बॉम्बे हाईकोर्ट ने महात्मा गांधी की शिष्या मेडेलीन स्लेड की आत्मकथा 'द स्पिरिट्स पिलग्रिमेज' का मराठी में अनुवाद प्रकाशित करने की इजाजत दे दी है.
मुंबई. बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई के एक निवासी को महात्मा गांधी की शिष्या मेडेलीन स्लेड की आत्मकथा ‘द स्पिरिट्स पिलग्रिमेज’ का मराठी में अनुवाद प्रकाशित करने की इजाजत दे दी है. स्लेड को मीराबेन के नाम से भी जाना जाता है.
मीराबेन को महाराष्ट्र में सेवाग्राम आश्रम की स्थापना के पीछे सबसे बड़ी प्रेरणा माना जाता है. भारत में रहने के दौरान उन्होंने कई रचनाएं लिखीं, इनमें ‘द स्पिरिट्स पिलग्रिमेज’ नाम से लिखी उनकी लिखी आत्मकथा बेहद मशहूर है. मुंबई में रहने वाले अनिल करखानिस ने उनकी इस रचना का मराठी में अनुवाद प्रकाशित करने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था.
‘कारोबारी फायदा नहीं, जनहित में छापना चाहते आत्मकथा’
अदालती समाचार प्रकाशित करने वाली वेबसाइट लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, करखानिस ने कॉपीराइट अधिनियम 1957 की धारा 32 के तहत याचिका दायर की थी, जो किसी भी व्यक्ति को पहले प्रकाशन की तारीख से एक तय अवधि की समाप्ति के बाद काम को दोबारा प्रकाशित करने के लाइसेंस के लिए आवेदन करने का अधिकार देता है. उन्होंने अपनी याचिका में कहा कि वह किसी व्यावसायिक लाभ के लिए नहीं, बल्कि सार्वजनिक हित में ‘द स्पिरिट्स पिलग्रिमेज’ नामक पुस्तक मराठी में प्रकाशित करना चाहते हैं.’
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हाईकोर्ट ने करखानिस को इस पुस्तक का मराठी अनुवाद छापने की इजाजत देते हुए अपने आदेश में कहा, ‘इस अदालत ने उस साहित्यिक कृति का अवलोकन किया है, जिसके अनुवाद के लिए याचिकाकर्ता लाइसेंस मांग रहा है. यह मेडेलीनन स्लेड की आत्मकथा से संबंधित है, जिन्हें मीराबेन के नाम से भी जाना जाता है, जो भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान सक्रिय रूप से शामिल थीं और महात्मा गांधी की सहायता करती थीं. यह अदालत आश्वस्त है कि उपरोक्त साहित्यिक कार्य का अनुवाद करने वाले याचिकाकर्ता को लाइसेंस प्रदान करना वास्तव में आम लोगों के हित में होगा, जिससे उक्त नियमों के नियम 34(4) की आवश्यकता पूरी होती है.’
1960 में पहली बार छपी थी मीराबेन की आत्मकथा
मीराबेन की आत्मकथा भारत में वर्ष 1960 में ओरिएंट लॉन्गमैन प्राइवेट लिमिटेड द्वारा और ग्रेट ब्रिटेन में प्रकाशक लॉन्गमैन्स, ग्रीन एंड कंपनी द्वारा प्रकाशित की गई थी. मीरा बेन का निधन 20 जुलाई, 1982 को हुआ था. अदालत ने अपने आदेश में याचिकाकर्ता के वचन पत्र को भी रिकॉर्ड में लिया है कि अगर कोई व्यक्ति इस संबंध में दावा करता है तो याची हाईकोर्ट में रॉयल्टी जमा करेगा.
बता दें कि मीराबेन महात्मा गांधी की सबसे करीबी अनुयायियों में मानी जाती थीं और गांधी जी ने ही उन्हें यह नाम दिया था. बताया जाता है कि महात्मा गांधी उन्हें अपनी बेटी कहकर भी संबोधित करते थे. वर्ष 1942 में ब्रिटिश हुकूमत ने उन्हें सरकारी विरोधी गतिविधियों के आरोप में नजरबंद कर दिया था. भारत की आजादी के बाद वर्ष 1959 ने उन्होंने भारत को अलविदा कह दिया और ऑस्ट्रिया में बस गई थी. वहीं 1982 में उनका निधन हो गया था.
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