कृषि कानूनों पर हंगामे के बाद लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही स्थगित

लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष का हंगामा. (Pic- ANI)
Farm Laws: लोकसभा की कार्यवाही आरंभ होने साथ ही कांग्रेस के सदस्य कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर आसन के समीप आकर नारेबाजी करने लगे. ऐसा ही नजारा राज्यसभा में भी देखने को मिला.
- भाषा
- Last Updated: March 10, 2021, 1:39 PM IST
नई दिल्ली. विवादों में घिरे 3 केंद्रीय कृषि कानूनों (Farm Laws) के मुद्दे पर लोकसभा (Lok Sabha) में बुधवार को कांग्रेस (Congress) व तृणमूल कांग्रेस (TMC) के सदस्यों के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही आरंभ होने के करीब आधे घंटे बाद दोपहर 12.30 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई. वहीं राज्यसभा (Rajya Sabha) में भी कृषि कानूनों पर हंगामा देखने को मिला. इसके बाद सदन की बैठक एक बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई.
लोकसभा की कार्यवाही आरंभ होने साथ ही कांग्रेस के सदस्य कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर आसन के समीप आकर नारेबाजी करने लगे. तृणमूल कांग्रेस के कुछ सदस्यों को भी आसन के पास देखा गया. कांग्रेस सदस्यों के शोर शराबे पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा, ‘आपके कार्यास्थगन प्रस्ताव पर कोई फैसला नहीं किया गया. फिर भी शोर शराबा कर रहे हैं. क्या आप भविष्य वक्ता हैं?’ उन्होंने कहा, ‘मुलायम सिंह यादव साहब, इन लोगों को समझाइए.. आप (विपक्षी सदस्य) बिना विषय के रोज व्यवधान पैदा करते हैं. यह गलत बात है.’
बिरला ने विपक्षी सदस्यों से अपने स्थान पर जाने की अपील करते हुए कहा, ‘आपने खुद फैसला किया था कि प्रश्नकाल चलने देंगे. यह सामूहिक फैसला था.’ इसके बाद उन्होंने हंगामे के बीच ही प्रश्नकाल को आगे बढ़ाया. कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के सदस्य अध्यक्ष के निकट पहुंचकर नारेबाजी कर रहे थे. उन्होंने ‘काले कानून वापस लो’ और ‘प्रधानमंत्री जवाब दो’ के नारे लगाए.
लोकसभा में शोर-शराबे के बीच करीब आधे घंटे तक प्रश्नकाल चलाने के बाद बिरला ने एक बार फिर विपक्षी सदस्यों से अपने स्थान पर जाने और कार्यवाही चलने देने की अपील की. उन्होंने कहा, ‘आपको जनता ने चर्चा और संवाद के लिए सदन में भेजा है, लेकिन आप लोग रोज नारेबाजी करते हैं और अमर्यादित व्यवहार करते हैं...ये आपका गलत तरीका है...हमें संसद की मर्यादा रखनी चाहिए.’ सदन में स्थिति ज्यों की त्यों बनी रहने पर बिरला ने करीब 11.30 बजे सभा की बैठक दोपहर 12.30 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई.
इसके अलावा राज्यसभा में बुधवार को कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी सदस्यों ने किसानों से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर तत्काल चर्चा कराने की मांग करते हुए हंगामा किया जिसके कारण शून्यकाल और प्रश्नकाल में कार्यवाही बाधित हुई और दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई.
सदन में शून्यकाल शुरू होते हुए नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खडगे ने किसानों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा के लिए नोटिस दिए जाने का जिक्र किया और कहा कि केंद्र के तीन नए कृषि किसानों के खिलाफ पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान आंदोलनरत हैं. उन्होंने कहा कि देश के अन्य हिस्सों में भी किसानों का आंदोलन जारी है, भले ही वह यहां नहीं दिख रहा हो.
सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि कांग्रेस सदस्यों दीपेंद्र हुड्डा, प्रताप सिंह बाजवा व राजीव सातव, राजद के मनोज झा और द्रमुक के टी शिवा की ओर से उन्हें किसानों के मुद्दों पर चर्चा के लिए नोटिस 267 के तहत कार्यस्थगन नोटिस मिले हैं. इसके अलावा बसपा के अशोक सिद्धार्थ की ओर से एक नोटिस पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर चर्चा के लिए मिला है.
