पति असर मलिक के साथ नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली. नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई ने हाल ही में शादी के बाद अपने जीवन की एक झलक ट्विटर पर साझा की. नोबेल शांति पुरस्कार विजेता की शादी पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के प्रबंधक असर मलिक से हुई है. 25 वर्षीय कार्यकर्ता ने अपने पति के गंदे मोजे को कचरे के डिब्बे में फेंकने के बारे में एक पोस्ट को शेयर किया और इंटरनेट यूजर्स को को उनका यह काम बेहद पसंद आया.
मलाला ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘सोफे पर मोज़े मिले, असर मलिक से पूछा कि क्या ये उनके हैं, उन्होंने कहा कि मोज़े गंदे थे और वो चाहे तो उन्हें दूर रख सकती हैं. इसलिए मैंने उन्हें लिया और कचरे में डाल दिया.’
इसे लेकर ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए मलाला के पति ने एक ट्विटर पोल ‘अगर कोई कहे कि सोफे पर गंदे मोज़े हैं तो आप क्या करेंगे?’ शुरू किया. उन्होंने इसके जवाब में दो विकल्प ‘उन्हें धोने के लिए लॉन्ड्री में रखो’ और ‘उन्हें कचरे में फेंक दो’ भी साझा किए. इसके साथ ही उन्होंने ट्वीट के अंत में हैशटैग #AskingForAfriend भी लिखा.
मलाला की इस हरकत पर हजारों लाइक्स और कई प्रतिक्रियाएं आईं. कई सोशल मीडिया यूजर्स ने उनके इस कदम की सराहना की और कहा कि उन्होंने खुद भी ऐसा ही किया है. एक यूजर ने लिखा, ‘वैवाहिक जीवन में स्वागत है- सोफे पर गंदे मोजों का घेरा, लड़ाई होने की वाजिब वजह, लॉन्ड्री/डस्ट बिन, सोफे पर एक और गंदा जोड़ा.’
एक अन्य यूजर ने लिखा, ‘करने के लिए सही काम, केवल इसलिए नहीं कि वह मलाला हैं, बल्कि इसलिए कि अगली बार, आप मोज़े वहां नहीं छोड़ेंगे जहां आपको नहीं छोड़ना चाहिए. घर की जिम्मेदारी आप दोनों की है. सिर्फ मलाला की नहीं.’
उन्होंने आगे लिखा, ‘मैंने अपने पति से बार-बार कहा कि वह अपने पसीने से लथपथ हॉकी के सामान ऐसी जगह ना रखें, जिससे चेहरे, डिशक्लॉथ, तौलिये आदि के लिए परेशानी खड़ी हो दाए. कुछ और कपड़े रख लें, ताकि उन्हें केवल हर 4-5 सप्ताह में धोना पड़े. लेकिन उन्होंने नहीं सुना और कुछ हफ़्तों के बाद उन्हें उनके हॉकी से जुड़े कपड़े नहीं मिले.’ खबर लिखे जाने तक मलाला की पोस्ट पर 10 लाख से ज्यादा व्यूज, 260 से अधिक रिट्वीट और करीब 9 हजार लाइक्स थे.
गौरतलब है कि नौ अक्टूबर, 2012 को तालिबान के बंदूकधारियों ने पाकिस्तान में लड़कियों की शिक्षा की हिमायत करने वाली 15 साल की मुखर वक्ता मलाला यूसुफजई को सिर में गोली मार दी थी. स्कूल से घर लौट रही मलाला पर हुआ यह हमला घातक था, लेकिन मलाला का हौसला भी कम न था. ब्रिटेन में लंबे इलाज के बाद वह ठीक हुईं और एक बार फिर अपने अभियान में जुट गईं. सबसे कम उम्र में शांति का नोबेल पाने (2014) वाली मलाला आतंकवादियों के बच्चों को भी शिक्षा देने की पक्षधर हैं, ताकि वह शिक्षा और शांति का महत्व समझें.
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