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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जहां एक तरफ तीसरे अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को यादगार बनाना चाहते है. वही दूसरी तरफ देश में तीन लाख योग प्रशिक्षकों की कमी है. जबकि पांच लाख योग प्रशिक्षकों की आवश्यकता है.
हाल ही में एसोचैम द्वारा किए गए अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है. अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (21 जून) पर जारी सर्वेक्षण में कहा गया है कि यह इसकी लोकप्रियता को बढ़ा रहा है. साथ ही योग को तेजी से बढ़ते 'फिटनेस की नई मुद्रा' के रुप में देखा जा रहा है. जितनी तेजी से यह दुनिया भर में लोकप्रिय हो रहा है. उसके हिसाब से इसके प्रशिक्षकों की कमी है.
एसोचैम के अध्ययन में कहा गया है कि प्रसिद्ध हस्तियों को योग सिखाने की बढ़ती लोकप्रियता ने इसे एक आर्कषक पेशा बना दिया है. योग प्रशिक्षक निजी कक्षाओं के लिए अपने अनुभव के आधार पर चार्ज कर रहे है.
आज योग देश भर के लोगों की जीवनशैली का हिस्सा है. बढ़ते योग स्टूडियो और निजी योग कोचिंग की संख्या इसका प्रमाण है. बहुत सारे लोग योग कक्षाओं में 5,000 रुपये से लेकर 25,000 रुपये तक खर्च करने को तैयार हैं. क्योंकि वे इसे अपनी शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक भलाई में किया गया निवेश मानते हैं.
इस अध्ययन के अनुसार दक्षिण पूर्व एशिया में योग प्रशिक्षकों की मांग सबसे अधिक है. भारत, दक्षिणपूर्व एशिया और चीन के लिए इसका सबसे बड़ा निर्यातक है. अनुमान है कि चीन में भारत के 3,000 योग प्रशिक्षक काम कर रहे हैं. जिनमें से ज्यादातर हरिद्वार और ऋषिकेश के हैं. जिसे भारत का योग की राजधानी कहा जाता है. क्योंकि यहां सबसे ज्यादा योग स्कूल हैं.
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Tags: International Yoga Day
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