देश में भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या यानी
मॉब लिंचिंग की बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बड़ा आदेश दिया है. कोर्ट ने संसद से मॉब लिंचिंग के खिलाफ नया और सख्त कानून बनाने को कहा है. आदेश देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'कोई भी नागरिक अपने आप में कानून नहीं बन सकता है. लोकतंत्र में भीड़तंत्र की इजाजत नहीं दी जा सकती.'
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को सख्त आदेश दिया कि वो संविधान के मुताबिक काम करें. कोर्ट ने कहा कि राज्य इन बढ़ती घटनाओं के खिलाफ बहरे नहीं हो सकते.
कानून के बिना कैसे रुक पाएगी मॉब लिंचिंग?
सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि राज्यों को शांति बनाए रखने की जरूरत है. इन घटनाओं के लिए निवारक, उपचारात्मक और दंडनीय उपायों को निर्धारित किया गया है. केंद्र और राज्यों को निर्देश देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बहुलवादी पहलू की रक्षा की जानी चाहिए. कोर्ट ने राज्य सरकारों को लिंचिंग रोकने से संबंधित गाइड लाइन को चार हफ्ते में लागू करने का आदेश दिया है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई 28 अगस्त को होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा है कि
मॉब लिंचिंग को एक अलग अपराध की श्रेणी में रखा जाए. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से इसको लेकर नया कानून बनाने के संबंध में भी जानकारी मांगी है.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट का ये आदेश ऐसे वक्त में आया है, जब शनिवार को कर्नाटक के बीदर में बच्चा चोरी के शक में भीड़ ने एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर की पीट-पीटकर हत्या कर दी.
बच्चा चोरी की अफवाह के चलते साल 2017 से अब तक पीट-पीट कर मार देने से हुई ये 32वीं हत्या है. सिर्फ साल 2018 की बात करें तो
वाट्सऐप के जरिए अफवाह फैलने के बाद हुई ये 21वीं हत्या है. इस आंकड़ें में गोरक्षा के नाम पर हुई
लिंचिंग की घटनाओं को शामिल कर दें तो साल 2015 से अब तक 100 से ज्यादा मौतें हो चुकीं हैं.
अभी कैसे हो रही है कार्रवाई?
लिंचिंग के नेचर और मोटिवेशन के सामान्य मर्डर से अलग होने के बावजूद भारत में इसके लिए कोई अलग से कानून मौजूद नहीं है. आईपीसी में लिंचिंग जैसी घटनाओं के विरुद्ध कार्रवाई को लेकर किसी तरह का ज़िक्र नहीं है और इन्हें सेक्शन 302 (मर्डर), 307 (अटेम्प्ट ऑफ मर्डर), 323 ( जानबूझकर घायल करना), 147-148 (दंगा-फसाद), 149 (आज्ञा के विरूद्ध इकट्ठे होना) के तहत ही डील किया जाता है. CRPC के सेक्शन 223A में भी इस तरह के क्राइम के लिए उपयुक्त क़ानून के इस्तेमाल की बात कही गई है, साफ़-साफ़ इस क्राइम के बारे में कुछ भी नहीं है.
हाल में हुए लिंचिंग के मामले
>>14 जुलाई कर्नाटक के बीदर जिले में 'बच्चा चोरी' के शक में 32 साल के सॉफ्टवेयर इंजीनियर और हैदराबाद के मलकपेट निवासी मोहम्मद आजम अहमद की पीट-पीट कर हत्या कर दी. उनके तीन अन्य साथी इस घटना में बुरी तरह घायल हो गए.
>>1 जुलाई को चेन्नई में बिहारी मजदूर बी गोपाल साहू और के विनोद बिहारी को लोगों ने बच्चे का अपहरण करने के शक में बुरी तरह पीट दिया.
>>1 जुलाई को ही महाराष्ट्र के धुले में 5 लोगों को बच्चा चुराने के शक में पीट-पीट कर मार दिया गया.
>> 29 जून को त्रिपुरा में यूपी के रहने वाले सब्जी बेच रहे शख्स को बच्चा चुराने के शक में भीड़ ने लिंच कर दिया.
>>27 जून को मध्य प्रदेश में भीड़ ने इसी शक में एक शख्स को पीट-पीट कर मार दिया.
>>गोवा में रहने वाले नीलोत्पल दास (29) और उनके मित्र अभिजीत नाथ (30) आठ जून की रात असम के कार्बी आंगलांग में बच्चा चुराने के शक में पीट-पीट कर मार दिया गया.
>>झारखंड के सिंहभूम जिले में हुईं अलग-अलग घटनाओं में कम से कम 9 लोगों ने ऐसी घटनाओं में अपनी जान गंवा दी थी.
>>पिछले दो महीनों में भारत में 15 लोगों को भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला. असम, आंध्र प्रदेश, त्रिपुरा, महाराष्ट्र, बंगाल, तेलंगाना में ऐसी दो-दो घटनाएं और गुजरात और कर्नाटक में एक-एक घटना सामने आई है.
>>2018 में अब तक 21 लोगों को बच्चा चुराने के शक में लिंच कर दिया गया.
>>अकेले ओडिशा में पिछले 30 दिन में हमले की ऐसी 15 घटनाएं हुई हैं, जिनमें कुल 28 लोगों के साथ मारपीट की गई.
>>महाराष्ट्र में बीते 25 दिनों में 14 लिंचिंग की घटनाओं में 9 मौतें हुई हैं और 60 लोग गिरफ्तार हुए हैं.
>>गौमांस और बच्चा चुराने के शक में साल 2015 से अब तक लिंचिंग के जरिए 100 से ज्यादा मौतें दर्ज की गई हैं.
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Tags: Mob lynching
FIRST PUBLISHED : July 17, 2018, 10:53 IST