महाराष्ट्र सरकार ने आज गौमांस पर प्रतिबंध लगाने के अपने फैसले को बंबई हाईकोर्ट में सही ठहराया और कहा कि राज्य के पास संविधान के नीति निर्देशक तत्वों के तहत इस तरह का कदम उठाने की शक्ति है। महाधिवक्ता श्रीहरि अनेय ने दलील दी कि संविधान में जीवन जीने का अधिकार देने वाले अनुच्छेद 21 के तहत ‘निजता का अधिकार’ में ‘खास तरह का भोजन खाने का अधिकार’ शामिल नहीं है।
अनेय ने कहा कि संविधान के तहत पसंद के भोजन का अधिकार मौलिक अधिकारों में शामिल नहीं है। राज्य के पास गौमांस पर पाबंदी लगाने की शक्ति है। न्यायमूर्ति एएस ओका और न्यायमूर्ति एससी गुप्ते की खंडपीठ महाराष्ट्र पशु संरक्षण (संशोधन) कानून को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।
वर्ष 1976 के वास्तविक कानून में गायों के वध पर पाबंदी लगाई गई थी। लेकिन हालिया संशोधन में बैलों और सांड़ों के वध पर भी रोक लगा दी गई। इस मामले में सुनवाई कल भी जारी रहेगी।
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FIRST PUBLISHED : December 16, 2015, 21:21 IST