पैंगोंग झील में चीन को मुंहतोड़ जवाब देगी भारत की अत्याधुनिक और दमदार बोट, पेट्रोलिंग में भी होगी आसानी

पैंगोंग झील में चीन को टक्कर देने के लिए भारत की नई स्टील बोट हो रही है तैयार (प्रतीकात्मक तस्वीर- AP Photo/Manish Swarup)
High Powered Bigger Capacity Boats: पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग त्सो झील में चीन हमेशा से पेट्रोलिंग के दौरान अपनी बोट के जरिए भारतीय बोट को टक्कर मारकर नुकसान पहुंचाने और डुबोने की कोशिश में रहता था. अब उन बोट को टक्कर देने के लिए नई स्टील बोट तैयार की जा रही है.
- News18Hindi
- Last Updated: December 5, 2020, 2:04 AM IST
नई दिल्ली. भारत और चीन (India-China) की सेना के बीच तनाव लगातार जारी है. चीन की हरकतों को देखते हुए भारतीय सेना भी अपने को और मज़बूत करने में जुटी है. पूरी एलएसी (LAC) में भारतीय सेना इस वक़्त चीन को जिस तरह से टक्कर दे रही है, ऐसा इससे पहले कभी नहीं दिखाई दिया. पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग त्सो झील में चीन हमेशा से पेट्रोलिंग के दौरान अपनी बोट के जरिए भारतीय बोट को टक्कर मारकर नुकसान पहुंचाने और डुबोने की कोशिश में रहता था. अब उन बोट को टक्कर देने के लिए नई स्टील बोट तैयार की जा रही है. खास बात ये है कि ये बोट्स पूरी तरह से स्वदेशी होंगी जिन्हें भारत में ही बनाया जा रहा है. अगर सूत्रों की माने तो अगले साल गर्मियों तक पूर्वी लद्दाख के पैंगाग झील में इन बोट्स की तैनाती हो जाएगी.
जिस तरह की बोट का इस्तेमाल चीन फिलहाल कर रहा है उससे बेहतर बोट को तैनात किया जाएगा. ये बोट्स नई तकनीक से लैस होंगी जिसे स्पेशल स्टील और स्पेशल धातु से बनया जा रहा है और अत्याधुनिक सर्विलांस और कम्युनिकेशन लगाए जा रहे हैं. नई बोट को इतना मज़बूत बनाया जाएगा कि अब चीन हमारी बोट को नुकसान नहीं पहुंचा पाएंगे. इसके लिये स्टील की मोटी प्लेटें भी लगाई जा रही हैं. नई बोट में जवानों के बैठने की भी ज़्यादा जगहें होंगी. इन बोट में क़रीब 25-30 जवान एक साथ बैठ सकते हैं.
सुरक्षित रहकर जवान कर सकेंगे दुश्मन पर फायरिंग
इससे पहले, जो बोट भारतीय सेना इस्तेमाल कर रही थी उसमें एक साथ केवल 10 से 12 जवान ही बैठ सकते थे. साथ ही फायरिंग के लिये इनमें नाव के सामने हल्की मशीनगन लगाने के लिए सुरक्षित जगह भी है और अंदर से फ़ायर करने के लिए लूप होल्स बनाए जा रहे हैं. इन सभी बोट को फास्ट ट्रैक प्रोक्योरमेंट के तहत बनाया जा रहा है. जोकि अगले साल तक पूरा हो जाएगा.
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सूत्रों की माने तो फिलहाल क़रीब 2 दर्जन के क़रीब बोट को बनाने पर काम चल रहा है. पूर्वी लद्दाख में जारी तनातनी को देखते हुए सेना ने इन बोट की मांग जल्द से जल्द की है. नौसेना की टेक्निकल टीम ने इस इलाके के हालात और जरूरत के तहत झील का जायज़ा भी लिया. साथ ही चीनी बोट की तकनीक को भी समझा. भारतीय नौसेना इन नई बोट को बनाने के लिए अपनी तकनीकी सहयोग भी दे रही है. इस वक़्त चीन पैंगोंग त्सो झील में जो बोट इस्तेमाल कर रहा है वो Type 928-B वेसेल है जोकि पहले के मुक़ाबले ज़्यादा मज़बूत और आधुनिक है.
जिस तरह की बोट का इस्तेमाल चीन फिलहाल कर रहा है उससे बेहतर बोट को तैनात किया जाएगा. ये बोट्स नई तकनीक से लैस होंगी जिसे स्पेशल स्टील और स्पेशल धातु से बनया जा रहा है और अत्याधुनिक सर्विलांस और कम्युनिकेशन लगाए जा रहे हैं. नई बोट को इतना मज़बूत बनाया जाएगा कि अब चीन हमारी बोट को नुकसान नहीं पहुंचा पाएंगे. इसके लिये स्टील की मोटी प्लेटें भी लगाई जा रही हैं. नई बोट में जवानों के बैठने की भी ज़्यादा जगहें होंगी. इन बोट में क़रीब 25-30 जवान एक साथ बैठ सकते हैं.
सुरक्षित रहकर जवान कर सकेंगे दुश्मन पर फायरिंग
इससे पहले, जो बोट भारतीय सेना इस्तेमाल कर रही थी उसमें एक साथ केवल 10 से 12 जवान ही बैठ सकते थे. साथ ही फायरिंग के लिये इनमें नाव के सामने हल्की मशीनगन लगाने के लिए सुरक्षित जगह भी है और अंदर से फ़ायर करने के लिए लूप होल्स बनाए जा रहे हैं. इन सभी बोट को फास्ट ट्रैक प्रोक्योरमेंट के तहत बनाया जा रहा है. जोकि अगले साल तक पूरा हो जाएगा.
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सूत्रों की माने तो फिलहाल क़रीब 2 दर्जन के क़रीब बोट को बनाने पर काम चल रहा है. पूर्वी लद्दाख में जारी तनातनी को देखते हुए सेना ने इन बोट की मांग जल्द से जल्द की है. नौसेना की टेक्निकल टीम ने इस इलाके के हालात और जरूरत के तहत झील का जायज़ा भी लिया. साथ ही चीनी बोट की तकनीक को भी समझा. भारतीय नौसेना इन नई बोट को बनाने के लिए अपनी तकनीकी सहयोग भी दे रही है. इस वक़्त चीन पैंगोंग त्सो झील में जो बोट इस्तेमाल कर रहा है वो Type 928-B वेसेल है जोकि पहले के मुक़ाबले ज़्यादा मज़बूत और आधुनिक है.