मेट्रो शेड कार मामला: HC की रोक के बाद अजित पवार ने दिए SC जाने के संकेत

मौजूदा एमवीए सरकार ने हाल में इसे आरे से कांजुरमार्ग स्थानांतरित करने का फैसला किया था. फाइल फोटो
बीजेपी नीत पूर्व महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) ने कई पर्यावरणविद् और कार्यकर्ताओं के विरोध के बावजूद मुम्बई मेट्रो लाइन-3 (Mumbai Metro) के कार शेड को आरे कॉलोनी (Aarey colony) में बनाने का फैसला किया था.
- News18Hindi
- Last Updated: December 16, 2020, 8:37 PM IST
मुम्बई. महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार (Ajit Pawar) ने मुम्बई उपनगर जिला कलेक्टर के मेट्रो कार शेड के लिए कांजुरमार्ग साल्ट पैन में 102 एकड़ भूमि आवंटित करने के आदेश पर बंबई हाई कोर्ट के रोक लगाने के बाद सुप्रीम कोर्ट का रुख करने के बुधवार को संकेत दिए. पवार ने बीजेपी का नाम लिए बिना कहा कि महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार (MVA Government) के गोरेगांव उपनगर के आरे में बनने वाले मेट्रो कार शेड को कांजुरमार्ग स्थानांतरित करने का फैसला लगता है कि कई लोगों को पसंद नहीं आया और इसलिए ही केन्द्र ने इतना ‘‘बड़ा कदम’’ उठाया है.
उप मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘संविधान और कानून में, अदालत के आदेश के खिलाफ अपील करने का प्रावधान है. इसलिए हम इस पर विचार करेंगे.’’ बंबई हाई कोर्ट ने बुधवार को कांजुरमार्ग साल्ट पैन में मेट्रो कार शेड के निर्माण के लिए 102 एकड़ भूमि आवंटित करने के मुम्बई उपनगर जिला कलेक्टर के आदेश पर रोक लगा दी. मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्त और न्यायमूर्ति जी. एस. कुलकर्णी की खंडपीठ ने अधिकारियों के वहां निर्माण कार्य करने पर भी रोक लगा दी है.
बीजेपी नीत पूर्व महाराष्ट्र सरकार ने कई पर्यावरणविद् और कार्यकर्ताओं के विरोध के बावजूद मुम्बई मेट्रो लाइन-3 के कार शेड को आरे कॉलोनी में बनाने का फैसला किया था. कार शेड के निर्माण के लिए वहां बहुत सारे पेड़ों को काटा जाना था, जिसका विरोध किया जा रहा था. मौजूदा एमवीए सरकार ने हाल में इसे आरे से कांजुरमार्ग स्थानांतरित करने का फैसला किया. शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और कांग्रेस एमवीए में शामिल हैं. केन्द्र सरकार का दावा है कि महाराष्ट्र कांजुरमार्ग की भूमि केन्द्र के सॉल्ट विभाग के अधीन आती है और एमवीए सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए उसने एक अक्टूबर 2020 को हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी.
पवार ने कहा, ‘‘चाहे केन्द्र हो या राज्य सरकार’’ किसी को भी विकास कार्य में बाधा नहीं डालनी चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘मैंने (रांकापा प्रमुख शरद) पवार साहेब का 50 से 55 साल का राजनीतिक करियर देखा है. मैं खुद भी पिछले 30 साल से राजनीति में हूं. मैंने कभी विकास कार्यों को लेकर राजनीति नहीं की, बल्कि हमने उनमें मदद ही की है.’’ इस बीच, जल संसाधन मंत्री जयंत पाटिल ने कहा कि अदालत ने भूमि आवंटन पर रोक लगा दी है. हालांकि, अंतिम सुनवाई फरवरी में होगी.बीजेपी का नाम लिए बिना पाटिल ने कहा, "अदालत की यह उम्मीद है कि अंतिम निर्णय दिए जाने तक कोई बदलाव नहीं किया जाना चाहिए. फिर भी, मैं सोचता हूं कि जो लोग आरे वन के खिलाफ हैं उनके पास खुश होने का कोई कारण नहीं है." महाराष्ट्र के पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे ने कहा कि वह अदालत के आदेश की विस्तृत जानकारी की प्रतीक्षा कर रहे हैं और उसके मिलने के बाद ही आगे की कार्रवाई पर विचार करेंगे.
उन्होंने कहा कि यह भूमि मेट्रो परियोजना के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे सरकार के लगभग 5,500 करोड़ रुपये बचेंगे. वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता संजय निरुपम ने कहा कि मुंबई के आम लोग आरे में मेट्रो कार शेड के निर्माण के खिलाफ थे और ऐसे में कांजुरमार्ग से बेहतर कोई विकल्प नहीं है.
निरुपम ने ट्वीट किया, 'मुंबई के सामान्य नागरिक चाहते थे कि मेट्रो कार शेड आरे में नहीं बनना चाहिए. इसके लिए कांजुर मार्ग से बेहतर विकल्प कोई नहीं है.

हाई कोर्ट ने कांजुरमार्ग में प्रस्तावित मेट्रो कार शेड पर रोक लगाकर जनभावनाओं की अवहेलना की है. योजनाएं बनाना और लागू करना सरकार का काम है, अदालतों का नहीं.'
उप मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘संविधान और कानून में, अदालत के आदेश के खिलाफ अपील करने का प्रावधान है. इसलिए हम इस पर विचार करेंगे.’’ बंबई हाई कोर्ट ने बुधवार को कांजुरमार्ग साल्ट पैन में मेट्रो कार शेड के निर्माण के लिए 102 एकड़ भूमि आवंटित करने के मुम्बई उपनगर जिला कलेक्टर के आदेश पर रोक लगा दी. मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्त और न्यायमूर्ति जी. एस. कुलकर्णी की खंडपीठ ने अधिकारियों के वहां निर्माण कार्य करने पर भी रोक लगा दी है.
बीजेपी नीत पूर्व महाराष्ट्र सरकार ने कई पर्यावरणविद् और कार्यकर्ताओं के विरोध के बावजूद मुम्बई मेट्रो लाइन-3 के कार शेड को आरे कॉलोनी में बनाने का फैसला किया था. कार शेड के निर्माण के लिए वहां बहुत सारे पेड़ों को काटा जाना था, जिसका विरोध किया जा रहा था. मौजूदा एमवीए सरकार ने हाल में इसे आरे से कांजुरमार्ग स्थानांतरित करने का फैसला किया. शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और कांग्रेस एमवीए में शामिल हैं. केन्द्र सरकार का दावा है कि महाराष्ट्र कांजुरमार्ग की भूमि केन्द्र के सॉल्ट विभाग के अधीन आती है और एमवीए सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए उसने एक अक्टूबर 2020 को हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी.
पवार ने कहा, ‘‘चाहे केन्द्र हो या राज्य सरकार’’ किसी को भी विकास कार्य में बाधा नहीं डालनी चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘मैंने (रांकापा प्रमुख शरद) पवार साहेब का 50 से 55 साल का राजनीतिक करियर देखा है. मैं खुद भी पिछले 30 साल से राजनीति में हूं. मैंने कभी विकास कार्यों को लेकर राजनीति नहीं की, बल्कि हमने उनमें मदद ही की है.’’ इस बीच, जल संसाधन मंत्री जयंत पाटिल ने कहा कि अदालत ने भूमि आवंटन पर रोक लगा दी है. हालांकि, अंतिम सुनवाई फरवरी में होगी.बीजेपी का नाम लिए बिना पाटिल ने कहा, "अदालत की यह उम्मीद है कि अंतिम निर्णय दिए जाने तक कोई बदलाव नहीं किया जाना चाहिए. फिर भी, मैं सोचता हूं कि जो लोग आरे वन के खिलाफ हैं उनके पास खुश होने का कोई कारण नहीं है." महाराष्ट्र के पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे ने कहा कि वह अदालत के आदेश की विस्तृत जानकारी की प्रतीक्षा कर रहे हैं और उसके मिलने के बाद ही आगे की कार्रवाई पर विचार करेंगे.
उन्होंने कहा कि यह भूमि मेट्रो परियोजना के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे सरकार के लगभग 5,500 करोड़ रुपये बचेंगे. वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता संजय निरुपम ने कहा कि मुंबई के आम लोग आरे में मेट्रो कार शेड के निर्माण के खिलाफ थे और ऐसे में कांजुरमार्ग से बेहतर कोई विकल्प नहीं है.
निरुपम ने ट्वीट किया, 'मुंबई के सामान्य नागरिक चाहते थे कि मेट्रो कार शेड आरे में नहीं बनना चाहिए. इसके लिए कांजुर मार्ग से बेहतर विकल्प कोई नहीं है.
हाई कोर्ट ने कांजुरमार्ग में प्रस्तावित मेट्रो कार शेड पर रोक लगाकर जनभावनाओं की अवहेलना की है. योजनाएं बनाना और लागू करना सरकार का काम है, अदालतों का नहीं.'