होम /न्यूज /राष्ट्र /भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार में नहीं हैं 1962, 1965, 1971 के युद्धों और हरित क्रांति से जुड़े रिकॉर्ड, जानें वजह

भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार में नहीं हैं 1962, 1965, 1971 के युद्धों और हरित क्रांति से जुड़े रिकॉर्ड, जानें वजह

भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार के पास देश की आजादी के बाद लड़े गए 3 प्रमुख युद्धों और हरित क्रांति के रिकॉर्ड मौजूद नहीं हैं. यह जानकारी NAI के महानिदेशक चंदन सिन्हा ने खुद दी है. (File Photos)

भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार के पास देश की आजादी के बाद लड़े गए 3 प्रमुख युद्धों और हरित क्रांति के रिकॉर्ड मौजूद नहीं हैं. यह जानकारी NAI के महानिदेशक चंदन सिन्हा ने खुद दी है. (File Photos)

National Archives of India: भारत ने 1962 में चीन से और 1965 में पाकिस्तान से युद्ध लड़ा था, और 1971 के युद्ध में पाकिस् ...अधिक पढ़ें

नई दिल्ली: भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार (National Archives of India) की यह जिम्मेदारी है कि वह देश के हर छोटी-बड़ी घटनाओं से जुड़े दस्तावेजों को संभालकर रखे. लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि एनएआई के पास देश की आजादी के बाद लड़े गए 3 प्रमुख युद्धों और हरित क्रांति के रिकॉर्ड मौजूद नहीं हैं. यह जानकारी NAI के महानिदेशक चंदन सिन्हा ने खुद दी है. भारत ने 1962 में चीन से और 1965 में पाकिस्तान से युद्ध लड़ा था, और 1971 के युद्ध में पाकिस्तान से लड़कर बांग्लादेश को संप्रभु राष्ट्र का दर्जा दिलवाया था. वहीं, एस. स्वामीनाथन के नेतृत्व में 1966-1967 की हरित क्रांति से भारत खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बना था.

कार से बर्फीली वादियों में जा रहे हैं तो मुश्किल में पड़ सकते हैं आप, इन बातों का रखें ध्यान

ये ऐसी ऐतिहासिक घटनाएं हैं, ​जिनके बारे में भारत के हर जागरूक नागरिक को पता होना चाहिए. लेकिन अफसोस कि सरकारों ने इन घटनाओं के दस्तावेजीकरण को गंभीरता से नहीं लिया है. एनएआई के डायरेक्टर चंदन सिन्हा ने कहा, ‘ऐसा इसलिए है क्योंकि कई केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों ने अपने रिकॉर्ड राष्ट्रीय अभिलेखागार के साथ शेयर नहीं किए हैं. NAI केवल भारत सरकार और उसके संगठनों के रिकॉर्ड रखता है और उन्हें संरक्षित करता है. इसे वर्गीकृत दस्तावेज यानी क्लासीफाइड डॉक्यूमेंट नहीं दिए जाते हैं.’ चंदन सिन्हा ने कहा कि सरकार में रिकॉर्ड प्रबंधन सुशासन का एक आवश्यक पहलू है? कई मंत्रालय हैं जिन्होंने आजादी के बाद से ही राष्ट्रीय अभिलेखागार के साथ अपने रिकॉर्ड शेयर नहीं किए हैं.

हम अपने इतिहास को न सहेजकर देश का बड़ा नुकसान कर रहे
प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग की ओर से आयोजित सुशासन कार्यशाला में NAI महानिदेशक चंदन सिन्हा ने बताया कि भारत सरकार के अंतर्गत 151 मंत्रालय, विभाग और संगठन आते हैं. लेकिन NAI के पास इनमें से केवल 36 मंत्रालयों और विभागों समेत सिर्फ 64 एजेंसियों के रिकॉर्ड मौजूद हैं. उन्होंने कहा कि भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार में हरित क्रांति का भी कोई रिकॉर्ड नहीं है, जिसकी हम हमेशा जय-जयकार करते हैं.’ एनएआई डायरेक्टर ने कहा, ‘ऐसे कुछ क्षेत्रों में कई ऐसे मुद्दे हैं, जिनका हमारे पास कोई रिकॉर्ड नहीं है. आपके साथ ये बातें शेयर करते हुए मुझे बहुत दुख हो रहा है. हम अपने इतिहास का संरक्षण नहीं कर रहे हैं. वास्तव में, जिस प्रश्न का हमें सामना करना चाहिए वह यह है कि क्या हमारे ऐतिहासिक दस्तावेजों को न सहेज कर, हम देश का बड़ा नुकसान कर रहे हैं?’

इस शहर में है यमराज का 300 साल पुराना मंदिर, नर्क से बचने के लिए लोग करते हैं पूजा

हर तीन महीने में हो दस्तावेजों की छंटाई, यह शासन का काम है
उन्होंने यह भी बताया कि रक्षा मंत्रालय ने आजादी के बाद इस साल की शुरुआत तक 476 फाइलें भेजी थीं. NAI महानिदेशक के मुताबिक वर्ष 1960 तक की 20,000 फाइलों को इस वर्ष ट्रांसफर किया गया है. उन्होंने कहा, ‘दस्तावेजों को सहेजने के लिए फाइलों की रिकॉर्डिंग और छंटाई के लिए एक विशेष अभियान की प्रतीक्षा करने की जगह, यह हर तिमाही में किया जाना चाहिए.’ उन्होंने जोर देकर कहा कि अभिलेखों का अनाधिकृत विनाश नहीं होना चाहिए. वास्तव में, अभिलेखों के अनाधिकृत विनाश करने का दोषी पाए जाने के बाद एक वर्ष के कारावास की सजा का प्रावधान है. बकौल NAI महानिदेशक, अभिलेखों का मूल्यांकन और एनएआई को हस्तांतरण के लिए उनकी समीक्षा करना और उनकी पहचान करना शासन का एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहलू है.

Tags: Green Revolution, History of India, India-China 1962 War, Indo-Pak War 1971, Indo-Pakistani War 1965

टॉप स्टोरीज
अधिक पढ़ें