पश्चिम बंगाल में बीजेपी का जनाधार लगातार बढ़ रहा है.
पिछले पांच साल में बीजेपी और खासकर अमित शाह का पूरा ध्यान पश्चिम बंगाल पर टिका रहा. इस दौरान भाजपा राज्य में अपनी जड़ें जमाने का काम करती रही. साथ ही टीएमसी प्रमुख और राज्य की मुख्यमंत्री के किले को धीरे-धीरे तोड़ने का काम भी चलता रहा. इसका सीधा असर दिखा लोकसभा चुनावों के परिणामों में. बीजेपी का वोट शेयर राज्य में 2014 के मुकाबले दोगुने से ज्यादा बढ़ गया है. मतलब साफ था बदलाव, पश्चिम बंगाल के लोग भी अब कुछ बदलाव की तरफ देख रहे हैं.
17 प्रतिशत वोट मिले थे 2014 में
पश्चिम बंगाल में 2014 के चुनावों के बाद बीजेपी को 17 प्रतिशत वोट मिले थे, लेकिन 2019 का परिणाम आते आते पार्टी को 39 प्रतिशत से ज्यादा वोट शेयर मिल चुका था. हालांकि अभी यह अंतिम वोट शेयर नहीं है क्योंकि फाइनल काउंटिंग खबर लिखे जाने तक पूरी नहीं हो सकी है. इस आंकड़े में कुछ फेरबदल संभव है.
वामदलों को तगड़ा झटका
पिछले लोकसभा चुनावों पर नजर डालें तो बीजेपी को पश्चिम बंगाल में 17.02 प्रतिशत वोट मिले थे. टीएमसी का इस दौरान 39.05 प्रतिशत का वोट शेयर था और सीपीएम को 29.71 प्रतिशत वोट मिले थे. वहीं, कांग्रेस 9.58 प्रतिशत के साथ थी, लेकिन 2019 में यह आंकड़े पलटते नजर आए. जहां बीजेपी ने बढ़त लेते हुए 39.8 प्रतिशत के वोट शेयर पर पहुंच बना ली थी, जिसमें अभी फेरबदल संभव है. वहीं, टीएमसी का वोट शेयर भी बढ़ा और यह 43.8 प्रतिशत तक पहुंचा, लेकिन जो आंकड़े चौंकाने वाले थे वह सीपीएम के थे, सीपीएम का वोट शेयर 6.74 प्रतिशत रह गया_ वहीं कांगेस का भी वोट शेयर घटता हुआ दिखा और यह केवल 5.26 प्रतिशत ही नजर आया.
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