दिल्ली सरकार शिक्षा के क्षेत्र में नंबर 1 काम करने का दावा करती है लेकिन यहां के सरकारी स्कूलों की बात करें तो हालात कुछ और ही देखने के लिए मिलते हैं. चाहे मिड-डे मील में छिपकली का पाया जाना हो या फिर खुले में बैठकर बच्चों को शिक्षा देने का मामला हो.
दिल्ली के कल्याणपुरी स्कूल में मिड डे मील के बाद अब नरेला के सरकारी स्कूल में मिड डे मील खाने से कई बच्चे बीमार हो गए हैं.आपको बता दें कि बाहरी दिल्ली के नरेला के बाकनेर सरकारी स्कूल में मिड-डे मिल के खाने में मिली छिपकली है जिसके बाद मिड-डे मिल का खाना खाने से काफ़ी बच्चे बीमार हो गए. करीबन 26 बच्चे मिड-डे मील खाने से बीमार हुए, जिन्हें नजदीक के राजा हरिश्चन्द्र हॉस्पिटल में भर्ती किया गया है. इस दौरान कुछ छात्रों को इलाज के बाद छुट्टी भी दी गयी.
बीमार बच्चों को देखने के लिए दिल्ली के सोशल वेलफेयर मंत्री राजेंद्र गौतम राजा हरिश्चन्द्र हॉस्पिटल पहुंचे.मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने कहा कि मामले की जांच कराई जाएगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी. बता दें कि इससे पहले कल्याणपुरी स्कूल में जीते मील में छिपकली मिलने की खबर आई थी जिसके बाद दो बच्चों को लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल में भर्ती कराया गया था और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने मामले की जांच के आदेश देने के साथ मिड डे मील सप्लाई करने वाले ठेकेदार के ठेके को रद्द कर दिया था. इसके साथ ही 1 जून में मिड डे मील का खाना सप्लाई करने पर ठेकेदार कांटेक्ट को रद्द कर दिया था.
सरकार की कार्रवाई के बाद इतनी बड़ी लापरवाही फिर क्यों ?
जिस तरीके से लगातार दो स्कूलों में मिड-डे मील में छिपकली का पाए जाने से बच्चे बीमार हो रहे हैं बड़ा सवाल यह बनता है कि दिल्ली सरकार ने कहा था कि मिड-डे मील के दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा. उसके बाद लगातार 1 हफ्ते के अंदर दो स्कूलों में मिड-डे मील में छिपकली का पाया जाना सरकार की लापरवाही को दर्शाता है. दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी का कहना है कि दिल्ली सरकार सिर्फ हवा हवाई बातें करती है जिस की पोल खुल गई है.
एक तरफ मिड-डे मील खाने से बच्चे बीमार हो रहे हैं तो दूसरी तरफ दिल्ली के ही राबिया स्कूल में छोटी छोटी बच्चियां बंधक बनाकर रखी गई है दोनों ही घटनाएं शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर काम का दावा करने वाली सरकार पर सवाल खड़े करता है.
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तपती धूप में बैठकर पढ़ने को मजबूर बच्चे
दिल्ली सरकार सरकारी स्कूलों की अच्छी व्यवस्था का दावा करती है लेकिन दिल्ली के सरकारी स्कूलों में बच्चे तपती धूप में पढ़ने को मजबूर हैं.
एक तरफ दिल्ली सरकार सरकारी स्कूलों में मिशन बुनियाद जैसी योजनाएं चला रही है इसके साथ ही बच्चों को हर क्षेत्र में सक्षम बनाने और खुश रहने के लिए हैप्पीनेस क्लास को बड़े पैमाने पर लॉन्च कर चुकी है लेकिन दूसरी तरफ दिल्ली के सरकारी स्कूलों में बच्चों के पास ना तो बैठने के लिए जगह है और ना ही शिक्षकों की संख्या पूरी है लेकिन उसके बाद भी दिल्ली सरकार दावे करती है कि उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में नंबर वन काम किया है.
दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी का कहना है कि दिल्ली सरकार के दावों की पोल खुल चुकी है. दिल्ली के सरकारी स्कूलों में जिस तरीके की घटनाएं इन दिनों देखने के लिए मिल रही है उससे दिल्ली सरकार पूरी तरीके से बेनकाब है. उन्होंने कहा कि राबिया स्कूल की घटना बेहद दुखद है कि फीस भरने में देरी होने के कारण कुछ बच्चों को कैद कर लिया गया.
उन्होंने कहा कि यह घटना अत्यन्त गंभीर इसलिये भी हैं क्योंकि यह स्कूल दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार के मंत्री इमरान हुसैन के कार्यालय/निवास से कुछ ही दूरी पर है और यह संभव नहीं है कि यह घटना उनकी जानकारी में नहीं आई हो.
तिवारी ने कहा, दिल्ली की जनता मंत्री इमरान हुसैन से जानना चाहती हैं कि मीडिया के माध्यम से इस खबर के सार्वजनिक होने से पहले उन्होंने छात्रों के कैद किये जाने की इस घटना के संदर्भ में क्या कदम उठाये थे. छात्रों के कैद की घटना एवं 26 छात्रों की फूड पॉयजनिंग की एक अन्य घटना के एक साथ आने से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एवं शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया के शिक्षा में सुधार के बड़े-बड़े दावों की पोल खुल गई है.
दिल्ली सरकार का तो बस इतना ही कहना है कि, घटना के जांच के आदेश दे दिए हैं और शिक्षा विभाग के डायरेक्टर और सचिव से रिपोर्ट तलब की है मिड डे मील माल मामले में भी पुलिस में शिकायत कर दी गई है और मिड डे मील टेंडर एजेंसी का टेंडर रद्द कर दिया गया है.
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FIRST PUBLISHED : July 12, 2018, 11:19 IST