Covid-19 Vaccine: नए वैरिएंट ने बढ़ाई सीरम इंस्टीट्यूट की मुश्किलें, करने पड़ सकते हैं वैक्सीन में बदलाव

फिलहाल भारत में कोरोना वायरस का केवल एक म्यूटेंट स्ट्रेन है. यह स्ट्रेन ब्रिटेन में पाया गया था. वहीं, भारत में दो वैक्सीन उम्मीदवार कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को आपातकालीन इस्तेमाल की अनुमति दे दी है. (फोटो: AP)
Vaccine Update: सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के लिए यह काफी मायने रखता है. क्योंकि, COVAX ने एस्ट्राजैनेका और सीरम से एडवांस खरीदी समझौते पर साइन किए हैं. वहीं, यह घोषणा भी की है कि वो साल के मध्य तक करीब 350 मिलियन डोज बांटेंगे.
- News18Hindi
- Last Updated: February 10, 2021, 12:22 PM IST
नई दिल्ली. कोरोना वायरस (Corona Virus) के बदलते स्ट्रेन (New Strain) का असर वैक्सीन पर भी पड़ने लगा है. हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की स्ट्रैटजिक एजवाइजरी ग्रुप ऑफ एक्सपर्ट्स ऑन इम्युनाइजेशन (SAGE) ने ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजैनेका (Oxford-AstraZeneca) की वैक्सीन के प्रभाव पर चिंता जताई है. डब्ल्यूएचओ की टीम ने दक्षिण अफ्रीका में मिले वायरस के नए स्ट्रेन (South Africa) को लेकर अपनी चिंता जाहिर की है. खास बात है कि इसके बाद पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (Serum Institute of India) को वैक्सीन की बनावट में कुछ बदलाव करने पड़ सकते हैं.
मिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, SAGE ने सोमवार और मंगलवार को SARS CoV-2 वैरिएंट्स पर वैक्सीन के प्रभावों की समीक्षा की थी. इससे पहले दक्षिण अफ्रीका ने ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजैनेका की वैक्सीन को रोकने का फैसला किया था. दरअसल, शुरुआती क्लीनिकल ट्रायल्स के बाद विट्स वैक्सीन्स और इंफेक्शियस डिसीज एनालिटिक्स रिसर्च यूनिट ने संकेत दिए थे कि ये टीका वायरस के B.1.351 वैरिएंट के हल्के और मध्यम मामलों में कम सुरक्षा प्रदान करता है. दक्षिण अफ्रीका में वायरस का यह प्रकार बीते नवंबर में सामने आया था.
यह भी पढ़ें: Serum Institute Fire: हादसे में जान गंवाने वालों के परिवारों को 25 लाख का मुआवजा देगा सीरम इंस्टीट्यूट
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के लिए यह काफी मायने रखता है. क्योंकि, COVAX ने एस्ट्राजैनेका और सीरम से एडवांस खरीदी समझौते पर साइन किए हैं. वहीं, यह घोषणा भी की है कि वो साल के मध्य तक करीब 350 मिलियन डोज बांटेंगे. हालांकि, भारत में इस वैक्सीन को अनुमति मिल गई है. जबकि, विश्व स्तर पर इस्तेमाल किए जाने को लेकर इसे अभी COVAX से अनुमति लेना बाकी है. अप्रैल में WHO ने COVID-19 की वैक्सीन के निर्माण में तेजी लाने के उद्देश्य से एक COVAX सुविधा शुरू की थी, जिसे लेकर संगठन ने सभी देशों से इसमें शामिल होने की अपील की थी. WHO ने कोरोना वायरस के टीकों के निर्माण और वितरण में तेजी लाने के उद्देश्य से यह कार्यक्रम शुरू किया है.
भारत में वायरस के प्रकार
फिलहाल भारत में कोरोना वायरस का केवल एक म्यूटेंट स्ट्रेन है. यह स्ट्रेन ब्रिटेन में पाया गया था. वहीं, भारत में दो वैक्सीन उम्मीदवार कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को आपातकालीन इस्तेमाल की अनुमति दे दी है. वहीं, सरकार ने स्टडीज के हवाले से कहा है कि कोवैक्सीन म्यूटेंट स्ट्रेन के खिलाफ असरदार है. देश में बीती 16 जनवरी से वैक्सीन प्रोग्राम शुरू हो गया है. सरकार ने पहले चरण में स्वास्थ्य कर्मियों को टीका लगाने का फैसला किया है. फरवरी में टीकाकरण का दूसरा चरण शुरू हो सकता है.
मिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, SAGE ने सोमवार और मंगलवार को SARS CoV-2 वैरिएंट्स पर वैक्सीन के प्रभावों की समीक्षा की थी. इससे पहले दक्षिण अफ्रीका ने ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजैनेका की वैक्सीन को रोकने का फैसला किया था. दरअसल, शुरुआती क्लीनिकल ट्रायल्स के बाद विट्स वैक्सीन्स और इंफेक्शियस डिसीज एनालिटिक्स रिसर्च यूनिट ने संकेत दिए थे कि ये टीका वायरस के B.1.351 वैरिएंट के हल्के और मध्यम मामलों में कम सुरक्षा प्रदान करता है. दक्षिण अफ्रीका में वायरस का यह प्रकार बीते नवंबर में सामने आया था.
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सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के लिए यह काफी मायने रखता है. क्योंकि, COVAX ने एस्ट्राजैनेका और सीरम से एडवांस खरीदी समझौते पर साइन किए हैं. वहीं, यह घोषणा भी की है कि वो साल के मध्य तक करीब 350 मिलियन डोज बांटेंगे. हालांकि, भारत में इस वैक्सीन को अनुमति मिल गई है. जबकि, विश्व स्तर पर इस्तेमाल किए जाने को लेकर इसे अभी COVAX से अनुमति लेना बाकी है. अप्रैल में WHO ने COVID-19 की वैक्सीन के निर्माण में तेजी लाने के उद्देश्य से एक COVAX सुविधा शुरू की थी, जिसे लेकर संगठन ने सभी देशों से इसमें शामिल होने की अपील की थी. WHO ने कोरोना वायरस के टीकों के निर्माण और वितरण में तेजी लाने के उद्देश्य से यह कार्यक्रम शुरू किया है.
भारत में वायरस के प्रकार
फिलहाल भारत में कोरोना वायरस का केवल एक म्यूटेंट स्ट्रेन है. यह स्ट्रेन ब्रिटेन में पाया गया था. वहीं, भारत में दो वैक्सीन उम्मीदवार कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को आपातकालीन इस्तेमाल की अनुमति दे दी है. वहीं, सरकार ने स्टडीज के हवाले से कहा है कि कोवैक्सीन म्यूटेंट स्ट्रेन के खिलाफ असरदार है. देश में बीती 16 जनवरी से वैक्सीन प्रोग्राम शुरू हो गया है. सरकार ने पहले चरण में स्वास्थ्य कर्मियों को टीका लगाने का फैसला किया है. फरवरी में टीकाकरण का दूसरा चरण शुरू हो सकता है.