उन्होंने कहा कि अभी ग्रामीण विकास मंत्रालय सहित कई मंत्रालयों के कामकाज पर चर्चा होनी है और उस दौरान सदस्य किसानों के मुद्दे पर अपनी बात रख सकते हैं. नियम 267 के तहत सदन का सामान्य कामकाज स्थगित कर किसी अत्यावश्यक मुद्दे पर चर्चा की जाती है.
सभापति ने कहा कि पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर चर्चा से संबंधित नोटिस को वह पहले ही खारिज कर चुके हैं. अन्य सदस्यों के नोटिसों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि बजट सत्र के पहले चरण में किसानों के मुद्दे पर चर्चा हो चुकी है, इसलिए उन्होंने इन नोटिसों को खारिज कर दिया है.
उन्होंने कहा कि सदन में विभिन्न मंत्रालयों के कामकाज के अलावा विनियोग विधेयक आदि पर भी चर्चा होनी है. इच्छुक सदस्य उन चर्चाओं में अपनी बात रख सकते हैं. इस दौरान सदन में विपक्षी सदस्यों का हंगामा शुरू हो गया और वे सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे. नायडू ने सदस्यों से शांति बनाए रखने की अपील करते हुए कहा कि शून्य काल में 18 सदस्यों को अपने अपने मुद्दे उठाने हैं. उन्होंने कहा कि यह सदन ‘डिस्कशन (चर्चा, विचार विमर्श)’ के लिए बनाया गया है, ‘डिसरप्शन (अवरोध उत्पन्न करने)’ के लिए नहीं.
सदन में हंगामे पर अप्रसन्नता जताते हुए नायडू ने कहा कि यह कोई उचित पद्धति नहीं है और उन्हें चर्चा में भाग लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि नारेबाजी व हंगामे से न तो उन सदस्यों का भला होगा और न ही देश का भला होने वाला है. तीनों नए कृषि कानून वापस लिए जाने की मांग पर उन्होंने कहा, ‘कानून वापस लेने का तरीका सदस्यों को मालूम है और अगर आपके पास संख्या बल है तो सरकार पर दबाव बनाएं.’
लेकिन सदन में हंगामा जारी रहा और उन्होंने 11 बजकर करीब 15 मिनट पर बैठक दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी. एक बार के स्थगन के बाद दोपहर 12 बजे बैठक शुरू होने पर सदन में हंगामा जारी रहा और कई विपक्षी सदस्य आसन के समीप आकर नारेबाजी करने लगे.

उपसभापति हरिवंश ने हंगामे के बीच ही प्रश्नकाल चलाने का प्रयास किया. श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष गंगवार ने शोर के बीच ही पूरक सवालों का जवाब देने का प्रयास किया लेकिन शोरगुल के कारण उनकी बात पूरी तरह से नहीं सुनी जा सकी. उपसभापति ने कहा कि नोटिसों के संबंध में सभापति ने स्थिति पहले ही स्पष्ट कर दी है और उनके फैसले पर पुनर्विचार नहीं किया जा सकता. उन्होंने सदस्यों से प्रश्नकाल चलने देने की अपील की. सदन में हंगामा नहीं थमते देख उन्होंने 12 बजकर करीब पांच मिनट पर बैठक दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी.
लोकसभा की कार्यवाही आरंभ होने साथ ही कांग्रेस के सदस्य कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर आसन के समीप आकर नारेबाजी करने लगे. तृणमूल कांग्रेस के कुछ सदस्यों को भी आसन के पास देखा गया. कांग्रेस सदस्यों के शोर शराबे पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा, ‘आपके कार्यास्थगन प्रस्ताव पर कोई फैसला नहीं किया गया. फिर भी शोर शराबा कर रहे हैं. क्या आप भविष्य वक्ता हैं?’ उन्होंने कहा, ‘मुलायम सिंह यादव साहब, इन लोगों को समझाइए.. आप (विपक्षी सदस्य) बिना विषय के रोज व्यवधान पैदा करते हैं. यह गलत बात है.’
बिरला ने विपक्षी सदस्यों से अपने स्थान पर जाने की अपील करते हुए कहा, ‘आपने खुद फैसला किया था कि प्रश्नकाल चलने देंगे. यह सामूहिक फैसला था.’ इसके बाद उन्होंने हंगामे के बीच ही प्रश्नकाल को आगे बढ़ाया. कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के सदस्य अध्यक्ष के निकट पहुंचकर नारेबाजी कर रहे थे. उन्होंने ‘काले कानून वापस लो’ और ‘प्रधानमंत्री जवाब दो’ के नारे लगाए.

