Vijay Diwas 2020: 1971 युद्ध में लापता हुए मंगल सिंह की खबर आई, पाकिस्तान जेल में हैं बंद

Vijay Diwas 2020: कई दशकों से पति की राह देख रहीं सत्या देवी के कभी भी हौसले पस्त नहीं हुए. वह लगातार भारत सरकार को पत्र लिखती रहीं. 49 साल बाद उन्हें सफलता मिली और बीते हफ्ते उन्हें विदेश मंत्रालय की ओर से पत्र मिला.
Vijay Diwas 2020: कई दशकों से पति की राह देख रहीं सत्या देवी के कभी भी हौसले पस्त नहीं हुए. वह लगातार भारत सरकार को पत्र लिखती रहीं. 49 साल बाद उन्हें सफलता मिली और बीते हफ्ते उन्हें विदेश मंत्रालय की ओर से पत्र मिला.
- News18Hindi
- Last Updated: December 16, 2020, 3:52 PM IST
नई दिल्ली. 1971 में पाकिस्तान (Pakistan) के खिलाफ युद्ध में भारत (India) को मिली जीत का जश्न पूरे देश में जारी है. हालांकि, भारत-पाक युद्ध (Indo-Pak War) के दौरान अपने पति को खो चुकीं पंजाब के जालंधर में रहने 75 वर्षीय सत्या देवी (Satya Devi) के लिए आज का दिन और भी खास बन गया है. उन्हें विदेश मंत्रालय की तरफ से एक चिट्ठी मिली है, जिसने उन्हें पति मंगल सिंह से दोबारा मिलने की उम्मीद दे दी है. 1971 के युद्ध में लापता होने के बाद से ही मंगल सिंह पाकिस्तान की जेल में कैद हैं.
क्या था मामला
1971 की जंग में भारतीय सेना का हिस्सा रहे मंगल सिंह (Mangal Singh) की उम्र उस वक्त 27 साल रही होगी. 1962 के करीब सेना का हिस्सा बने मंगल सिंह का जंग के वक्त रांची से कोलकाता तबादला किया गया था. उन्हें बांग्लादेश के मोर्चे पर तैनात किया गया था. इसके कुछ दिन बाद ही एक बुरी खबर आई, जिसमें कहा गया कि बांग्लादेश में सैनिकों को ले जा रही नाव डूब गई है. इन नाव में मंगल सिंह भी सवार थे.
गोद में दो बच्चे और सालों रिहाई की कोशिशखास बात है कि कई दशकों से पति की राह देख रहीं सत्या देवी के कभी भी हौसले पस्त नहीं हुए. वह लगातार भारत सरकार को पत्र लिखती रहीं. 49 साल बाद उन्हें सफलता मिली और बीते हफ्ते उन्हें विदेश मंत्रालय की ओर से पत्र मिला. इस पत्र में मंगल सिंह के जिंदा होने की जानकारी दी गई थी. मंत्रालय ने बताया कि मंगल सिंह पाकिस्तान में मौजूद कोट लखपत जेल में कैद हैं. पत्र में बताया गया है कि उनकी रिहाई की कोशिशों को बढ़ाया जाएगा. पूरा परिवार लगातार सरकार से रिहाई की अपील कर रहा है.

सत्या कहती हैं कि चिट्ठी मिलने के बाद उन्हें पाकिस्तान जेल में बंद पति की रिहाई की उम्मीद मिली है. उन्होंने बताया कि इस दौरान बच्चों को पालने में उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था. हालांकि, उन्होंने कभी हार नहीं मानी और पति के जल्द लौटने की उम्मीद करती रहीं. उनके बेटे भी अपनी पिता की राह देख रहे हैं. उनके बेटे और रिटायर्ड फौजी दलजीत सिंह कहते हैं कि 49 साल से लगातार पितार की रिहाई की कोशिशें कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि 1971 में उनकी उम्र 3 साल थी. तब से ही वह अपने पिता से मिलने का इंतजार कर रहे हैं.
क्या था मामला
1971 की जंग में भारतीय सेना का हिस्सा रहे मंगल सिंह (Mangal Singh) की उम्र उस वक्त 27 साल रही होगी. 1962 के करीब सेना का हिस्सा बने मंगल सिंह का जंग के वक्त रांची से कोलकाता तबादला किया गया था. उन्हें बांग्लादेश के मोर्चे पर तैनात किया गया था. इसके कुछ दिन बाद ही एक बुरी खबर आई, जिसमें कहा गया कि बांग्लादेश में सैनिकों को ले जा रही नाव डूब गई है. इन नाव में मंगल सिंह भी सवार थे.
गोद में दो बच्चे और सालों रिहाई की कोशिशखास बात है कि कई दशकों से पति की राह देख रहीं सत्या देवी के कभी भी हौसले पस्त नहीं हुए. वह लगातार भारत सरकार को पत्र लिखती रहीं. 49 साल बाद उन्हें सफलता मिली और बीते हफ्ते उन्हें विदेश मंत्रालय की ओर से पत्र मिला. इस पत्र में मंगल सिंह के जिंदा होने की जानकारी दी गई थी. मंत्रालय ने बताया कि मंगल सिंह पाकिस्तान में मौजूद कोट लखपत जेल में कैद हैं. पत्र में बताया गया है कि उनकी रिहाई की कोशिशों को बढ़ाया जाएगा. पूरा परिवार लगातार सरकार से रिहाई की अपील कर रहा है.
सत्या कहती हैं कि चिट्ठी मिलने के बाद उन्हें पाकिस्तान जेल में बंद पति की रिहाई की उम्मीद मिली है. उन्होंने बताया कि इस दौरान बच्चों को पालने में उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था. हालांकि, उन्होंने कभी हार नहीं मानी और पति के जल्द लौटने की उम्मीद करती रहीं. उनके बेटे भी अपनी पिता की राह देख रहे हैं. उनके बेटे और रिटायर्ड फौजी दलजीत सिंह कहते हैं कि 49 साल से लगातार पितार की रिहाई की कोशिशें कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि 1971 में उनकी उम्र 3 साल थी. तब से ही वह अपने पिता से मिलने का इंतजार कर रहे हैं.