किसान से 6-7 रुपए खरीदा जाने वाला आलू फुटकर बिक रहा है 20-22 रुपए किलो, जाने कहां जा रहे हैं 15 रुपए

किसानों को आलू की कीमत लागत से भी कम मिल रही है.
किसानों (farmer) से आलू (potato) 6 से 7 रुपए प्रति किलो खरीदा जा रहा है लेकिन मंडी (mandi) से घर तक पहुंचते-पहुंचते 20 से 22 रुपए प्रति किलो हो जाता है. यानी न किसानों को फायदा हो रहा है और न ही आम लोगों को सस्ता आलू मिल रहा है.
- News18Hindi
- Last Updated: January 22, 2021, 1:22 PM IST
नई दिल्ली. किसानों (farmer) से आलू (potato) 6 से 7 रुपए प्रति किलो खरीदा जा रहा है लेकिन आम जनता को फुटकर (retail) में 20 से 22 रुपए प्रति किलो खरीदना पड़ रहा है. यानी न किसानों को फायदा हो रहा है और न ही जनता को सस्ता आलू मिल रहा है. किसानों का कहना है कि अभी तो फसल आनी शुरू हुई है, फरवरी में पूरी फसल आएगी, तब किसानों को और नुकसान उठना पड़ सकता है. किसानों की मांग है कि ऐसी स्थितियों से राहत देने के लिए सब्जियों में एमएसपी (MSP) लागू हो.
किसान को 10-11 रुपए खेतों में पड़ती है लागत
किसान को 10 से 11 रुपए प्रति किलो आलू की लागत खेतों में पड़ती है. पिछले माह 13 से 14 रुपए आलू के दाम किसानों को मिल रहे थे, लेकिन इस वर्ष जैसे-जैसे नई फसल आ रही है, वैसे-वैसे रेट नीचे गिरते जा रहे हैं. अब 6 से 7 रुपए प्रति किलो किसानों को रेट मिल रहे हैं, यानी 4 रुपए तक प्रति किलो का नुकसान हो रहा है.
इसलिए कीमत हुई कमचूंकि पिछले वर्ष आलू का उत्पादन कम होने की वजह से कीमत 13 से 14 रुपए तक रही किसानों को फायदा हुआ. इसी वजह से किसानों ने इस वर्ष अधिक आलू लगा दिए. साथ ही मौसम ठीक रहने की वजह से भी फसल अच्छी है. जिससे उत्पादन अधिक हो रहा है, और कीमत कम होती जा रही है. वर्ष 2018-19 में 502 लाख मिट्रिक टन उत्पादन हुआ था, वर्ष 2019-20 में 486 लाख मिट्रिक उत्पादन हुआ था. कृषि मंत्रालय के अनुसार इस बार इस्टीमेटेड प्रोडक्शन पिछली बार से अधिक होना तय है.
यहां बढ़ जाते हैं दाम
किसान आलू बड़ी मंडियों में आढ़ती को बेचता है. यहां से छोटी मंडियों जाता है. इस कड़ी में कई बार कमीशनखोर भी शामिल हो जाते हैं, इसके बाद छोटी मंडियों से आलू फुटकर बेचने वाले दुकानदार खरीदते हैं. इन सभी का प्राफिट शामिल होता है.इसके अलावा इसमें दो से तीन बार का ट्रांसपोर्टेशन शामिल होता है. जिससे आम जनता तक पहुंचते पहुंचते रेट बढ़ रहे हैं.
किसानों ने एमएसपी लागू करने की मांग
किसान शक्ति संघ के अध्यक्ष चौधरी पुष्पेंन्द्र सिंह ने कहा कि किसानों को इस तरह के घाटे से बचाने के लिए सरकार को एमएसपी लागू करना चाहिए. इसके साथ ही उत्पादन अधिक होने पर सरकार को आलू एक्सपोर्ट करने की भी प्लानिंग तैयार रखनी चाहिए. आगरा उत्तर प्रदेश के आलू के किसान संतोष पांडेय बताते हैं कि आलू की फसल करने वाले किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है. नया आलू होने की वजह से इसे स्टाेर नहीं कर सकते हैं.
किसान को 10-11 रुपए खेतों में पड़ती है लागत
किसान को 10 से 11 रुपए प्रति किलो आलू की लागत खेतों में पड़ती है. पिछले माह 13 से 14 रुपए आलू के दाम किसानों को मिल रहे थे, लेकिन इस वर्ष जैसे-जैसे नई फसल आ रही है, वैसे-वैसे रेट नीचे गिरते जा रहे हैं. अब 6 से 7 रुपए प्रति किलो किसानों को रेट मिल रहे हैं, यानी 4 रुपए तक प्रति किलो का नुकसान हो रहा है.
इसलिए कीमत हुई कमचूंकि पिछले वर्ष आलू का उत्पादन कम होने की वजह से कीमत 13 से 14 रुपए तक रही किसानों को फायदा हुआ. इसी वजह से किसानों ने इस वर्ष अधिक आलू लगा दिए. साथ ही मौसम ठीक रहने की वजह से भी फसल अच्छी है. जिससे उत्पादन अधिक हो रहा है, और कीमत कम होती जा रही है. वर्ष 2018-19 में 502 लाख मिट्रिक टन उत्पादन हुआ था, वर्ष 2019-20 में 486 लाख मिट्रिक उत्पादन हुआ था. कृषि मंत्रालय के अनुसार इस बार इस्टीमेटेड प्रोडक्शन पिछली बार से अधिक होना तय है.
यहां बढ़ जाते हैं दाम
किसान आलू बड़ी मंडियों में आढ़ती को बेचता है. यहां से छोटी मंडियों जाता है. इस कड़ी में कई बार कमीशनखोर भी शामिल हो जाते हैं, इसके बाद छोटी मंडियों से आलू फुटकर बेचने वाले दुकानदार खरीदते हैं. इन सभी का प्राफिट शामिल होता है.इसके अलावा इसमें दो से तीन बार का ट्रांसपोर्टेशन शामिल होता है. जिससे आम जनता तक पहुंचते पहुंचते रेट बढ़ रहे हैं.
किसानों ने एमएसपी लागू करने की मांग
किसान शक्ति संघ के अध्यक्ष चौधरी पुष्पेंन्द्र सिंह ने कहा कि किसानों को इस तरह के घाटे से बचाने के लिए सरकार को एमएसपी लागू करना चाहिए. इसके साथ ही उत्पादन अधिक होने पर सरकार को आलू एक्सपोर्ट करने की भी प्लानिंग तैयार रखनी चाहिए. आगरा उत्तर प्रदेश के आलू के किसान संतोष पांडेय बताते हैं कि आलू की फसल करने वाले किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है. नया आलू होने की वजह से इसे स्टाेर नहीं कर सकते हैं.