इसके अलावा राज्यसभा में बुधवार को कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी सदस्यों ने किसानों से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर तत्काल चर्चा कराने की मांग करते हुए हंगामा किया जिसके कारण शून्यकाल और प्रश्नकाल में कार्यवाही बाधित हुई और दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई.
सदन में शून्यकाल शुरू होते हुए नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खडगे ने किसानों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा के लिए नोटिस दिए जाने का जिक्र किया और कहा कि केंद्र के तीन नए कृषि किसानों के खिलाफ पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान आंदोलनरत हैं. उन्होंने कहा कि देश के अन्य हिस्सों में भी किसानों का आंदोलन जारी है, भले ही वह यहां नहीं दिख रहा हो.
सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि कांग्रेस सदस्यों दीपेंद्र हुड्डा, प्रताप सिंह बाजवा व राजीव सातव, राजद के मनोज झा और द्रमुक के टी शिवा की ओर से उन्हें किसानों के मुद्दों पर चर्चा के लिए नोटिस 267 के तहत कार्यस्थगन नोटिस मिले हैं. इसके अलावा बसपा के अशोक सिद्धार्थ की ओर से एक नोटिस पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर चर्चा के लिए मिला है.
उन्होंने कहा कि अभी ग्रामीण विकास मंत्रालय सहित कई मंत्रालयों के कामकाज पर चर्चा होनी है और उस दौरान सदस्य किसानों के मुद्दे पर अपनी बात रख सकते हैं. नियम 267 के तहत सदन का सामान्य कामकाज स्थगित कर किसी अत्यावश्यक मुद्दे पर चर्चा की जाती है.
सभापति ने कहा कि पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर चर्चा से संबंधित नोटिस को वह पहले ही खारिज कर चुके हैं. अन्य सदस्यों के नोटिसों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि बजट सत्र के पहले चरण में किसानों के मुद्दे पर चर्चा हो चुकी है, इसलिए उन्होंने इन नोटिसों को खारिज कर दिया है.
उन्होंने कहा कि सदन में विभिन्न मंत्रालयों के कामकाज के अलावा विनियोग विधेयक आदि पर भी चर्चा होनी है. इच्छुक सदस्य उन चर्चाओं में अपनी बात रख सकते हैं. इस दौरान सदन में विपक्षी सदस्यों का हंगामा शुरू हो गया और वे सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे. नायडू ने सदस्यों से शांति बनाए रखने की अपील करते हुए कहा कि शून्य काल में 18 सदस्यों को अपने अपने मुद्दे उठाने हैं. उन्होंने कहा कि यह सदन ‘डिस्कशन (चर्चा, विचार विमर्श)’ के लिए बनाया गया है, ‘डिसरप्शन (अवरोध उत्पन्न करने)’ के लिए नहीं.
सदन में हंगामे पर अप्रसन्नता जताते हुए नायडू ने कहा कि यह कोई उचित पद्धति नहीं है और उन्हें चर्चा में भाग लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि नारेबाजी व हंगामे से न तो उन सदस्यों का भला होगा और न ही देश का भला होने वाला है. तीनों नए कृषि कानून वापस लिए जाने की मांग पर उन्होंने कहा, ‘कानून वापस लेने का तरीका सदस्यों को मालूम है और अगर आपके पास संख्या बल है तो सरकार पर दबाव बनाएं.’
लेकिन सदन में हंगामा जारी रहा और उन्होंने 11 बजकर करीब 15 मिनट पर बैठक दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी. एक बार के स्थगन के बाद दोपहर 12 बजे बैठक शुरू होने पर सदन में हंगामा जारी रहा और कई विपक्षी सदस्य आसन के समीप आकर नारेबाजी करने लगे.
उपसभापति हरिवंश ने हंगामे के बीच ही प्रश्नकाल चलाने का प्रयास किया. श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष गंगवार ने शोर के बीच ही पूरक सवालों का जवाब देने का प्रयास किया लेकिन शोरगुल के कारण उनकी बात पूरी तरह से नहीं सुनी जा सकी. उपसभापति ने कहा कि नोटिसों के संबंध में सभापति ने स्थिति पहले ही स्पष्ट कर दी है और उनके फैसले पर पुनर्विचार नहीं किया जा सकता. उन्होंने सदस्यों से प्रश्नकाल चलने देने की अपील की. सदन में हंगामा नहीं थमते देख उन्होंने 12 बजकर करीब पांच मिनट पर बैठक दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी.