भारत में वैक्सीन के लिए कम तापमान बना बड़ी चुनौती, 94.5 फीसदी प्रभावी मॉडर्ना हो सकती है सबसे उपयुक्त

वैज्ञानिकों के मुताबिक, प्रोटीन बेस्ड वैक्सीन देश के लिए ठीक हो सकती हैं. ( AP Illustration/Peter Hamlin)
फाइजर-बायोएनटेक (Pfizer-BioNtech) तीसरे चरण के अंतरिम परिणाम में 90 प्रतिशत, स्पूतनिक (Sputnik) पांच 92 प्रतिशत और मॉडर्ना (Moderna) 94.5 प्रतिशत प्रभावी साबित हुआ है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, देश के लिए प्रोटीन बेस्ड वैक्सीन सही.
- भाषा
- Last Updated: November 18, 2020, 6:12 PM IST
नई दिल्ली. जब दुनियाभर में कोविड-19 (Covid 19) महामारी से निपटने के लिए कई संभावित टीके परीक्षण के आखिरी चरण में पहुंच रहे हैं. ऐसे में वैज्ञानिकों का कहना है कि भारत के लिए वे टीके शायद कारगर नहीं होंगे, जिनके भंडारण के लिए बेहद कम तापमान की जरूरत है और प्रोटीन बेस्ड वैक्सीन देश के लिए ठीक हो सकती हैं.
वैज्ञानिकों ने अमेरिकी कंपनी नोवावैक्स द्वारा विकसित किए जा रहे संभावित टीके को भारत के लिए सबसे उपयुक्त बताते हुए कहा कि कोविड-19 का सही टीका खरीदने का फैसला कई बातों पर निर्भर करेगा. यह इस बात पर निर्भर करेगा कि टीका कितना सुरक्षित है, उसकी कीमत क्या है और उसे इस्तेमाल करना कितना सुविधाजनक है.
इससे वे तीन संभावित टीके शायद नकारे जा सकते हैं, जो पिछले कुछ दिनों में 90 प्रतिशत से अधिक प्रभावी साबित हुए हैं. फाइजर-बायोएनटेक तीसरे चरण के अंतरिम परिणाम में 90 प्रतिशत, स्पूतनिक पांच 92 प्रतिशत और मॉडर्ना 94.5 प्रतिशत प्रभावी साबित हुआ है. इन संभावित टीकों के परीक्षणों ने उम्मीद जताई है कि जल्द ही कोरोना वायरस (Corona Virus) का टीका मिल सकता है.
इन तीनों में से कोई भी प्रोटीन आधारित नहीं है, लेकिन भारतीय परिस्थितियों के लिए अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना सबसे उपयुक्त हो सकती है, क्योंकि इसके लिए अन्य संभावित टीकों के मुकाबले उतने कम तापमान की आवश्यकता नहीं है.
रोग प्रतिरक्षा वैज्ञानिक सत्यजीत रथ ने कहा कि अमेरिका समर्थित फाइजर-बायोएनटेक और रूस के स्पूतनिक पांच को नोवावैक्स द्वारा विकसित किए जा रहे प्रोटीन आधारित संभावित टीके की तुलना में बेहद कम तापमान में रखने की आवश्यकता है.
नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय प्रतिरक्षा विज्ञान संस्थान (एनआईआई) से जुड़े रथ ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘एमआरएनए, डीएनए और वायरल वैक्टर आधारित टीकों के भंडारण के लिए आम तौर पर बहुत कम तापमान की आवश्यकता होती है, इसलिए भारत को नोवावैक्स या सानोफी के प्रोटीन आधारित संभावित टीके पर गंभीरता से विचार करना चाहिए. भारत में इस संबंध में हो रहे दिलचस्प प्रयासों पर भी विचार किया जा सकता है.’
वैज्ञानिक शाहिद जमील ने कहा कि ऐसा बताया जा रहा है कि मॉडर्ना के टीके को 30 दिन तक फ्रिज में रखा जा सकता है और कमरे के तापमान में 12 घंटे तक रखा जा सकता है. उन्होंने कहा कि भारत और दुनिया के कई अन्य ट्रॉपिकल इलाकों में गर्मियों में तापमान बहुत अधिक रहता है और जिन टीकों के भंडारण के लिए बेहद कम तापमान आवश्यक है, वे गर्म स्थानों पर उपयोगी नहीं हो पाएंगे.

हरियाणा के अशोका विश्वविद्यालय में त्रिवेदी स्कूल ऑफ बायोसाइंसेस के निदेशक जमील ने कहा, ‘फाइजर-बायोएनटेक टीका भारत के लिए सही नहीं होगा, क्योंकि इसके भंडारण के लिए शून्य से 70 डिग्री सेल्सियस कम तापमान की आवश्यकता है.’ रथ ने कहा कि स्पूतनिक पांच को शून्य से 20 डिग्री सेल्सियस नीचे के तापमान पर रखने की आवश्यकता है. बेंगलुरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान में प्रोफेसर राघवन वरदराजन ने भी कहा कि फाइजर भारत में व्यापक स्तर पर प्रयोग के लिए उपयुक्त नहीं है.
उन्होंने पीटीआई भाषा से कहा कि नोवावैक्स का प्रोटीन आधारित टीका अब तक सबसे उपयुक्त प्रतीत हो रहा है, लेकिन कई अन्य कारक भी मायने रखते हैं जैसे कि टीका कब तैयार हो पाता है और उसकी कीमत क्या होती है.
वैज्ञानिकों ने अमेरिकी कंपनी नोवावैक्स द्वारा विकसित किए जा रहे संभावित टीके को भारत के लिए सबसे उपयुक्त बताते हुए कहा कि कोविड-19 का सही टीका खरीदने का फैसला कई बातों पर निर्भर करेगा. यह इस बात पर निर्भर करेगा कि टीका कितना सुरक्षित है, उसकी कीमत क्या है और उसे इस्तेमाल करना कितना सुविधाजनक है.
इससे वे तीन संभावित टीके शायद नकारे जा सकते हैं, जो पिछले कुछ दिनों में 90 प्रतिशत से अधिक प्रभावी साबित हुए हैं. फाइजर-बायोएनटेक तीसरे चरण के अंतरिम परिणाम में 90 प्रतिशत, स्पूतनिक पांच 92 प्रतिशत और मॉडर्ना 94.5 प्रतिशत प्रभावी साबित हुआ है. इन संभावित टीकों के परीक्षणों ने उम्मीद जताई है कि जल्द ही कोरोना वायरस (Corona Virus) का टीका मिल सकता है.
इन तीनों में से कोई भी प्रोटीन आधारित नहीं है, लेकिन भारतीय परिस्थितियों के लिए अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना सबसे उपयुक्त हो सकती है, क्योंकि इसके लिए अन्य संभावित टीकों के मुकाबले उतने कम तापमान की आवश्यकता नहीं है.
रोग प्रतिरक्षा वैज्ञानिक सत्यजीत रथ ने कहा कि अमेरिका समर्थित फाइजर-बायोएनटेक और रूस के स्पूतनिक पांच को नोवावैक्स द्वारा विकसित किए जा रहे प्रोटीन आधारित संभावित टीके की तुलना में बेहद कम तापमान में रखने की आवश्यकता है.
नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय प्रतिरक्षा विज्ञान संस्थान (एनआईआई) से जुड़े रथ ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘एमआरएनए, डीएनए और वायरल वैक्टर आधारित टीकों के भंडारण के लिए आम तौर पर बहुत कम तापमान की आवश्यकता होती है, इसलिए भारत को नोवावैक्स या सानोफी के प्रोटीन आधारित संभावित टीके पर गंभीरता से विचार करना चाहिए. भारत में इस संबंध में हो रहे दिलचस्प प्रयासों पर भी विचार किया जा सकता है.’
वैज्ञानिक शाहिद जमील ने कहा कि ऐसा बताया जा रहा है कि मॉडर्ना के टीके को 30 दिन तक फ्रिज में रखा जा सकता है और कमरे के तापमान में 12 घंटे तक रखा जा सकता है. उन्होंने कहा कि भारत और दुनिया के कई अन्य ट्रॉपिकल इलाकों में गर्मियों में तापमान बहुत अधिक रहता है और जिन टीकों के भंडारण के लिए बेहद कम तापमान आवश्यक है, वे गर्म स्थानों पर उपयोगी नहीं हो पाएंगे.
हरियाणा के अशोका विश्वविद्यालय में त्रिवेदी स्कूल ऑफ बायोसाइंसेस के निदेशक जमील ने कहा, ‘फाइजर-बायोएनटेक टीका भारत के लिए सही नहीं होगा, क्योंकि इसके भंडारण के लिए शून्य से 70 डिग्री सेल्सियस कम तापमान की आवश्यकता है.’ रथ ने कहा कि स्पूतनिक पांच को शून्य से 20 डिग्री सेल्सियस नीचे के तापमान पर रखने की आवश्यकता है. बेंगलुरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान में प्रोफेसर राघवन वरदराजन ने भी कहा कि फाइजर भारत में व्यापक स्तर पर प्रयोग के लिए उपयुक्त नहीं है.
उन्होंने पीटीआई भाषा से कहा कि नोवावैक्स का प्रोटीन आधारित टीका अब तक सबसे उपयुक्त प्रतीत हो रहा है, लेकिन कई अन्य कारक भी मायने रखते हैं जैसे कि टीका कब तैयार हो पाता है और उसकी कीमत क्या होती है.