केवीआईसी लाया गाय के गोबर वाला पेंट, नितिन गडकरी करेंगे लॉन्च

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (PTI Photo/Atul Yadav)
खादी और ग्रामोद्योग आयोग आज पर्यावरण के अनुकूल, जीवाणुरोधी और गैर-विषैले रंग- रोगन की पेशकश करेगा.
- News18Hindi
- Last Updated: January 12, 2021, 4:59 PM IST
नई दिल्ली. खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) मंगलवार को पर्यावरण के अनुकूल, जीवाणुरोधी और गैर-विषैले रंग- रोगन की पेशकश करेगा. ‘खादी प्राकृतिक पेंट’ अपनी तरह का पहला उत्पाद है, जो मुख्य घटक के रूप में गाय के गोबर पर आधारित है. यह पेंट सस्ता है, गंधहीन है और साथ ही इसे भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा प्रमाणित किया गया है. इस पेंट की पेशकश सड़क परिवहन तथा राजमार्ग और सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उद्योग मंत्री नितिन गडकरी करेंगे.
एक आधिकारिक बयान में सोमवार को कहा गया, ‘खादी प्राकृतिक पेंट दो रूपों में उपलब्ध है - डिस्टेंपर पेंट और प्लास्टिक इमल्शन पेंट. खादी प्राकृतिक पेंट का उत्पादन किसानों की आय बढ़ाने के प्रधानमंत्री के विचार से जुड़ा हुआ है.’ बयान के मुताबिक फंगसरोधी और जीवाणुरोधी गुणों के साथ ही यह पेंट सीसा, पारा, क्रोमियम, आर्सेनिक, कैडमियम और अन्य भारी धातुओंसे मुक्त है.
इसके प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के माध्यम से स्थानीय विनिर्माण और स्थायी स्थानीय रोजगार को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है. बयान के मुताबिक, ‘इस तकनीक से पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों के लिए कच्चे माल के रूप में गोबर की खपत बढ़ेगी और किसानों तथा गौशालाओं को अतिरिक्त आमदनी होगी. इससे किसानों और गौशालाओं को प्रति पशु लगभग 30,000 रुपये वार्षिक आमदनी होने का अनुमान है.’पेंट में नहीं मिले हुए हैं हैवी मेटल्स
खादी प्राकृतक डिस्टेंपर और इमल्शन पेंट का परीक्षण 3 राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं में किया गया है इसमें नेशनल टेस्ट हाउस, मुंबई, श्री राम इंस्टीट्यूट फॉर इंडस्ट्रियल रिसर्च, नई दिल्ली और नेशनल टेस्ट हाउस, गाजियाबाद शामिल है.
अनुमान है कि इससे गौशालाओं/ पशुपालकों को प्रति वर्ष लगभग 30,000 रुपये की अतिरिक्त आय होगी. दावा किया गया कि गाय के गोबर के उपयोग से पर्यावरण भी साफ होगा.

पेंट में हैवी मेटल जैसे सीसा, पारा, क्रोमियम, आर्सेनिक, कैडमियम नहीं मिलाया गया है. दावा है कि यह स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देगा और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के माध्यम से स्थायी स्थानीय रोजगार बढ़ाएगा. आयोग का कहना है कि इस तकनीक से पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों के लिए कच्चे माल के रूप में गोबर की खपत बढ़ेगी और किसानों और गौशालाओं की अतिरिक्त कमाई होगी . (भाषा इनपुट के साथ)
एक आधिकारिक बयान में सोमवार को कहा गया, ‘खादी प्राकृतिक पेंट दो रूपों में उपलब्ध है - डिस्टेंपर पेंट और प्लास्टिक इमल्शन पेंट. खादी प्राकृतिक पेंट का उत्पादन किसानों की आय बढ़ाने के प्रधानमंत्री के विचार से जुड़ा हुआ है.’ बयान के मुताबिक फंगसरोधी और जीवाणुरोधी गुणों के साथ ही यह पेंट सीसा, पारा, क्रोमियम, आर्सेनिक, कैडमियम और अन्य भारी धातुओंसे मुक्त है.
इसके प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के माध्यम से स्थानीय विनिर्माण और स्थायी स्थानीय रोजगार को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है. बयान के मुताबिक, ‘इस तकनीक से पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों के लिए कच्चे माल के रूप में गोबर की खपत बढ़ेगी और किसानों तथा गौशालाओं को अतिरिक्त आमदनी होगी. इससे किसानों और गौशालाओं को प्रति पशु लगभग 30,000 रुपये वार्षिक आमदनी होने का अनुमान है.’पेंट में नहीं मिले हुए हैं हैवी मेटल्स
खादी प्राकृतक डिस्टेंपर और इमल्शन पेंट का परीक्षण 3 राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं में किया गया है इसमें नेशनल टेस्ट हाउस, मुंबई, श्री राम इंस्टीट्यूट फॉर इंडस्ट्रियल रिसर्च, नई दिल्ली और नेशनल टेस्ट हाउस, गाजियाबाद शामिल है.
अनुमान है कि इससे गौशालाओं/ पशुपालकों को प्रति वर्ष लगभग 30,000 रुपये की अतिरिक्त आय होगी. दावा किया गया कि गाय के गोबर के उपयोग से पर्यावरण भी साफ होगा.
पेंट में हैवी मेटल जैसे सीसा, पारा, क्रोमियम, आर्सेनिक, कैडमियम नहीं मिलाया गया है. दावा है कि यह स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देगा और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के माध्यम से स्थायी स्थानीय रोजगार बढ़ाएगा. आयोग का कहना है कि इस तकनीक से पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों के लिए कच्चे माल के रूप में गोबर की खपत बढ़ेगी और किसानों और गौशालाओं की अतिरिक्त कमाई होगी . (भाषा इनपुट के साथ)