan Morcha) ने तय किया है कि 31 जनवरी को देश भर में “विश्वासघात दिवस” मनाया जाएगा और जिला और तहसील स्तर पर बड़े रोष प्रदर्शन आयोजित किए जाएंगे. मोर्चे से जुड़े सभी किसान संगठन जोरशोर से इसकी तैयारी में जुटे हैं. मोर्चा ने उम्मीद जताते हुए कहा है कि यह कार्यक्रम देश के कम से कम 500 जिलों में आयोजित किया जाएगा.
दरअसल, आश्वासन के बावजूद अपनी मांगों पर सरकार द्वारा कदम ना उठाए जाने का विरोध करने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा (Samyukt Kisan Morcha) ने 15 जनवरी की अपनी बैठक में यह फैसला किया था. अब किसानों द्वारा किए जाने वाले इन प्रदर्शनों में केंद्र सरकार के नाम ज्ञापन भी दिया जाएगा. संयुक्त किसान मोर्चा की कोऑर्डिनेशन कमिटी की बैठक में इस कार्यक्रम की तैयारी की समीक्षा की गई.
संयुक्त किसान मोर्चा (Samyukt Kisan Morcha) ने बयान जारी करते हुए करते हुए कहा कि सरकार का किसान (Farmers) विरोधी रुख इस बात से जाहिर हो जाता है कि 15 जनवरी के फैसले के बाद भी भारत सरकार ने 9 दिसंबर के अपने पत्र में किया कोई वादा पूरा नहीं किया है. आंदोलन के दौरान हुए केस को तत्काल वापस लेने और शहीद परिवारों को मुआवजा देने के वादे पर पिछले दो सप्ताह में कोई भी कार्रवाई नहीं हुई है. एमएसपी के मुद्दे पर सरकार ने कमेटी के गठन की कोई घोषणा नहीं की है. इसलिए मोर्चे ने देशभर में किसानों से आह्वान किया है कि वह “विश्वासघात दिवस” के माध्यम से सरकार तक अपना रोष पहुंचाएं.
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संयुक्त किसान मोर्चा ने यह स्पष्ट किया है कि “मिशन उत्तर प्रदेश” जारी रहेगा, जिसके जरिए सत्ता को सबक सिखाया जाएगा. इसके तहत अजय मिश्र टेनी को बर्खास्त और गिरफ्तार ना करने, केंद्र सरकार द्वारा किसानों से विश्वासघात समेत और प्रदेश की जनता से कई आह्वान किए गए हैं. मोर्चा का कहना है कि इस मिशन को कार्य रूप देने के लिए 3 फरवरी को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए मिशन के नए दौर की शुरुआत होगी. इसके तहत एसकेएम के सभी संगठनों द्वारा पूरे प्रदेश में साहित्य वितरण, प्रेस कॉन्फ्रेंस, सोशल मीडिया और सार्वजनिक सभा के माध्यम से संदेश के लिए पहुंचाया जाएगा.
मोर्चे ने यह स्पष्ट किया है कि आगामी 23 और 24 फरवरी को देश की केंद्रीय ट्रेड यूनियनों (Trade Unions) ने मजदूर विरोधी चार लेबर कोड को वापस लेने के साथ-साथ किसानों को एमएसपी और प्राइवेटाइजेशन के विरोध जैसे मुद्दों पर राष्ट्रव्यापी हड़ताल के आह्वान को संयुक्त किसान मोर्चा का पूरा समर्थन रहेगा.
पंजाब और अन्य राज्यों के चुनाव के बारे में मोर्चे ने यह स्पष्ट किया है कि संयुक्त किसान मोर्चा के नाम, बैनर या मंच का इस्तेमाल किसी राजनैतिक दल या उम्मीदवार द्वारा नही किया जाएगा. ऐसा करने वालों के खिलाफ मोर्चे द्वारा अनुशासन की कार्यवाही की जाएगी.
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