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OPINION: कोर्ट जाने पर नहीं करनी चाहिए एमजे अकबर की निंदा

एमजे अकबर (फाइल फोटो)

एमजे अकबर (फाइल फोटो)

खुद के सम्मान की रक्षा के लिए व्यक्ति को स्वतंत्रता देनी चाहिए. क्योंकि कोई भी व्यक्ति खुद के सम्मान की रक्षा कैसे करेग ...अधिक पढ़ें

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    (उत्कर्ष आनंद)

    भारत में #MeToo आंदोलन स्त्री जाति से द्वेष और पितृसत्ता से लड़ने के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर का प्रतीक बन चुका है. इसमें एक ही समय पर दो पक्षों, दो संस्करणों और व्यक्तियों से संबंधित अधिकारों को शामिल किया जाएगा. जबकि दोनों को समान कानूनी अधिकार है. ऐसे में क्या हमें केवल एक ही पक्ष को देखना चाहिए?

    यह समाज महिलाओं के खिलाफ संस्थागत पूर्वाग्रहों से भरा पड़ा है. अब समझ में आता है कि #MeToo अत्यधिक महत्वपूर्ण क्यों है. इसलिए, इसमें भयानक अनुभवों वाले गुमनाम मामलों को भी शामिल करना चाहिए. हालांकि कथित अपराधियों के लिए यह केवल उचित या निष्पक्ष होगा कि वह खुद की रक्षा के लिए अपनी बात रख सकें. खुद के सम्मान की रक्षा के लिए व्यक्ति को स्वतंत्रता देनी चाहिए. क्योंकि कोई भी व्यक्ति खुद के सम्मान की रक्षा कैसे करेगा इस बात का फैसला करने का अधिकार दूसरे व्यक्ति को नहीं है.

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    महिलाओं ने अपने कार्यस्थल पर बोलने के अपने मौलिक अधिकार का इस्तेमाल करते हुए खुद की सुरक्षा को लेकर इतनी बहादुरी से बोला है और सभी अवरोधों और भय से बाहर निकलकर सोशल मीडिया के प्लेटफार्म का चयन किया है. लेकिन जिनपर आरोप लगाया गया है उन्हें भी अपनी प्रतिष्ठा को वापस पाने और अपनी रक्षा का मौका मिलना चाहिए.

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    पूर्व पत्रकार और भारत के विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर द्वारा मानहानि का केस दायर करने के बाद लोगों की तरह तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. पत्रकार प्रिया रमनी पर मानहानि का केस करने पर कुछ लोग कहते हैं कि अकबर ने सत्ता का दुरूपयोग करने के लिए ऐसा किया है.

    जबकि कुछ का तर्क है कि अकबर इस्तीफा नहीं देना चाहते थे, लेकिन पार्टी ने पीछे हटने का फैसला लिया. यहां तक कि उनके कानूनी फर्म के चयन पर भी सवाल उठाया जा रहा है. क्योंकि फर्म के पास अपना वकालतनामा प्रस्तुत करने का एक मानक प्रारूप होता है, जिसमें 97 वकीलों की सूची होती है.

    अकबर ने दिल्ली की कोर्ट में दाखिल किए गए मामले का हवाला देते हुए बुधवार को कहा कि वह अपनी व्यक्तिगत क्षमता के अनुसार यह लड़ाई लड़ने जा रहे हैं, इसलिए मंत्री पद से इस्तीफा देना उचित था. अकबर का निर्णय रणनीतिक राजनीतिक कदम नहीं है. जहां आरोप और प्रत्यारोप का असर सरकार पर नहीं पड़ेगा. बल्कि इससे उनको कुछ सहयोग ही मिलेगा.

    आज किसी व्यक्ति के खिलाफ बोलने के अधिकार पर आपराधिक मानहानि को तर्कसंगत प्रतिबंध माना जाता है. सुप्रीम कोर्ट ने दो साल पहले के एक फैसले में मानहानि को दोबारा गैर आपराधिक मानने से इंकार कर दिया था. जिसमें दो साल की सजा और आर्थिक दंड का प्रावधान है.

    यह माना जाता है कि 'बोलने की स्वतंत्रता' का यह मतलब यह नहीं हो सकता कि एक नागरिक दूसरे को बदनाम करने के लिए स्वतंत्र है. सुप्रीम कोर्ट ने रेखांकित किया कि गरिमा और प्रतिष्ठा के साथ रहने के लिए किसी व्यक्ति के मौलिक अधिकार को पूरी तरीके से नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. क्योंकि अन्य व्यक्ति की स्वतंत्रता भी बाधित नहीं होनी चाहिए. कानून के अनुसार, अकबर समेत प्रत्येक व्यक्ति को कानून के तहत अपनी बात रखने का मौका दिया जाना चाहिए. अगर वह दावा करता है कि उनकी प्रतिष्ठा को हानि पहुंचाई गई है.

    आखिरकार, आतंकवादी अजमल कसाब को भी अपनी बात रखने के लिए उचित कानूनी सुविधा उपलब्ध थी. आतंकवादी हमलों में नरसंहार करते हुए उसका वीडियो स्क्रीनशॉट भी सुप्रीम कोर्ट में पेश किया गया था. बावजूद इसके कसाब की ओर से दलील पेश करने के लिए उसे भी एक वरिष्ठ वकील मिला था. निष्पक्षता के लिए सभी को कानून में विश्वास करने की आवश्यकता है. अगर ऐसा नहीं होता है, तो यह पीड़ितों को डराने का एक मंच बन जाएगा.

    अगर हम मांग करते हैं कि गंभीर आरोपों से घिरे आरोपियों को जांच या पूछताछ का जवाब देना चाहिए, तो आपराधिक कोर्ट केवल एक मंच बनकर रह जाएंगी.

    जब मंत्री पत्रकार के खिलाफ आरोपों के लिए दबाव डालेगा, तो वह खुद भी कानून की कठिनाइयों को जानेगा और समझेगा कि यहां कोई वापसी नहीं होगी. कोर्ट को लगता है कि अगर पीड़िता की गवाही सही साबित होगी तो यह एमजे अकबर के लिए घातक साबित हो सकता है.

    #MeToo दुर्व्यवहार के आरोपियों के खिलाफ समान विरोधाभास, पूर्वाग्रह और प्रतिबिंब से पीड़ित नहीं होना चाहिए. इसके हर मामले का निष्कर्ष लॉजिकल होना चाहिए. इस अभियान की गति और मजबूती बनाए रखने के लिए सभी के संवैधानिक अधिकारों के साथ सम्मान का व्यवहार करना चाहिए. ना कि निर्दोषो जैसा व्यवहार.

    Tags: Child sexual abuse, Crime report, Me Too, MJ Akbar, Sexual Harassment, Sexual violence, Sexualt assualt, Women

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